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ED: अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस पॉवर से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी की कार्रवाई, तीसरा आरोपी गिरफ्तार

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: नितिन गौतम Updated Fri, 07 Nov 2025 10:22 AM IST
सार

ED के मुताबिक, बिस्वाल ट्रेडलिंक सिर्फ एक कागजी कंपनी थी क्योंकि इसका रजिस्टर्ड ऑफिस बिस्वाल के एक रिश्तेदार की रिहायशी प्रॉपर्टी थी।

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ED makes Third arrest in Reliance Power fake bank guarantee linked PMLA case
ईडी की कार्रवाई - फोटो : ANI
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विस्तार
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ईडी ने अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस पॉवर के फर्जी बैंक गारंटी मामले में तीसरी गिरफ्तारी की है। यह मामला 68 करोड़ रुपये की फर्जी बैंक गारंटी से जुड़ा है। गिरफ्तार व्यक्ति की पहचान अमर नाथ दत्ता के रूप में हुई है, जिसे गुरुवार को प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत गिरफ्तार किया गया। केंद्रीय जांच एजेंसी ईडी पहले ही रिलायंस पॉवर के पूर्व सीएफओ अशोक कुमार पाल और ओडिशा स्थित बिस्वाल ट्रेडलिंक नामक कंपनी के एमडी पार्थ सारथी बिस्वाल को गिरफ्तार कर चुकी है। 
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अदालत ने आरोपी को चार दिन की हिरासत में भेजा
एक विशेष अदालत ने अमर नाथ दत्ता को चार दिन के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ED) की हिरासत में भेज दिया है। मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ा यह मामला रिलायंस पावर की सब्सिडियरी कंपनी रिलायंस NU BESS लिमिटेड (जो पहले महाराष्ट्र एनर्जी जेनरेशन लिमिटेड के नाम से जानी जाती थी) की ओर से सोलर एनर्जी कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (SECI) को जमा की गई 68.2 करोड़ रुपये की बैंक गारंटी से संबंधित है। यह बैंक गारंटी फर्जी पाई गई। ED ने आरोप लगाया था कि बिस्वाल ट्रेडलिंक बिजनेस ग्रुप्स को फर्जी बैंक गारंटी देने का रैकेट चला रहा था।
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ऐसे की गई धोखाधड़ी
ईडी के अनुसार, जांच में पाया गया कि रिलायंस NU BESS लिमिटेड ने फिलीपींस के मनीला में स्थित फर्स्टरैंड बैंक से बैंक गारंटी जमा की थी, लेकिन जांच में पता चला कि उस बैंक की फिलीपींस में कोई ब्रांच नहीं है। रिलायंस पावर ने पहले कहा था कि वह इस मामले में धोखाधड़ी, जालसाजी की साजिश का शिकार हुई है और उसने इस बारे में 7 नवंबर, 2024 को स्टॉक एक्सचेंज को जरूरी जानकारी दी थी। रिलायंस समूह के एक प्रवक्ता ने कहा था कि उन्होंने अक्टूबर 2024 में दिल्ली पुलिस की EOW में तीसरी पार्टी (आरोपी कंपनी) के खिलाफ एक क्रिमिनल शिकायत दर्ज कराई थी। ED के मुताबिक, बिस्वाल ट्रेडलिंक सिर्फ एक कागजी कंपनी थी क्योंकि इसका रजिस्टर्ड ऑफिस बिस्वाल के एक रिश्तेदार की रिहायशी प्रॉपर्टी थी।

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ED की जांच में पता चला कि भुवनेश्वर की कंपनी (बिस्वाल ट्रेडलिंक) sbi.co.in जैसा ही एक ईमेल डोमेन s-bi.co.in का इस्तेमाल कर रही थी ताकि यह दिखाया जा सके कि यह कम्युनिकेशन देश के सबसे बड़े कर्जदाता स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) द्वारा भेजा जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस नकली डोमेन का इस्तेमाल SECI को जाली कम्युनिकेशन भेजने के लिए किया गया था। 




 
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