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New Labour Code: आपकी तनख्वाह, काम के घंटे और पीएफ पर नए लेबर कानूनों का क्या असर पड़ने वाला है? जानें सब कुछ
बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: अभिषेक दीक्षित
Updated Thu, 23 Jun 2022 03:50 PM IST
सार
नए लेबर कानूनों के लागू होने के बाद से जहां पीएफ में कर्मियों का योगदान बढ़ जाएगा वहीं उनकी हाथ में आने वाली तनख्वाह कम हो जाएगी। सरकार चार नए लेबर कोड को लागू करने की तैयारी में जुटी है। सरकार का मानना है कि नए लेबर कानूनों को अपनाने से जहां देश में निवेश बढ़ेगा वहीं रोजगार की संभावनाएं भी बढेंगीं।
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प्रतीकात्मक तस्वीर
- फोटो : iStock
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विस्तार
देश के लेबर कानूनों में सामाजिक सुरक्षा, कामकाजी लोगों की बेहतरी, सुरक्षा और काम के बेहतर हालात को सुरक्षित करने के लिए सरकार नए लेबर कोड के तहत सुधार करने की तैयारी कर चुकी है। सरकार से जुड़े सूत्रों के अनुसार केन्द्र जुलाई महीने की एक तारीख से नए लेबर कानूनों को लागू कर सकता है। अगर नए लेबर कोड के तहत लेबर कानूनों में सुधार का यह कदम उठाया जाता है तो इससे कर्मियों के काम के घंटे, ईपीफ में उनके योगदान और इन हैंड सैलरी में भी कई बदलाव आएंगे।
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नए लेबर कानूनों के लागू होने के बाद से जहां पीएफ में कर्मियों का योगदान बढ़ जाएगा वहीं उनकी हाथ में आने वाली तनख्वाह कम हो जाएगी। सरकार चार नए लेबर कोड को लागू करने की तैयारी में जुटी है। सरकार का मानना है कि नए लेबर कानूनों को अपनाने से जहां देश में निवेश बढ़ेगा वहीं रोजगार की संभावनाएं भी बढेंगीं। सरकार से जुड़े सुत्रों के अनुसार नए लेबर कानून लागू करने का उद्देश्य कामगारों की सामाजिक सुरक्षा जिसमें पेंशन और ग्रेच्यूटी, श्रमिक कल्याण, स्वास्थ्य, सुरक्षा और काम के हालातों में सुधार करना है। महिलाओं के लिए वर्कप्लेस पर सुरक्षा सुनिश्चित रहे इस पर भी नए लेबर कोड में प्रावधान किए जाएंगे।
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आइए जानते हैं नए लेबर कानूनों के लागू होने के बाद कौन-कौन से बदलाव देखने को मिलेंगे-
1. अगर नए लेबर लॉ लागू किए जाते हैं तो इसके तहत कंपनियों को काम के घंटे बढ़ाने की छूट मिलेगी। वे काम के घंटों को 8-9 घंटों से बढ़ाकर 12 घंटे तक कर सकते हैं। इसके बदले कंपनियों को कर्मियों को हफ्ते में तीन दिन साप्ताहिक छुट्टी देनी होगी। ऐसे में, सरकार की मंशा पूरे हफ्ते में काम के घंटे बढ़ाने की नहीं है।
2. नए लेबर कानूनों के लागू होने के बाद से कामगारों के लिए ओवरटाइम के घंटे 50 घंटे (फैक्ट्री एक्ट के तहत) से बढ़ाकर 125 घंटों (नए लेबर कोड के अनुसार) तक बढ़ाए जा सकेंगे।
3. इन कानूनों के लागू होने के बाद से टेक होम सैलरी और ईपीफ में कर्मियों के योगदान में भी बदलाव आएगा। नए लेबर कानूनों में कामगारों की बेसिक सैलरी ग्रॉस सैलरी के कम से कम 50 प्रतिशत रखने का प्रावधान किया जा सकता है। इससे पीएफ में नियोक्ता और कर्मचारी के योगदान में इजाफा हो जाएगा। इसका दूसरा असर यह होगा कि इससे कामगारों की टेक होम सैलरी घट जाएगी। इस प्रावधान के प्रभाव में आने से निजी क्षेत्र के कर्मचारी खासे प्रभावित होंगे।
4. नए कानूनों के तहत रिटायरमेंट के बाद मिलने वाली एकमुश्त राशि और ग्रेच्यूटी में भी इजाफा होगा। इससे रिटायरमेंट के बाद लोगों को अपना जीवन बेहतर बनाने में मदद मिलेगी।
5. सरकार नए लेबर कानूनों के तहत कर्मियों की लीव को भी युक्तिसंगत बनाने पर विचार कर रही है। एक साल में अगर कर्मियों के लीव बच जाते हैं तो उसे अगले साल के कैंलेंडर में जोड़ने का प्रावधान नए लेबर कानूनों में हो सकता है। इसके अलावे साल में काम के कम से कम दिवसों को 240 दिनों से घटना 180 दिन किया जा सकता है। हालांकि साल में कुल लीव में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा। हर 20 दिन के काम पर एक दिन के लीव का प्रावधान किया जा सकता है। इसके साथ ही महीने के 30 दिनों में बचे हुए लीव को आगे बढ़ाने को लेकर भी कोई सीमा नहीं रखी जा सकती है, मतलब लीव को कैरी फॉरवर्ड किया जा सकता है।
6. नए लेबर कोड के तहत वर्क फ्रॉम को कानूनी ढांचे के भीतर लाया जा सकता है। आपको बता दें कि देश में कोरोना महामारी के दौरान कई सेक्टरों में वर्क फ्रॉम होम ही कर्मियों से काम लेने का सहारा बना था। ऐसे में सरकार की योजना है कि इसे कानूनी तौर पर मान्यता देते हुए इसका इस्तेमाल देश के कामगारों के लिए खासकर, देश के सर्विस सेक्टर में किया जा सकता है।
आपको बता दें कि देश में फिलहाल 23 राज्यों ने लेबर कोड के नए प्रावधानों को अपनी सहमति दे दी है। 7 और राज्यों को सहमति देनी बाकी है। इस नए लेबर कोर्ड को संसद से पारित किया जा चुका है।