Asian Tech Ecosystem: तकनीक के क्षेत्र में भारत की उड़ान तेज, मजबूत सरकारी-निजी तालमेल बन रहा वैश्विक पहचान
अमुंडी की रिपोर्ट के अनुसार भारत एशिया के टेक इकोसिस्टम में एक महत्पूर्ण खिलाड़ी के रूप में उभर रहा है। इसमें कहा गया है कि भारत मजबूत उत्पाद विकास कौशल और आईटी-सक्षम सेवाओं के साथ तालमेल का लाभ उठाकर धीरे-धीरे अपनी भूमिका बना रहा है।
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भारत एशिया के टेक इकोसिस्टम में एक महत्पूर्ण खिलाड़ी के रूप में उभर रहा है। फ्रांसीसी परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनी अमुंडी की रिपोर्ट के अनुसार इसे निजी क्षेत्र और सरकार के बीच मजबूत समन्वय का समर्थन प्राप्त है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत अपने मजबूत उत्पाद विकास कौशल और आईटी-सक्षम सेवाओं के माध्यम से बनाए गए तालमेल का लाभ उठाकर धीरे-धीरे वैश्विक तकनीकी परिदृश्य में अपनी जगह बना रहा है।
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तकनीकी नवाचार पर उद्योग जगत के लीडर्स और सरकारी पहलों के बीच समन्वय स्थिर प्रगति में योगदान दे रहा है। इससे देश एशिया के व्यापक प्रौद्योगिकी नेटवर्क में एक उभरती हुई शक्ति के रूप में स्थापित हो रहा है। इसमें कहा गया है कि भारत मजबूत उत्पाद विकास कौशल और आईटी-सक्षम सेवाओं के साथ तालमेल का लाभ उठाकर धीरे-धीरे अपनी भूमिका बना रहा है।
वैश्विक तकनीक में चीन भूमिका अहम
रिपोर्ट में कहा गया है कि चल रही वैश्विक तकनीकी तेजी में एशिया की भूमिका विविध है। खासकर चीनी तकनीकी क्षेत्र में, जैसे-जैसे यह तेजी व्यापक होती जाएगी, आगे बढ़ने की गुंजाइश बनी रहेगी। चीन आपूर्ति अनुशासन और मजबूत नवाचार महत्वाकांक्षाओं के बीच संतुलन बनाए रखने की कोशिश कर रहा है।
हालांकि, अमेरिका के विपरीत, चीन अभी तकनीकी महाचक्र का अनुभव नहीं कर रहा है। इसके बजाय, वह सब्सिडी पर अंकुश लगाने, अतिरिक्त क्षमता को कम करने और क्षेत्रीय प्रतिस्पर्धा को सीमित करने के लिए बनाई गई नीतियों द्वारा समर्थित सतत विकास को आगे बढ़ा रहा है।
एआई के क्षेत्र में यूरोप में कोई प्रभावशाली चैंपियन नहीं
रिपोर्ट में बताया गया है कि तुलनात्मक रूप से यूरोप में एआई के क्षेत्र में कोई प्रभावशाली चैंपियन नहीं है व आईटी व्यय में वह अमेरिका और चीन से पीछे है, जिससे प्रतिस्पर्धात्मकता में बढ़ते अंतर के बारे में चिंताएं पैदा होती हैं। ऊर्जा आपूर्ति की चुनौतियां, विशेष रूप से ब्रिटेन में, व प्रौद्योगिकी निवेश के लिए धीमी राजकोषीय सहायता भी यूरोप की एआई क्षमता को बाधित कर रही हैं।
इन चुनौतियों के बावजूद, उनका मानना है कि यूरोप में अभी भी कई अवसर मौजूद हैं। इनमें विद्युतीकरण से जुड़े क्षेत्र, कृत्रिम बुद्धिमत्ता से संबंधित पूंजीगत वस्तुएं, और घरेलू बाजारों पर केंद्रित छोटी से मध्यम आकार की कंपनियां शामिल हैं। ऐसे क्षेत्रों को उत्पादकता और नवाचार में क्रमिक वृद्धि से लाभ हो सकता है, बशर्ते यूरोप अपने बुनियादी ढांचे को मजबूत करे और कौशल विकास की कमियों को दूर करे।