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Narayana Murthy: 'हफ्ते में 85-90 घंटे काम किया, मेहनत बेकार...'; 70 घंटे वाले बयान के बाद बोले इंफोसिस फाउंडर
बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: ज्योति भास्कर
Updated Sat, 09 Dec 2023 01:22 PM IST
सार
इंफोसिस के को-फाउंडर नारायणमूर्ति ने कामकाजी घंटों को लेकर नया बयान दिया है। उन्होंने कहा कि एक समय था जब उन्होंने एक सप्ताह में खुद 85-90 घंटे तक काम किया।
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एनआर नारायणमूर्ति (फाइल)
- फोटो : Social Media
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विस्तार
सॉफ्टवेयर दिग्गज इंफोसिस के सह संस्थापक नारायणमूर्ति ने दफ्तर में कामकाजी घंटों पर नया बयान दिया है। देश के चुनिंदा उद्यमियों में गिने जाने वाले नारायणमूर्ति ने कहा कि जो भी देश समृद्ध हुआ, उसने कड़ी मेहनत से ऐसा किया। उन्होंने कहा कि इंफोसिस में काम करने के दौरान कई बार ऐसा समय भी आया जब उन्होंने एक सप्ताह में 85-90 घंटे तक काम किया। उन्होंने कहा, 'यह बर्बादी नहीं है।'
करीब 30 साल पुराना अनुभव याद करते हुए नारायणमूर्ति ने कहा, उन्होंने अपनी कंपनी की स्थापना के दौरान खुद ही हफ्ते में 70 घंटे या कई बार उससे अधिक भी घंटों तक लगातार काम किया था। अब ताजा घटनाक्रम में इकोनॉमिक टाइम्स के साथ एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि 1994 तक वह हफ्ते में 85 से 90 घंटे तक काम किया करते थे। उन्होंने कहा, सुबह 6:20 बजे ऑफिस पहुंचने के बाद रात 8:30 बजे ऑफिस से निकलता था। हफ्ते में छह दिन काम करता था।
नारायणमूर्ति ने दोहराया, 'मेरे 40 से अधिक साल के पेशेवर जीवन के दौरान, उन्होंने सप्ताह में 70 घंटे काम किया। हमारा सप्ताह छह दिन का था। 1994 तक मैं सप्ताह में कम से कम 85 से 90 घंटे काम करता था। ऐसा करना समय की बर्बादी नहीं है।'
उन्होंने कहा, उनके माता-पिता ने उन्हें सिखाया था कि गरीबी से बचने का एकमात्र तरीका 'बहुत कड़ी मेहनत' करना है। हालांकि, उन्होंने साफ किया कि कामकाजी घंटे इतने लंबे तभी होते हैं जब व्यक्ति को प्रत्येक कामकाजी घंटे से अच्छे नतीजे और उत्पादकता मिल रही हो। बता दें कि इससे पहले, अक्तूबर में इंफोसिस के पूर्व मुख्य वित्तीय अधिकारी (सीएफओ) मोहनदास पई के साथ बातचीत के दौरान नारायणमूर्ति का 70 घंटे काम वाला बयान सुर्खियों में रहा था।
इंफोससि के को-फाउंडर नारायणमूर्ति ने कहा था कि अगर भारत चीन और जापान जैसे सबसे तेजी से बढ़ते देशों के साथ प्रतिस्पर्धा चाहता है तो उसे कामकाजी घंटों के साथ-साथ कार्य उत्पादकता बढ़ाने की जरूरत है। उन्होंने कहा, 'द्वितीय विश्व युद्ध के बाद, जर्मनी और जापान के लोगों ने अपने देश के विकास पर ध्यान दिया। अर्थव्यवस्था के तेज विकास के लिए इन देशों में कई हफ्तों तक अतिरिक्त घंटों में काम किया गया। उन्होंने कहा, भारत में युवा भी देश के मालिक हैं। सभी हमारी अर्थव्यवस्था के लिए कड़ी मेहनत करते हैं।
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करीब 30 साल पुराना अनुभव याद करते हुए नारायणमूर्ति ने कहा, उन्होंने अपनी कंपनी की स्थापना के दौरान खुद ही हफ्ते में 70 घंटे या कई बार उससे अधिक भी घंटों तक लगातार काम किया था। अब ताजा घटनाक्रम में इकोनॉमिक टाइम्स के साथ एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि 1994 तक वह हफ्ते में 85 से 90 घंटे तक काम किया करते थे। उन्होंने कहा, सुबह 6:20 बजे ऑफिस पहुंचने के बाद रात 8:30 बजे ऑफिस से निकलता था। हफ्ते में छह दिन काम करता था।
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नारायणमूर्ति ने दोहराया, 'मेरे 40 से अधिक साल के पेशेवर जीवन के दौरान, उन्होंने सप्ताह में 70 घंटे काम किया। हमारा सप्ताह छह दिन का था। 1994 तक मैं सप्ताह में कम से कम 85 से 90 घंटे काम करता था। ऐसा करना समय की बर्बादी नहीं है।'
उन्होंने कहा, उनके माता-पिता ने उन्हें सिखाया था कि गरीबी से बचने का एकमात्र तरीका 'बहुत कड़ी मेहनत' करना है। हालांकि, उन्होंने साफ किया कि कामकाजी घंटे इतने लंबे तभी होते हैं जब व्यक्ति को प्रत्येक कामकाजी घंटे से अच्छे नतीजे और उत्पादकता मिल रही हो। बता दें कि इससे पहले, अक्तूबर में इंफोसिस के पूर्व मुख्य वित्तीय अधिकारी (सीएफओ) मोहनदास पई के साथ बातचीत के दौरान नारायणमूर्ति का 70 घंटे काम वाला बयान सुर्खियों में रहा था।
इंफोससि के को-फाउंडर नारायणमूर्ति ने कहा था कि अगर भारत चीन और जापान जैसे सबसे तेजी से बढ़ते देशों के साथ प्रतिस्पर्धा चाहता है तो उसे कामकाजी घंटों के साथ-साथ कार्य उत्पादकता बढ़ाने की जरूरत है। उन्होंने कहा, 'द्वितीय विश्व युद्ध के बाद, जर्मनी और जापान के लोगों ने अपने देश के विकास पर ध्यान दिया। अर्थव्यवस्था के तेज विकास के लिए इन देशों में कई हफ्तों तक अतिरिक्त घंटों में काम किया गया। उन्होंने कहा, भारत में युवा भी देश के मालिक हैं। सभी हमारी अर्थव्यवस्था के लिए कड़ी मेहनत करते हैं।