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आधार-डिजिटल पेमेंट मास्टरस्ट्रोक: जनकल्याणकारी योजनाओं में गड़बड़ी 13% घटी, जानें हर साल कितनी होगी बचत

बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: कुमार विवेक Updated Mon, 22 Dec 2025 06:27 PM IST
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सार

BCG रिपोर्ट: आधार और डिजिटल भुगतान के जरिए भारत ने वेलफेयर लीकेज में 13% की कटौती की है। जानें कैसे इस बदलाव से देश सालाना हजारों करोड़ रुपये की बचत कर सकता है।

BCG Report says Aadhaar, digital payments cut India's welfare leakage by 13%
बीसीजी की रिपोर्ट - फोटो : amarujala.com
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भारत ने जन-कल्याणकारी प्रणालियों में होने वाली धांधली और लीकेज को रोकने में वैश्विक स्तर पर एक नया बेंचमार्क स्थापित किया है। आधार और डिजिटल भुगतान के स्मार्ट उपयोग से भारत ने सरकारी योजनाओं में होने वाली लीकेज को करीब 13 प्रतिशत तक कम करने में सफलता हासिल की है।

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बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप यानी बीसीजी की नवीनतम रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है। रिपोर्ट इस बात का प्रमाण है कि कैसे तकनीक का सही इस्तेमाल कर सरकारी पैसे को गलत हाथों में जाने से रोका जा सकता है और उसे सीधे जरूरतमंदों तक पहुँचाया जा सकता है।
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ग्लोबल रिपोर्ट में भारत के बारे में क्या का गया?
बीसीजी की रिपोर्ट, जिसका शीर्षक "क्लोजिंग द ट्रिलियन-डॉलर गैप इन पब्लिक पेमेंट्स" है, में बताया गया है कि दुनिया भर की सरकारें अपने नागरिकों को पेंशन, स्वास्थ्य सेवा और बुनियादी जरूरतों के लिए हर साल 21 ट्रिलियन डॉलर से अधिक की राशि आवंटित करती हैं। हालांकि, धोखाधड़ी, मानवीय त्रुटियों और पुरानी प्रणालियों के कारण इसमें से लगभग तीन ट्रिलियन डॉलर हर साल बर्बाद हो जाते हैं। ऐसे में भारत ने इस समस्या को सुलझाने की दिशा में दुनिया का नेतृत्व किया है।

कैसे रुकी लीकेज?
रिपोर्ट के अनुसार, भारत के जिन राज्यों ने आधार-लिंक्ड डिजिटल भुगतान और बायोमेट्रिक (फिंगरप्रिंट) जांच को अपनाया है, वहां वेलफेयर लीकेज में लगभग 12.7 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। सबसे अहम बात यह है कि इस सख्ती के बावजूद असली लाभार्थियों को कोई परेशानी नहीं हुई।

रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि इन स्मार्ट प्रणालियों का उपयोग करके भारत हर साल 10 अरब डॉलर (लगभग 83,000 करोड़ रुपये) तक की बचत कर सकता है। यह बचत फर्जी नामों को हटाने और एक ही व्यक्ति द्वारा बार-बार लाभ क्लेम करने (डुप्लिकेट क्लेम) को रोकने से संभव हुई है।

बिचौलियों का खेल खत्म, आम आदमी को कैसे राहत?
आंध्र प्रदेश, झारखंड और राजस्थान जैसे राज्यों ने दिखाया है कि कैसे तकनीक की मदद से समाज के अंतिम व्यक्ति तक मदद पहुंचाई जा सकती है। अब करोड़ों भारतीयों को राशन, गैस सब्सिडी और मनरेगा जैसी मजदूरी का पैसा बिना किसी देरी के मिल रहा है। सबसे बड़ी राहत यह है कि अब गरीबों को उन बिचौलियों पर निर्भर नहीं रहना पड़ता, जो अक्सर उनके हिस्से का पैसा खा जाते थे।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
बीसीजी में पब्लिक सेक्टर प्रैक्टिस (भारत) के लीडर मारियो गोंसाल्वेस ने इस उपलब्धि पर कहा, "जब दुनिया भर में धोखाधड़ी और त्रुटियों के कारण सार्वजनिक भुगतान प्रणालियों को 3 ट्रिलियन डॉलर का नुकसान हो रहा है, तब भारत के पास गवर्नेंस रिफॉर्म की अगली लहर का नेतृत्व करने का अनूठा मौका है।"

उन्होंने आगे कहा, "भारत द्वारा डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर को तेजी से अपनाना, विशेष रूप से सार्वजनिक सेवा वितरण में, सिस्टम में ईमानदारी और पारदर्शिता लाता है। एआई (एआई) आधारित समाधान वेलफेयर प्रोग्राम्स में लीकेज को काफी कम कर सकते हैं और संस्थानों में जनता का भरोसा मजबूत कर सकते हैं।"

दुनिया के लिए मॉडल बना भारत
बीसीजी की रिपोर्ट यह स्पष्ट करती है कि भारत का डिजिटल ढांचा अब दूसरे देशों के लिए एक मॉडल बन चुका है। यह साबित करता है कि सरकारें नागरिकों के लिए लाभ प्राप्त करना मुश्किल बनाए बिना भी सार्वजनिक धन के खर्च में सुधार कर सकती हैं और भ्रष्टाचार पर लगाम लगा सकती हैं।

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