OMCS: एलपीजी अंडर-रिकवरी बढ़ने से ओएमसी पर दबाव, सब्सिडी भी नहीं भर पा रही घाटे का अंतर
नुवामा रिसर्च की रिपोर्ट के अनुसार तेल विपणन कंपनियां एलपीजी अंडर-रिवरी के चलते भारी वित्तीय दबाव में है, भले ही सरकार आने वाले महीनों में सब्सिडी जारी करने की तैयारी कर रही है। रिपोर्ट के अनुसार कंपनियों का नुकासान फिलहाल 53,700 करोड़ रुपये पर पहुंच गया है। सरकार ओएमसी को 30,000 करोड़ रुपये की एलपीजी सब्सिडी 12 किश्तों में जारी करेगी।
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तेल विपणन कंपनियां (ओएमसी) एलपीजी अंडर-रिवरी के चलते भारी वित्तीय दबाव में है, भले ही सरकार आने वाले महीनों में सब्सिडी जारी करने की तैयारी कर रही है। नुवामा रिसर्च की ताजा रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है।
रिपोर्ट के अनुसार एलपीजी से जुड़ा कंपनियों का नुकासान फिलहाल 53,700 करोड़ रुपये पर पहुंच गया है। सरकार ओएमसी को 30,000 करोड़ रुपये की एलपीजी सब्सिडी 12 किश्तों में जारी करेगी। हालांकि यह सहायता सितंबर 2025 के अंत तक जमा हो चुकी कुल अंडर-रिकवरी 53,700 करोड़ रुपये के मुकाबले काफी कम है।
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घोषित सब्सिडी कंपनियों के नुकसान का 56% ही कवर कर रही
रिपोर्ट में चेतावनी दी है कि एलपीजी पर अंडर-रिकवरी आने वाले महीनों में और बढ़ सकती है। आमतौर पर सर्दियों में क्षेत्रीय एलपीजी कीमतों में तेजी आती है, जबकि घोषित सब्सिडी मौजूदा कुल नुकसान का सिर्फ 56% ही कवर करती है। ऐसे में सब्सिडी मिलने के बावजूद OMCs का वित्तीय अंतर और बढ़ने की आशंका है।
एलपीजी अंडर-रिकवरी वह घाटा है, जो कंपनियों को तब होता है जब एलपीजी आयात या सोर्सिंग की लागत खुदरा बिक्री मूल्य से ज्यादा होती है। सरकार इस अंतर को सब्सिडी के जरिए आंशिक रूप से पूरा करती है, लेकिन मौजूदा सब्सिडी स्तर पूरे बोझ को वहन करने के लिए पर्याप्त नहीं है।
सीजीडी कंपनियों के मूल्यांकन में गिरावट की आशंका
रिपोर्ट में शहर गैस वितरण (CGD) कंपनियों के मूल्यांकन में गिरावट आ सकती है, क्योंकि अनियमित सरकारी नीतियों के चलते क्षेत्र में अनिश्चितता बनी हुई है।अपस्ट्रीम मोर्चे पर, रिपोर्ट ने कहा कि ओएनजीसी का उत्पादन लक्ष्य ज्यादा आशावादी लग रहा है, क्योंकि कंपनी पिछले सात वर्षों से अपने निर्धारित लक्ष्य हासिल नहीं कर पाई है। वहीं, कमजोर मांग और मार्केटिंग आय में उतार-चढ़ाव के चलते GAIL पर भी सतर्क रुख बनाए रखने की सलाह दी गई है।
तेल और गैस क्षेत्र के सामने बढ़ती चुनौतियां
कुल मिलाकर, रिपोर्ट ने तेल और गैस क्षेत्र के सामने बढ़ती चुनौतियों को रेखांकित किया है। सब्सिडी मदद मिलने के बावजूद बढ़ती अंडर-रिकवरी, ऊंचे कैपेक्स और नीतिगत अनिश्चितताओं के चलते हालात निकट भविष्य में दबावपूर्ण बने रहने की संभावना है।