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Rupee Vs Dollar: मार्च 2026 तक रुपये में और गिरावट की आशंका, ₹90 प्रति यूएस डॉलर के नजदीक पहुंचने का अनुमान

बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: रिया दुबे Updated Thu, 20 Nov 2025 11:33 AM IST
सार

यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की ताजा रिपोर्ट के अनुसार मार्च 2026 तक रुपया धीरे-धीरे फिसलते हुए मनोवैज्ञानिक स्तर 90 प्रति डॉलर के करीब पहुंच सकता है। अनुमान है कि मौजूदा आर्थिक परिस्थितियों और वैश्विक कारकों को देखते हुए गिरावट का व्यापक रुझान जारी रहेगा। इससे अगले एक साल में मुद्रा पर और दबाव बन सकता है।

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Rupee expected to depreciate further by March 2026, projected to reach close to ₹90 per US dollar
डॉलर बनाम रुपया - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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भारतीय रुपये में कमजोरी का रुझान आने वाले महीनों में और गहरा सकता है। यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, मार्च 2026 तक रुपया धीरे-धीरे फिसलते हुए मनोवैज्ञानिक स्तर 90 प्रति डॉलर के करीब पहुंच सकता है।

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रुपये की दिशा तय करने में ये कारक निभाएंगे अहम भूमिका

रिपोर्ट में कहा गया है कि रुपये की दिशा तय करने में बुनियादी और तकनीकी दोनों तरह के कारक अहम भूमिका निभाएंगे। बैंक का अनुमान है कि मौजूदा आर्थिक परिस्थितियों और वैश्विक कारकों को देखते हुए गिरावट का व्यापक रुझान जारी रहेगा। इससे अगले एक साल में मुद्रा पर और दबाव बन सकता है।

भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता में प्रगति से रुपये को मिलेगा सहारा

इसमें कहा गया है कि तकनीकी दृष्टिकोण से, अगर भारतीय बाजारों में निरंतर इक्विटी प्रवाह होता है या भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता में ठोस प्रगति होती है, तो घरेलू मुद्रा मजबूत हो सकती है। ऐसी स्थिति में रुपया 87.80 रुपये प्रति डॉलर की ओर बढ़ सकता है, जबकि 88.30 रुपये प्रति डॉलर व्यापारियों के लिए प्रमुख मध्यवर्ती समर्थन स्तर के रूप में कार्य करेगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर भारत-अमेरिका व्यापार समझौता अंतिम रूप ले लेता है, तो इससे देश में दो से तीन अरब डॉलर का निवेश हो सकता है।


दूसरी ओर, रुपये में किसी भी तरह की कमजोरी को 88.80 रुपये प्रति डॉलर के आसपास कड़े प्रतिरोध का सामना करना पड़ सकता है, यह वह स्तर है जहां बिकवाली का दबाव आमतौर पर बढ़ जाता है। रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि इस स्तर से ऊपर एक निर्णायक बदलाव रुपये को तेजी से 89.30 रुपये प्रति डॉलर तक धकेल सकता है।

भू-राजनीतिक तनाव और टैरिफ संबंधि समाचार का बाजार पर पडे़गा असर 

रिपोर्ट के अनुसार भू-राजनीतिक तनाव और टैरिफ संबंधी समाचार बाजार की धारणा को आकार देने में महत्वपूर्ण बने रहेंगे। इस सप्ताह रुपये के एक सीमित दायरे में कारोबार करने की उम्मीद है, जिसमें हल्की बढ़त का रुझान है। इस रुझान को मजबूत होते अमेरिकी डॉलर सूचकांक (DXY) और उच्च घरेलू इक्विटी मूल्यांकन के कारण सतर्क विदेशी पोर्टफोलियो प्रवाह से समर्थन मिल रहा है।

महंगाई कम होने से ब्याज दरों में कटौती की उम्मीदें बढ़ी 

अन्य सहायक कारकों में ब्रेंट क्रूड की कीमतें 64 डॉलर प्रति बैरल से नीचे रहना, अक्तूबर माह में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) की 0.25 प्रतिशत की न्यूनतम रीडिंग, जो वर्ष-दर-वर्ष आधार पर है। इससे दिसंबर में आरबीआई द्वारा ब्याज दरों में कटौती की उम्मीदें बढ़ गई हैं, व घरेलू एसआईपी प्रवाह में स्थिरता शामिल है। इस साल रुपया नए रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया है। बैंक का मानना है कि 88 से 89 रुपये के स्तर की ओर हालिया रुख बुनियादी सिद्धांतों के अनुरूप है।


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