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Report: जनसांख्यिकीय परिवर्तन से बदलेगा वैश्विक विकास का रास्ता, युवा आबादी के साथ भारत को मिलेगा फायदा

बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: रिया दुबे Updated Fri, 28 Nov 2025 10:49 AM IST
सार

अर्न्स्ट एंड यंग की एक रिपोर्ट के अनुसार जहां कई अर्थव्यवस्थाएं अभी भी बढ़ते और युवा कार्यबल से लाभ उठा रही हैं। वहीं कई विकसित अर्थव्यवस्थाएं और कुछ अन्य देश वैश्विक आबादी में अपनी हिस्सेदारी घटते हुए देख रहे हैं। इन देशों में आबादी तेजी से बूढ़ी हो रही है, जिसके कारण आने वाले समय में उनकी वृद्धि का मॉडल भी बदल जाएगा। आइए विस्तार से जानते हैं। 

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Demographic change will alter the path of global development, India will benefit with its young population
सांकेतिक तस्वीर - फोटो : Adobestock
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विस्तार
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वैश्विक आर्थिक वृद्धि का ढांचा आने वाले वर्षों में बड़े बदलाव से गुजरने वाला है। अर्न्स्ट एंड यंग की एक रिपोर्ट के अनुसार दुनिया भर में देशों के अलग-अलग जनसांख्यिकीय चरण युवा आबादी और वृद्धि होती आबादी एक नई आर्थिक खाई पैदा कर रहे हैं। 

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विकसित अर्थव्यवस्थाओं में घट रही युवाओं की आबादी 

रिपोर्ट बताती है कि जहां कई अर्थव्यवस्थाएं अभी भी बढ़ते और युवा कार्यबल से लाभ उठा रही हैं। वहीं कई विकसित अर्थव्यवस्थाएं और कुछ अन्य देश वैश्विक आबादी में अपनी हिस्सेदारी घटते हुए देख रहे हैं। इन देशों में आबादी तेजी से बूढ़ी हो रही है, जिसके कारण आने वाले समय में उनकी वृद्धि का मॉडल भी बदल जाएगा।

वृद्ध होती आबादी वाले देशों का मुख्य आधार तकनीक होंगी

रिपोर्ट के अनुसार, वृद्ध होती आबादी वाले देशों में आर्थिक विकास का मुख्य आधार आधुनिक तकनीकें होंगी। कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और जेनरेटिव AI (GenAI) जैसी तकनीकें उत्पादन, सेवाओं और उत्पादकता बढ़ाने में निर्णायक भूमिका निभाएंगी।


रिपोर्ट में कहा गया है कि ऐसे देशों में विकास उन्नत और नई तकनीकों, जैसे AI और GenAI, द्वारा संचालित होने की संभावना है। इन अर्थव्यवस्थाओं के श्रम बल में कमी आने के साथ ही, प्रौद्योगिकी-आधारित उत्पादकता सुधारों पर अधिक निर्भर रहने की उम्मीद है। इन देशों में पूंजी तो पर्याप्त रहेगी, लेकिन श्रमिकों की कमी बढ़ती जाएगी। ऐसे में उत्पादन स्तर बनाए रखने और आर्थिक जरूरतों को पूरा करने के लिए तकनीक अपनाना सबसे अहम बन जाएगा।

युवा आबादी वाले देश श्रम की दृष्टि से रहेंगे मजबूत

उधर, जिन देशों की आबादी युवा और बड़ी है, वे श्रम की दृष्टि से मजबूत बने रहेंगे। हालांकि रिपोर्ट चेतावनी देती है कि दोनों तरह की अर्थव्यवस्थाएं एक समान चुनौती का सामना कर सकती हैं नई तकनीकें श्रम की जरूरत को कम कर रही हैं, जिससे बेरोजगारी का खतरा बढ़ सकता है।

तकनीक को लेकर हर अर्थव्यवस्था के सामने चुनौती

रिपोर्ट के अनुसार, AI और GenAI पर आधारित अर्थव्यवस्थाओं को अत्यधिक प्रशिक्षित कार्यबल की जरूरत होगी, लेकिन उनकी वृद्ध होती आबादी इस आवश्यकता को पूरा करने में सक्षम नहीं भी हो सकती। वहीं, श्रम-समृद्ध देशों के सामने चुनौती होगी कि वे अपने कार्यबल को नई तकनीकें समझने, अपनाने और इस्तेमाल करने लायक प्रशिक्षित करें, चाहे वे तकनीकें घरेलू स्तर पर विकसित हों या विदेशों से आयातित।

भारत आने वाले वर्षों में श्रम-समृद्ध अर्थव्यवस्था बना रहेगा

रिपोर्ट के अनुसार इस बीच भारत आने वाले वर्षों में श्रम-समृद्ध अर्थव्यवस्था बना रहेगा। जब दुनिया तेजी से लेबर बचाने वाली उन्नत तकनीकों की ओर बढ़ रही है, भारत की युवा आबादी उसके लिए एक बड़ी ताकत साबित हो सकती है। इसमें कहा गया है कि भारत के लिए मानव संसाधन का विकास यानी शिक्षा, स्किलिंग और ट्रेनिंग आने वाले समय में सबसे महत्वपूर्ण होगा। 

भारत को मजबूत रोजगार वृद्धि अपनाने की जरूरत 

रिपोर्ट का आकलन है कि लगातार विकास की रफ्तार बनाए रखने के लिए भारत को मजबूत रोजगार वृद्धि रणनीति अपनानी होगी और वास्तविक निवेश दर को जीडीपी के कम से कम 35% या उससे अधिक पर बनाए रखना होगा। इसके साथ ही तेज गति से तकनीक अपनाना और उच्च-आय वाले, श्रम-कमी वाले देशों के साथ आर्थिक रूप से गहरा जुड़ाव बनाना भारत की दीर्घकालिक वृद्धि रणनीति के अहम तत्व होंगे। रिपोर्ट का निष्कर्ष है कि इन सभी कारकों के सहारे भारत अगले 20 से 25 वर्षों में विकसित अर्थव्यवस्था बनने का लक्ष्य हासिल कर सकता है।

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