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Report: सोने की कीमतों में तेजी वैश्विक वित्तीय प्रणाली में बड़े बदलाव का संकेत, डॉलर-यूरो पर घट रहा भरोसा

अमर उजाला ब्यूरो, नई दिल्ली Published by: कीर्तिवर्धन मिश्र Updated Fri, 07 Nov 2025 07:53 AM IST
सार

केयरएज रेटिंग्स ने गुरुवार को जारी रिपोर्ट में कहा, अमेरिकी डॉलर और यूरो जैसी पारंपरिक मुद्राओं को संप्रभु जोखिम एवं संरचनात्मक कमजोरियों के कारण चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। इन मुद्राओं के प्रति भरोसे में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है। वहीं, सोना राजनीतिक रूप से तटस्थ और महंगाई प्रतिरोधी मूल्य भंडार के रूप में फिर से उभरा है।

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Gold Prices US Dollar Euro Index Global Financial System changing news and updates
सोना vs डॉलर। - फोटो : ANI
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आर्थिक अनिश्चितता, व्यापार युद्ध और दुनियाभर में बढ़ते जोखिम के बीच सुरक्षित एसेट के रूप में सोने की कीमतों में हालिया तेजी वैश्विक वित्तीय प्रणाली में बड़े बदलाव का संकेत है। साथ ही, सोने की लगातार बढ़ती मांग राजकोषीय कमजोरियों, महंगाई के दबाव और भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं को उजागर करती है।
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केयरएज रेटिंग्स ने गुरुवार को जारी रिपोर्ट में कहा, अमेरिकी डॉलर और यूरो जैसी पारंपरिक मुद्राओं को संप्रभु जोखिम एवं संरचनात्मक कमजोरियों के कारण चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। इन मुद्राओं के प्रति भरोसे में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है। वहीं, सोना राजनीतिक रूप से तटस्थ और महंगाई प्रतिरोधी मूल्य भंडार के रूप में फिर से उभरा है।
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मौजूदा वैश्विक हालात के बीच खासकर ब्रिक्स समूह के केंद्रीय बैंक अपने आधिकारिक नकदी भंडार रणनीतियों को नए सिरे से तैयार कर रहे हैं। वे अमेरिकी डॉलर आधारित एसेट पर अपनी निर्भरता घटा रहे हैं और अपने नकदी भंडार में विविधता लाते हुए अधिक लचीला बना रहे हैं, जिसमें सोना महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि यह रणनीतिक बदलाव न सिर्फ मौद्रिक स्वायत्तता की इच्छा को दर्शाता है, बल्कि बाहरी झटकों से सुरक्षा सुनिश्चित करने के प्रयास का भी संकेत है। यह वैश्विक आर्थिक प्रभाव के व्यापक पुनर्संतुलन को भी दर्शाता है।

डॉलर से लगातार दूरी बना रहे दुनियाभर के केंद्रीय बैंक
रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनियाभर के केंद्रीय बैंकों के विदेशी मुद्रा भंडार में अमेरिकी डॉलर की हिस्सेदारी पिछले दो दशकों से लगातार घट रही है। 2000 में केंद्रीय बैंकों के विदेशी मुद्रा भंडार में डॉलर की हिस्सेदारी 71.1 फीसदी थी, जो 2024 में घटकर 57.8 फीसदी रह गई है। यह बताता है कि केंद्रीय बैंक डॉलर से धीरे-धीरे दूरी बना रहे हैं। केंद्रीय बैंक सक्रियता से अपने पोर्टफोलियो में विविधता ला रहे हैं। डॉलर मूल्य वाली संपत्तियों में निवेश घटा रहे हैं और रणनीतिक विकल्प के रूप में अधिक सोना जोड़ रहे हैं।

जनवरी, 2024 से 64 फीसदी चमका सोना
हाल के महीनों में सोने की कीमतों में भारी उछाल आया है। वैश्विक बाजार में सोना सितंबर, 2025 में औसतन 3,665 डॉलर प्रति औंस पहुंच गया, जो दो साल पहले की तुलना में लगभग दोगुना है। अक्तूबर में यह 4,000 डॉलर प्रति औंस के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गया। जनवरी, 2024 से 2025 के मध्य तक मजबूत निवेशक रुझान और केंद्रीय बैंक की खरीदारी के कारण सोने की कीमतें करीब 64 फीसदी बढ़ी हैं।

ऊंची कीमतों के बावजूद घरेलू मांग मजबूत
भारत में सितंबर, 2025 में सोने का आयात 10 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया, जो लगातार तीसरे महीने की वृद्धि दर्शाता है। यह वृद्धि त्योहारी सीजन में सोने की लगातार ऊंची कीमतों के बावजूद मजबूत घरेलू मांग की ओर इशारा करती है। केयरएज रेटिंग्स ने कहा, बदलते वैश्विक वित्तीय परिदृश्य के बीच सोने का नया आकर्षण सिर्फ एक वस्तु के रूप में ही नहीं, बल्कि प्रमुख रणनीतिक आरक्षित एसेट के रूप में भी है।
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