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आईएमएफ की सख्त टिप्पणी से हलचल: भारतीय जीडीपी आंकड़ों में खामियां, सात फीसदी की दर से बढ़ने का अनुमान

बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: हिमांशु चंदेल Updated Thu, 27 Nov 2025 11:16 PM IST
सार

आईएमएफ ने भारत के राष्ट्रीय लेखा आंकड़ों में खामियां बताते हुए जीडीपी संबंधित डेटा को सी ग्रेड दिया है, जो दूसरा सबसे निचला स्तर है। संस्था ने पुराने आधार वर्ष, पद्धतिगत कमजोरियों और उत्पादन व खर्च आधारित आंकड़ों में विसंगतियों को समस्या बताया।

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IMF stern comment stir Indian GDP data finds flaws, projected to grow at seven percentage
जीडीपी। - फोटो : एएनआई
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विस्तार
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भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक महत्वपूर्ण टिप्पणी सामने आई है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने राष्ट्रीय लेखा आंकड़ों में गंभीर खामियां बताते हुए इन्हें सी ग्रेड में रखा है, जो आंकड़ों की गुणवत्ता के लिहाज से दूसरा सबसे निचला स्तर माना जाता है। यह मूल्यांकन ऐसे समय में आया है, जब सरकार आज वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही के जीडीपी आंकड़े जारी करने जा रही है। अनुमान है कि अर्थव्यवस्था सात प्रतिशत की दर से बढ़ सकती है।
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आईएमएफ के वार्षिक मूल्यांकन के अनुसार भारत के राष्ट्रीय लेखा आंकड़ों में जीडीपी और जीवीए जैसे प्रमुख संकेतक शामिल हैं। इसमें पद्धतिगत कमियां मौजूद हैं। संस्था का कहना है कि आंकड़े पर्याप्त आवृत्ति और समय पर उपलब्ध होते हैं, लेकिन कार्यप्रणाली संबंधी कमजोरियां आर्थिक निगरानी की गुणवत्ता को कुछ हद तक प्रभावित करती हैं। इसी आधार पर राष्ट्रीय लेखा प्रणाली को सी ग्रेड दिया गया है।
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आधार वर्ष और पद्धति पर सवाल
आईएमएफ ने 2011-12 के पुराने आधार वर्ष पर भी सवाल उठाया, जिस पर मौजूदा आर्थिक गणनाएं आधारित हैं। रिपोर्ट में थोक मूल्य सूचकांक के उपयोग और जीडीपी को मापने के उत्पादन व खर्च आधारित दृष्टिकोणों में समय-समय पर सामने आने वाली विसंगतियों को प्रमुख समस्या बताया गया। संस्था ने खर्च आधारित आंकड़ों और अनौपचारिक क्षेत्र के कवरेज को बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया।

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भारत का आय आधारित मॉडल
भारत सरकार लंबे समय से आय आधारित दृष्टिकोण के माध्यम से जीडीपी का अनुमान लगाती है। इस मॉडल में सरकार, उद्योगों और लोगों की आय के आधार पर सकल घरेलू उत्पाद निकाला जाता है। सरकार खर्च आधारित मॉडल के अनुमान भी प्रस्तुत करती है, लेकिन दोनों में अक्सर अंतर देखने को मिलता है। अर्थशास्त्रियों का मानना है कि विभिन्न स्रोतों और कवरेज के अंतर के कारण यह विसंगति पैदा होती है।

सीपीआई और अन्य आंकड़ों में सुधार की जरूरत
आईएमएफ ने कहा कि तिमाही राष्ट्रीय लेखा प्रणाली में मौसमी रूप से समायोजित आंकड़ों का अभाव है, जिसे सुधारने की आवश्यकता है। वहीं उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) को बी ग्रेड दिया गया है। संस्था के अनुसार यह सूचकांक महीने में एक बार जारी होने के कारण निगरानी के लिए उपयोगी है, लेकिन इसका आधार वर्ष पुराना होने के कारण वर्तमान उपभोग पैटर्न को सही तरीके से प्रतिबिंबित नहीं कर पाता।

कुल मिलाकर, आईएमएफ ने भारत को सभी आंकड़ा श्रेणियों में बी ग्रेड दिया है। संस्था का कहना है कि भारत के आंकड़े बड़े पैमाने पर पर्याप्त हैं, लेकिन कई जगह तकनीकी और कार्यप्रणालीगत सुधार की आवश्यकता है। आज जारी होने वाले तिमाही जीडीपी आंकड़े इन बहसों के बीच आने वाले आर्थिक रुझानों की दिशा तय करेंगे।

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