Financial Mistakes: नौकरी करने वाले कभी न करें ये 5 फाइनेंशियल गलतियां, वर्ना जिंदगीभर पड़ेगा पछताना
सैलरी बढ़ते ही लोग अक्सर अपने खर्चों को भी बढ़ा लेते हैं, जिसे 'लाइफस्टाइल इन्फ्लेशन' कहा जाता है। महंगे गैजेट्स, लग्जरी आइटम्स या बार-बार बाहर खाने जैसे फालतू खर्चे आपकी बचत को खत्म कर सकते हैं। इसका समाधान यह है कि अपनी बढ़ी हुई सैलरी का कम से कम 50 फीसद हिस्सा बचत या निवेश में लगाएं। आइए इस बारे में विस्तार से जानें।

विस्तार
नौकरीपेशा लोगों के लिए वित्तीय स्थिरता हासिल करना महत्वपूर्ण होता है। लेकिन अनजाने में की गईं कुछ सामान्य गलतियां, बचत और भविष्य की योजनाओं को प्रभावित कर सकती हैं। सैलरी बढ़ने के साथ खर्च बढ़ाना, क्रेडिट कार्ड का गलत इस्तेमाल, बचत और निवेश को नजरअंदाज करना, इमरजेंसी फंड की कमी, और बजट न बनाना जैसी गलतियां आगे चलकर वित्तीय संकट का कारण बन सकती हैं। इन गलतियों से बचकर आप अपने वित्तीय लक्ष्यों को आसानी से प्राप्त कर सकते हैं। आइए इन पांच वित्तीय गलतियों और उनसे बचने के तरीकों के बारे में जानते हैं।

सैलरी बढ़ने पर खर्च बढ़ाना
सैलरी बढ़ते ही लोग अक्सर अपने खर्चों को भी बढ़ा लेते हैं, जिसे 'लाइफस्टाइल इन्फ्लेशन' कहा जाता है। महंगे गैजेट्स, लग्जरी आइटम्स या बार-बार बाहर खाने जैसे फालतू खर्चे आपकी बचत को खत्म कर सकते हैं। इसका समाधान यह है कि अपनी बढ़ी हुई सैलरी का कम से कम 50 फीसद हिस्सा बचत या निवेश में लगाएं। उदाहरण के लिए, अगर आपकी सैलरी में 10,000 रुपए की वृद्धि होती है, तो कम से कम 5,000 रुपए को बचत खाते, म्यूचुअल फंड या अन्य निवेश विकल्पों में डालें।
क्रेडिट कार्ड का गलत इस्तेमाल
सैलरी बढ़ने के साथ कई लोग क्रेडिट कार्ड ले लेते हैं और हर छोटी-बड़ी खरीदारी के लिए इसका उपयोग शुरू कर देते हैं। क्रेडिट कार्ड के चार्जेस, लेट फी, और ब्याज दरों की जानकारी न होने पर यह वित्तीय बोझ बन सकता है। क्रेडिट कार्ड का उपयोग सीमित और सोच-समझकर करें। बिल समय पर चुकाएं और अनावश्यक खरीदारी से बचें। हमेशा अपने क्रेडिट कार्ड की शर्तों, जैसे वार्षिक शुल्क और ब्याज दर, को समझ लें ताकि आप अतिरिक्त खर्चों से बच सकें।
बचत और निवेश को नजरअंदाज करना
कई लोग सोचते हैं कि बचत और निवेश 30-35 साल की उम्र में शुरू करना चाहिए, लेकिन यह एक बड़ी गलती है। पहली नौकरी से ही अपनी सैलरी का 20-30 फीसद हिस्सा बचत और निवेश में लगाना शुरू करें। उदाहरण के लिए, सिप (SIP) के माध्यम से म्यूचुअल फंड में छोटी राशि से निवेश शुरू करें, जो लंबे समय में चक्रवृद्धि ब्याज के साथ बढ़ेगा। जल्दी शुरू करने से आपके पास रिटायरमेंट या बड़े वित्तीय लक्ष्यों के लिए पर्याप्त धन जमा हो सकता है।
इमरजेंसी फंड और हेल्थ इंश्योरेंस की अनदेखी
इमरजेंसी फंड और हेल्थ इंश्योरेंस को टालना वित्तीय सुरक्षा के लिए खतरनाक हो सकता है। अप्रत्याशित खर्चों, जैसे मेडिकल इमरजेंसी या नौकरी छूटने की स्थिति, के लिए कम से कम 6 महीने का इमरजेंसी फंड जरूरी है। उदाहरण के लिए, अगर आपका मासिक खर्च 50,000 रुपए है, तो 3 लाख रुपए का फंड बनाएं। इसके अलावा, एक अच्छा हेल्थ इंश्योरेंस प्लान लें, जो अस्पताल के खर्चों को कवर करे और आपकी बचत को सुरक्षित रखने में महत्वपूर्ण मददगार साबित होगा।
बजट न बनाना
अगर आपको यह नहीं पता कि आपकी सैलरी कहां खर्च हो रही है, तो पैसा जल्दी खत्म हो सकता है। बिना बजट बनाए खर्च करना वित्तीय अनुशासन को तोड़ता है। बजट बनाकर अपने खर्चों को श्रेणियों में बांटें, जैसे किराया, किराना, बचत, और मनोरंजन. उदाहरण के लिए, 50-30-20 नियम का पालन करें। सैलरी का 50 फीसद जरूरी खर्चों पर, 30 फीसद इच्छाओं की पूर्ति करने पर और 20 फीसद बचत व निवेश के लिए आवंटित किया जाना चाहिए। बजट बनाने से आप अनावश्यक खर्चों को कम कर सकते हैं और अपने वित्तीय लक्ष्यों की ओर बढ़ सकते हैं।
वित्तीय अनुशासन का महत्व
इन गलतियों से बचने के लिए वित्तीय अनुशासन अपनाना जरूरी है। नियमित रूप से अपनी आय और खर्चों की समीक्षा करें, और अपने वित्तीय लक्ष्य निर्धारित करें, जैसे घर खरीदना या रिटायरमेंट प्लानिंग। छोटे-छोटे कदम, जैसे ऑटोमेटेड बचत खाता या SIP, लंबे समय में बड़ा बदलाव ला सकते हैं। अगर आप निवेश के विकल्पों को समझने में नए हैं, तो वित्तीय सलाहकार की मदद लेना फायदेमंद हो सकता है।
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