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LTCG: 'कर प्रणाली को आसान बनाने का मतलब यह नहीं कि हर मामले में भार कम हो जाए', एलटीसीजी पर बोले राजस्व सचिव
बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: कुमार विवेक
Updated Fri, 26 Jul 2024 07:14 PM IST
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सार
LTCG: एलटीसीजी कर को इंडेक्सेशन के लाभ के बिना सभी परिसंपत्ति वर्गों के लिए 12.5 प्रतिशत कर दिया गया है। इससे पहले, एसटीटी-पेड इक्विटी को छोड़कर सभी परिसंपत्ति वर्गों के लिए दर 20 प्रतिशत थी। रियल एस्टेट के लिए, यह इंडेक्सेशन के साथ 20 प्रतिशत थी। राजस्व सचिव संजय मल्होत्रा ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी है।

संजय मल्होत्रा
- फोटो : amarujala.com
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विस्तार
वित्त वर्ष 2025 के बजट में विभिन्न परिसंपत्ति वर्गों पर पूंजीगत लाभ करों को तर्कसंगत बनाने का फैसला कर सरलीकरण का उपाय है ना कि राजस्व बढ़ाने का तरीका। राजस्व सचिव संजय अग्रवाल ने उद्योग मंडल सीआईआई और एसोचैम के सदस्यों को संबोधित करते हुए यह बात कही। इस दौरान उन्होंने सवाल किया कि क्या उद्योग जगत विभिन्न परिसंपत्ति वर्गों के लिए अलग-अलग कर दरों के पक्ष में है?

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वित्त वर्ष 2025 के बजट ने शॉर्ट और लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स के लिए विभिन्न एसेट क्लास के लिए होल्डिंग पीरियड को तर्कसंगत बनाया है। सभी सूचीबद्ध परिसंपत्तियों के लिए होल्डिंग अवधि अब दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ कर (एलटीसीजी) के लिए एक वर्ष कर दी गई है। गैर-सूचीबद्ध शेयरों, डिबेंचर और रियल एस्टेट के लिए, LTCG के लिए होल्डिंग अवधि दो वर्ष है।
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एलटीसीजी कर को इंडेक्सेशन के लाभ के बिना सभी परिसंपत्ति वर्गों के लिए 12.5 प्रतिशत कर दिया गया है। इससे पहले, एसटीटी-पेड इक्विटी को छोड़कर सभी परिसंपत्ति वर्गों के लिए दर 20 प्रतिशत थी। रियल एस्टेट के लिए, यह इंडेक्सेशन के साथ 20 प्रतिशत थी।
राजस्व सचिव संजय मल्होत्रा ने कार्यकम में कहा कि पूंजीगत लाभ कर में बदलाव एक सरलीकरण उपाय है, न कि राजस्व बढ़ाने का उपाय। हां, राजस्व में वृद्धि होगी, लेकिन यह बहुत ही मामूली होगी। यह एक सरलीकरण का तरीका है जिसकी आप सभी (उद्योगों ने) मांग की थी। संशोधित एलटीसीजी कर संरचना ने विभिन्न परिसंपत्ति वर्गों के लिए इंडेक्सेशन को हटा दिया है।
अनुपालन बोझ कम करने के बारे बताते हुए मल्होत्रा ने कहा कि सरलीकरण का अर्थ यह नहीं है कि कर भार हर मामले में कम हो जाएगा और करदाता को होल्डिंग अवधि हो या न्यूनतम दर हर पहलू से फायदा होगा। उन्होंने कहा, 'ऐसा नहीं होगा क्योंकि अंतत: सरकार को राजस्व की जरूरत है। इसलिए, जब सरलीकरण की मांग करते हैं,... तो इस बात के लिए भी हमें तैयार रहना चाहिए कि कुछ चीजें ऊपर जाएंगी और कुछ चीजें नीचे जाएंगी। लेकिन सरलीकरण के अपने फायदे हैं।'
उन्होंने उद्योग जगत से पूछा कि क्या शेयरों की बिक्री से हुए लाभ और समान अवधि के लिए रखे गए डिबेंचर या रियल एस्टेट संपत्तियों को बेचने से हुए लाभ पर कर का प्रभाव अलग होना चाहिए। मल्होत्रा ने कहा, "यह सवाल, मैं आपसे पूछता हूं और खुद सोचता हूं। क्या इन दो एसेट क्लास या किसी अन्य एसेट क्लास पर टैक्स अलग-अलग होना चाहिए?
पहले इक्विटी पर एलटीसीजी टैक्स 10 फीसदी था, जिसमें 1 लाख रुपये तक की आय पर छूट थी। वित्त वर्ष 2025 के बजट में यह दर बढ़ाकर 12.5 फीसदी कर दी गई है, जिससे यह अन्य परिसंपत्ति वर्गों के बराबर हो गया है। छूट की सीमा भी बढ़ाकर 1.25 लाख रुपये प्रति वर्ष कर दी गई है। मल्होत्रा ने कहा कि सीआईआई ने बजट पूर्व ज्ञापन में दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ के लिये कर की दो दरों की मांग की थी लेकिन बजट में कर की केवल एक दर लाकर इस व्यवस्था को और तर्कसंगत बनाया गया है।