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EAC-PM: कुरकुरे फलों की तुलना में अधिक आसानी से उपलब्ध; पीएम के सलाहकार बोले-स्वस्थ विकल्पों को मिले बढावा

बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: कुमार विवेक Updated Wed, 26 Nov 2025 08:48 PM IST
सार

EAC-PM: कुरकुरे जैसे प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ फलों और सब्जियों की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में भी अधिक आसानी से उपलब्ध हैं। प्रधानमंत्री के एक शीर्ष आर्थिक सलाहकार ने बुधवार को यह बात कही। आइए इस बारे में विस्तार से जानें।

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EAC-PM Urges Industry to Promote Healthy Options as Kurkure is More Accessible than Fruits
ईएसी-पीएम के अध्यक्ष एस महेंद्र देव - फोटो : ANI
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विस्तार
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कुरकुरे जैसे प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ फलों और सब्जियों की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में भी अधिक आसानी से उपलब्ध हैं। प्रधानमंत्री के एक शीर्ष आर्थिक सलाहकार ने बुधवार को यह बात कही। उन्होंने कहा कि जनता के लिए बाजार में स्वस्थ विकल्प सुनिश्चित करने की जरूरत है। प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (ईएसीपीएम) के अध्यक्ष एस महेंद्र देव ने कहा कि उद्योग को इस पहलू पर गौर करने और यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि देशवासियों को स्वस्थ उत्पाद उपलब्ध कराए जाएं। देव ने चेतावनी दी कि यदि हम इस मुद्दे को नजरअंदाज करते हैं, तो प्रसंस्कृत खाद्य और पेय पदार्थों के अत्यधिक उपभोग के कारण हमें मोटापे जैसी समस्याओं से जूझना पड़ेगा।

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आधिकारिक सर्वेक्षणों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि प्रसंस्कृत खाद्य और पेय पदार्थ अब भी ग्रामीण क्षेत्रों में खाद्य उपभोग का 21 प्रतिशत हिस्सा हैं, और शहरी क्षेत्रों में यह केवल 25 प्रतिशत से ऊपर होगा। प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों के मुद्दे पर उद्योग के साथ मिलकर काम करने की आवश्यकता है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि बाजार में स्वास्थ्यवर्धक स्नैक्स विकल्पों की बेहतर आपूर्ति हो। देव ने कहा, "ग्रामीण क्षेत्रों में फलों और सब्जियों की तुलना में चिप्स और कुरकुरे आसानी से उपलब्ध हैं।" उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि हमें यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि स्वास्थ्यवर्धक विकल्प उपलब्ध हों, खासकर बच्चों के लिए।
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जब उनसे पूछा गया कि क्या इस संबंध में कोई नीतिगत हस्तक्षेप की योजना बनाई गई है, तो देव ने कहा कि अधिकांश प्रयास लोगों को शिक्षित करने और उद्योग के साथ बातचीत करने पर केंद्रित होंगे। उन्होंने कहा कि कामकाजी दम्पति प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों पर निर्भर हैं, क्योंकि उनका कार्यक्रम उन्हें प्रतिदिन खाना पकाने की अनुमति नहीं देता। उन्होंने कहा कि यह एक स्वास्थ्य समस्या है।

मुद्रास्फीति और विकास में आगामी परिवर्तनों को समझने के लिए सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय द्वारा आयोजित एक सेमिनार में बोलते हुए देव ने कहा कि पिछले दस वर्षों में उपभोग के पैटर्न में काफी बदलाव आया है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी अनाज और फलों का हिस्सा केवल 10 प्रतिशत है, जो काफी कम है। उन्होंने कहा कि अंडे और मांस ने अनाज के हिस्से को खत्म कर दिया है। उन्होंने कहा कि कुछ वर्षों के बाद हर बार महत्वपूर्ण क्षेत्रों में आधार संशोधन की आवश्यकता होती है, क्योंकि अर्थव्यवस्था नए संरचनात्मक परिवर्तनों के लिए विकसित हो रही है। उन्होंने कहा कि परिवर्तनों को शामिल करने के लिए नए सूचकांक बनाए जा रहे हैं।

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