Report: भारतीय परिवारों के खर्च का तरीका बदला, रोजमर्रा की जरूरतों से आगे बढ़कर संपत्ति बनाने पर जोर
भारतीय परिवारों के खर्च करने के तरीके में बदलाव आ रहा है। रिपोर्ट के अनुसार अब घर-घर में बजट केवल रोजमर्रा की जरूरतों पर नहीं, बल्कि लंबे समय में उपयोगी साबित होने वाले सामानों पर भी कंद्रित होने लगा है। आइए विस्तार से जानते हैं।
विस्तार
भारतीय परिवार अपने खर्च की प्राथमिकताएं तेजी से बदल रहे हैं। प्रधानमंत्री आर्थिक सलाहकार परिषद की ताजा रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई है। रिपोर्ट के अनुसार अब घर-घर में बजट केवल रोजमर्रा की जरूरतों पर नहीं, बल्कि लंबे समय में उपयोगी साबित होने वाले सामानों पर भी कंद्रित होने लगा है।
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बुनियादी जरूरतों की तुलना में इन सामानों पर खर्च बढ़ा
रिपोर्ट के मुताबिक कपड़े और जूते-चप्पलों जैसी बुनियादी जरूरतों की तुलना में पर्सनल गुड्स और खाना पकाने व घरेलू उपकरणों पर खर्च बढ़ा है। खास बात यह है कि यह रुझान केवल उच्च आय वर्ग में ही नहीं, बल्कि निचले 40% आय वाले परिवारों में भी साफ दिखाई दे रहा है। इसमें कहा गया है कि यह बढ़ती जागरूकता, बेहतर वित्तीय पहुंच और मजबूत बाजार कनेक्टिविटी से प्रेरित है। यह उत्पादकता स्तर और जीवर स्तर में सुधार के लिए महत्वपूर्ण संकेत देता है।
मोटर व्हीकल ओनरशिप देश में सभी टिकाऊ परिसंपत्ति में सबसे तेज
हाउसहोल्ड कंजम्पशन एक्सपेंडिचर सर्वे 2011-12 और 2023-24 के तुलनात्मक विश्लेषण से पता चला कि मोटर व्हीकल ओनरशिप देश में सभी टिकाऊ परिसंपत्तियों में सबसे तेजी से बढ़ रहा है।
रिपोर्ट बताती है कि वाहन स्वामित्व में यह बढ़ोतरी शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के बीच तेजी से घटती खाई को भी दर्शाती है। यह रुझान न केवल कुल आबादी में, बल्कि निचले 40% आय वाले परिवारों में भी समान रूप से दिखाई दे रहा है। खासकर शहरी इलाकों में नीचे के आय वर्ग ने व्यापक आबादी के साथ उल्लेखनीय तालमेल बिठाया है। विशेषज्ञों के अनुसार, बेहतर सड़क अवसंरचना, बढ़ता बाजार संपर्क और वाहनों की आसान फाइनेंसिंग जैसी सुविधाएं इस तेज वृद्धि के प्रमुख कारण हैं।
टेलीविजन स्वामित्व में आई गिरावट
सर्वे के अनुसार जहां मोटर वाहन और अन्य टिकाऊ वस्तुओं की खरीद तेजी से बढ़ी है, वहीं टेलीविजन स्वामित्व में वृद्धि कहीं अधिक धीमी रही है। कई राज्यों के शहरी इलाकों में तो टीवी रखने वाले परिवारों की संख्या कुल आबादी और निचले 40% आय समूह दोनों में घटती दिखाई दी है।
मोबाइल फोन ले रही टीवी की जगह
रिपोर्ट के अनुसार, मोबाइल फोन की लगभग सार्वभौमिक पहुंच ने उपभोग की आदतों को बड़े पैमाने पर बदल दिया है। अब सूचना और मनोरंजन के प्राथमिक माध्यम के रूप में मोबाइल टीवी की जगह ले रही है।
चार प्रमुख टिकाऊ संपत्ती का विश्लेषण
सर्वे में मोटर व्हीकल, रेफ्रिजरेटर, टेलीविजन और मोबाइल हैंडसेट, इन चार प्रमुख टिकाऊ संपत्तियों पर किए गए विश्लेषण में पाया गया इन सामानों को रखने में लोगों के बीच का फर्क तेजी से कम हो रहा है। खासकर शहरी इलाकों में, अमीर और गरीब घरों के बीच इन चीजों के स्वामित्व का अंतर पहले की तुलना में बहुत तेजी से घटा है। यानी अब अलग-अलग आय वाले परिवार इन सामानों तक लगभग बराबर पहुंच बना रहे हैं।
मोटर वाहन स्वामित्व में असमानता हो रही कम
रिपोर्ट बताती है कि मोटर वाहन स्वामित्व में असमानता ग्रामीण क्षेत्रों में भी कम हो रही है, लेकिन शहरी इलाकों में यह अंतर कहीं तेजी से घटा है। इसी तरह, रेफ्रिजरेटर स्वामित्व में भी मजबूत कन्वर्जेंस दिखा है, जिसमें शहरी विकास प्रमुख भूमिका निभा रहा है।
मोबाइल फोन की पहुंच हुई सार्वभौमिक
रिपोर्ट के मुताबिक मोबाइल फोन अब देश का सबसे ज्यादा बराबरी वाला टिकाऊ सामान बन चुका है। शीर्ष 20% और निचले 40% दोनों ही समूहों में मोबाइल का इस्तेमाल लगभग सार्वभौमिक है, यानी लगभग हर घर में मोबाइल पहुंच चुका है।
बदलाव ग्रामीण और शहरी दोनों इलाकों में दिख रहा
विश्लेषण से यह भी सामने आया है कि अलग-अलग आय समूहों निचलें 40%, 40-60%, 60-80% और शीर्ष 20% में अब पहले से कहीं ज्यादा परिवार एक से अधिक टिकाऊ सामान श्रेणियां रखने लगे हैं। यह बदलाव ग्रामीण और शहरी दोनों ही क्षेत्रों में दिख रहा है, जो बताता है कि खपत समूहों के बीच का अंतर तेजी से कम हो रहा है।
टिकाऊ संपत्ति न रखने वालें परिवारों की हिस्सेदारी 5%
रिपोर्ट का एक महत्वपूर्ण निष्कर्ष यह है कि अब कोई भी टिकाऊ संपत्ति न रखने वाले परिवारों की हिस्सेदारी पूरे देश में केवल पांच प्रतिशत या उससे भी कम रह गई है। यह दर्शाता है कि भारत में परिसंपत्ति गरीबी में भारी कमी आई है।