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डेलॉय की रिपोर्ट: कर्ज तक सीमित पहुंच समेत कई चुनौतियों से जूझ रहा MSME क्षेत्र, उत्पादकता भी हो रही प्रभावित

बिजनेस डेस्क, अमर उजाला। Published by: शुभम कुमार Updated Thu, 06 Nov 2025 04:44 AM IST
सार

डेलॉय इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, भारत के एमएसएमई क्षेत्र की उत्पादकता बड़े उद्योगों की तुलना में केवल 18% है, जबकि ओईसीडी देशों में यह 45–70% तक पहुंचती है। औपचारिक ऋण तक सीमित पहुंच, पुरानी तकनीक और कमजोर बुनियादी ढांचा बड़ी चुनौतियां हैं। हालांकि, रिपोर्ट में उनकी डिजिटल तत्परता को सकारात्मक संकेत बताया गया है।

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Deloitte report The MSME sector is grappling with several challenges including limited access to credit
एमएसएमई। - फोटो : amar ujala
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विस्तार
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भारत में सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम (एमएसएमई) औपचारिक ऋण तक सीमित पहुंच जैसी कई संरचनात्मक चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। इससे इन उद्योगों की उत्पादकता प्रभावित हो रही है। हालांकि, उनकी डिजिटल तैयारी एक उज्ज्वल बिंदु है। डेलॉय इंडिया की बुधवार को जारी रिपोर्ट के मुताबिक, आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन (ओईसीडी) समकक्षों की तुलना में डिजिटल तत्परता के उच्च स्तर का प्रदर्शन करने के बावजूद भारतीय एमएसएमई बड़े उद्यमों की उत्पादकता के सिर्फ 18 फीसदी पर काम करते हैं। 

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वैश्विक समकक्षों की तुलना
ओईसीडी अर्थव्यवस्थाओं में यह 45-70 फीसदी है। यह अंतर वैश्विक समकक्षों की तुलना में उनकी प्रतिस्पर्धात्मकता को सीमित करता है। डेलॉय इंडिया की अर्थशास्त्री रुमकी मजूमदार ने कहा, जीडीपी में करीब 30 फीसदी का योगदान करने वाला भारत का एमएसएमई क्षेत्र पुरानी प्रौद्योगिकी, नियामकीय जटिलताएं और बुनियादी ढांचे की समस्याओं से भी जूझ रहा है। 

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डेलॉय एमएसएमई चुनौती सूचकांक
डेलॉय के एमएसएमई चुनौती सूचकांक के अनुसार, सिले परिधान जैसे क्षेत्रों में एमएसएमई को ऋण संबंधी गंभीर बाधाओं का सामना करना पड़ता है, क्योंकि जोखिम बहुत अधिक हैं। इनमें कम मुनाफा और तीव्र वैश्विक प्रतिस्पर्धा शामिल है, जिससे उनके उत्पादों की प्रतिस्थापना कठिन हो जाती है। एमएसएमई क्षेत्र का निर्यात में 45 फीसदी योगदान है। यह 24 करोड़ से अधिक लोगों को आजीविका प्रदान करता है।

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