Service Sector: भारत के सेवा क्षेत्र की रफ्तार धीमी, अक्तूबर में पांच महीने के निचले स्तर पर पहुंचा पीएमआई
भारत का सेवा क्षेत्र अक्तूबर में लगातार विस्तार के दौर में रहा, लेकिन इसकी गति में कुछ सुस्ती दर्ज की गई। एचएसबीसी इंडिया सर्विसेज परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स के अनुसार, सूचकांक सितंबर के 60.9 से घटकर अक्टूबर में 58.9 पर पहुंच गया, जो पिछले पांच महीनों में सबसे धीमी वृद्धि को दर्शाता है।
विस्तार
भारत के सेवा क्षेत्र ने अक्तूबर में धीमा प्रदर्शन किया। एचएसबीसी इंडिया सर्विसेज परचेजिंग मैनेजर्स इंडेस्क (पीएमआई) के अनुसार विकास की गति पांच महीने के निचले स्तर पर आ गई। सूचकांक सितंबर के 60.9 से गिरकर अक्तूबर में 58.9 पर आ गया। हालांकि, यह स्तर अब भी 50 के तटस्थ अंक से ऊपर है, जो बताता है कि सेवा क्षेत्र में गतिविधियां अब भी विस्तार के दायरे में बनी हुई हैं।
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प्रतिस्पर्धी दबाव और बारिश का पड़ा असर
एसएंडपी ग्लोबल की रिपोर्ट में कहा गया है कि मांग में तेजी और हाल के जीएसटी सुधारों ने कारोबारी गतिविधियों को बढ़ावा दिया, लेकिन प्रतिस्पर्धी दबाव और भारी बारिश ने गति को बाधित किया।
सर्वेक्षण से पता चला कि नए व्यावसायिक ऑर्डरों में तेजी से वृद्धि हुई, लेकिन पांच महीनों में यह सबसे धीमी गति से हुई। यह बढ़ती प्रतिस्पर्धा और बाढ़ व भूस्खलन जैसे मौसम संबंधी व्यवधानों के संयुक्त प्रभाव को दर्शाता है।
इनपुट लागत में 14 महीनों में सबसे धीमी वृद्धि हुई
एचएसबीसी की मुख्य भारत अर्थशास्त्री प्रांजुल भंडारी ने कहा कि भारत का सेवा क्षेत्र पीएमआई अक्तूबर में घटकर 58.9 पर आ गया, जो मई के बाद से विस्तार की सबसे धीमी गति को दर्शाता है। उन्होंने आगे कहा कि इसके बावजूद, पीएमआई अपने दीर्घकालिक औसत से काफी ऊपर बना हुआ है। साथ ही इनपुट लागत में 14 महीनों में सबसे धीमी वृद्धि हुई है, जिससे कंपनियों को कुछ राहत मिली है।
भारतीय सेवाओं की अंतरराष्ट्रीय मांग में हुआ सुधार
मंदी के बावजूद, कंपनियों ने वृद्धि के प्रमुख चालकों के रूप में निरंतर मजबूत घरेलू मांग और प्रभावी विपणन का हवाला दिया। भारतीय सेवाओं की अंतरराष्ट्रीय मांग में भी सुधार हुआ व बाहरी बिक्री में भी वृद्धि हुई। हालांकि विस्तार की गति मार्च के बाद से सबसे कमजोर रही।
इनपुल लागत मुद्रास्फीती अपने निचले स्तर पर पहुंची
सर्वेक्षण में बताया गया है कि इनपुट लागत मुद्रास्फीति एक साल से भी ज्यादा समय में अपने सबसे निचले स्तर पर आ गई है, जिसमें आंशिक रूप से जीएसटी से जुड़े सुधारों का भी योगदान है। इससे लागत का बोझ कुछ हद तक कम हुआ है। नतीजतन, बिक्री मूल्य सात महीनों में सबसे धीमी गति से बढ़े, जिससे व्यवसायों और उपभोक्ताओं, दोनों को राहत मिली।
रोजगार के रुझान सकारात्मक रहे
रोजगार के रुझान मोटे तौर पर सकारात्मक रहे, क्योंकि सेवा प्रदाताओं ने नए व्यवसाय को समर्थन देने तथा डिलीवरी कार्यक्रम बनाए रखने के लिए अतिरिक्त कर्मचारियों को नियुक्त किया। हालांकि, रोजगार सृजन की गति धीमी रही, जो 18 महीनों में संयुक्त रूप से सबसे धीमी गति थी। लगातार नियुक्तियों से लगभग चार वर्षों में पहली बार लंबित कार्यों में कमी आई।
समग्र पीएमआई अक्तूबर में घटकर 60.4 पर आ गया
भविष्य की ओर देखते हुए, सेवा अर्थव्यवस्था में आशावाद बना रहा, जो मजबूत मांग, बेहतर विज्ञापन और प्रतिस्पर्धी मूल्य निर्धारण रणनीतियों की उम्मीदों पर आधारित था। फिर भी, समग्र आत्मविश्वास का स्तर तीन महीने के निचले स्तर पर पहुंच गया। समग्र पीएमआई, जिसमें विनिर्माण और सेवा दोनों गतिविधियां शामिल हैं, भी सितंबर के 61.0 से थोड़ा कम होकर अक्तूबर में 60.4 पर आ गया, जो विनिर्माण में तेजी के बावजूद सेवाओं में मंदी को दर्शाता है।