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Trade: 'निर्यात में वृद्धि के बावजूद चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा बढ़ सकता है', जानें रिपोर्ट में क्या दावा

बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: रिया दुबे Updated Fri, 19 Dec 2025 06:18 PM IST
सार

GTRI की रिपोर्ट के मुताबिक, 2025 में चीन को भारत के निर्यात में तेज लेकिन अस्थिर बढ़ोतरी देखी गई है। नवंबर में निर्यात सालाना आधार पर करीब 90% बढ़कर 2.2 अरब डॉलर पहुंचा और अप्रैल-नवंबर के दौरान कुल निर्यात 33% बढ़कर 12.2 अरब डॉलर रहा।

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India's trade deficit with China may widen despite export growth', find out what the report claims
सांकेतिक तस्वीर - फोटो : Adobestock
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विस्तार
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ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) की एक नई रिपोर्ट के मुताबिक, चीन को भारत के निर्यात में इस साल तेज लेकिन अस्थिर बढ़ोतरी के बावजूद दोनों देशों के बीच व्यापार घाटा और गहराने की आशंका है। रिपोर्ट में कहा गया है कि नवंबर 2025 में भारत का चीन को निर्यात सालाना आधार पर करीब 90 फीसदी बढ़कर 2.2 अरब डॉलर तक पहुंच गया। वहीं अप्रैल से नवंबर 2025 के दौरान कुल निर्यात 33 फीसदी बढ़कर 12.2 अरब डॉलर रहा। हालांकि यह बढ़ोतरी व्यापक आधार पर नहीं, बल्कि कुछ चुनिंदा उत्पादों तक सीमित रही।

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नेफ्था के कारण निर्यात पांच गुना बढ़ा

रिपोर्ट के अनुसार, निर्यात में इस उछाल का सबसे बड़ा कारण नेफ्था रहा। अक्तूबर में नेफ्था का निर्यात पांच गुना से ज्यादा बढ़ा, जबकि अप्रैल-अक्तूबर के दौरान इसमें 172 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई और यह 1.4 अरब डॉलर तक पहुंच गया। यह वृद्धि चीन में पेट्रोकेमिकल फीडस्टॉक की मजबूत मांग को दर्शाती है। इसके अलावा प्रिंटेड सर्किट बोर्ड और मोबाइल फोन कंपोनेंट्स जैसे कुछ इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादों के निर्यात में भी असाधारण उछाल देखा गया, जबकि भारत इन्हीं उत्पादों का चीन से बड़ा आयातक बना हुआ है।

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इसके उलट, पारंपरिक निर्यात उत्पादों का प्रदर्शन कमजोर और अस्थिर रहा। अप्रैल-अक्तूबर के दौरान लौह अयस्क (आयरन ओअर) के निर्यात में करीब 30 फीसदी की गिरावट आई, जबकि झींगा निर्यात में केवल मामूली बढ़त दर्ज की गई। GTRI ने कहा कि चीन को भारत के शीर्ष तीन निर्यात नेफ्था, आयरन ओअर और झींगा में साल-दर-साल तेज उतार-चढ़ाव देखा जा रहा है। यह चीन की मांग के चक्र से ज्यादा जुड़ा है, न कि किसी स्थिर या विविध निर्यात रणनीति से।

रिपोर्ट में कहा गया है कि निर्यात में हालिया तेजी के बावजूद चीन से भारत का आयात लगातार बढ़ रहा है। अनुमान है कि 2025 में चीन से आयात 123.5 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है, जिससे भारत का द्विपक्षीय व्यापार घाटा रिकॉर्ड 106 अरब डॉलर तक पहुंच जाएगा। वहीं, चीनी सीमा शुल्क आंकड़ों के अनुसार यह घाटा 115 अरब डॉलर से भी अधिक हो सकता है।

चीन से होने वाले आयात का 80 फीसदी हिस्सा इन क्षेत्रों से 

GTRI के मुताबिक, भारत के चीन से होने वाले आयात का करीब 80 फीसदी हिस्सा इलेक्ट्रॉनिक्स, मशीनरी, ऑर्गेनिक केमिकल्स और प्लास्टिक जैसे क्षेत्रों में केंद्रित है। अकेले इलेक्ट्रॉनिक्स आयात जनवरी से अक्तूबर 2025 के दौरान 38 अरब डॉलर तक पहुंच गया, जो चीन पर भारत की सप्लाई-चेन निर्भरता को दर्शाता है।

दोनों देशों के व्यापार आंकड़ों में लगातार बने रहे पर चिंता

रिपोर्ट ने भारत और चीन के व्यापार आंकड़ों में लगातार बने अंतर पर भी चिंता जताई। इसमें कहा गया कि भारत द्वारा रिपोर्ट किया गया आयात, चीन द्वारा बताए गए निर्यात से कम है, जो असामान्य है और अंडर-इनवॉयसिंग की संभावना की ओर इशारा करता है। GTRI ने कस्टम अधिकारियों से इस पर कड़ी निगरानी की जरूरत बताई।

अंत में रिपोर्ट ने चेतावनी दी कि जब तक प्रतिस्पर्धी विनिर्माण को बढ़ावा देने, अहम क्षेत्रों में आयात निर्भरता घटाने और व्यापार निगरानी को मजबूत करने के लिए ठोस कदम नहीं उठाए जाते, तब तक निर्यात में ऐसे अल्पकालिक उछाल भारत-चीन व्यापार के संरचनात्मक असंतुलन को दूर नहीं कर पाएंगे।

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