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Tobacco Bill: अब महंगे होंगे तंबाकू और पान मसाले, टैक्स नियमों से जुड़ा विधेयक लाई सरकार; जानिए इसका कितना असर

बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: रिया दुबे Updated Mon, 01 Dec 2025 03:00 PM IST
सार

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में तंबाकू उत्पादों और पान मसाला से जुड़े दो अहम विधेयक पेश किए हैं। पहला विधेयक केंद्रीय उत्पाद शुल्क (संशोधन), 2025 वर्तमान में लागू जीएसटी क्षतिपूर्ति सेस की जगह लेगा। दूसरी ओर, स्वास्थ्य सुरक्षा से राष्ट्रीय सुरक्षा उपकर विधेयक, 2025 पान मसाला जैसे उत्पादों के निर्माण पर नया सेस लगाने का अधिकार देता है। आइए विस्तार से जानते हैं। 

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Tobacco and pan masala will now be more expensive, the government has introduced a bill related to tax rules
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण - फोटो : PTI
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विस्तार
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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को लोकसभा में दो अहम विधेयक पेश किए, जिनके तहत तंबाकू उत्पादों और पान मसाला पर कर व्यवस्था में बड़ा बदलाव किया जाएगा। सरकार का यह कदम सिन गुड्स पर कर ढांचे को नया रूप देने जा रहा है।

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पहला विधेयक क्षतिपूर्ति सेस की जगह लेगा

पहला विधेयक केंद्रीय उत्पाद शुल्क (संशोधन), 2025 वर्तमान में लागू जीएसटी क्षतिपूर्ति सेस की जगह लेगा। अभी यह सेस सिगरेट, चबाने वाले तंबाकू, सिगार, हुक्का, जर्दा और सुगंधित तंबाकू सहित सभी तंबाकू उत्पादों पर लगाया जाता है।

विधेयक का उद्देश्य 

इस विधेयक का उद्देश्य जीएसटी क्षतिपूर्ति सेस खत्म होने के बाद भी इन उत्पादों पर कर बोझ को सुरक्षित रखना है। विधेयक के उद्देश्यों और कारणों में स्पष्ट कहा गया है कि यह सरकार को तंबाकू और उसके उत्पादों पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क बढ़ाने की वित्तीय गुंजाइश देगा, ताकि कुल टैक्स भार में गिरावट न आए।


इस नए ढांचे के तहत सिगरेट, सिगार और चिरूट पर ₹5,000 से ₹11,000 प्रति 1,000 स्टिक की दर से उत्पाद शुल्क लगाने का प्रस्ताव है। वहीं, बिना प्रसंस्कृत तंबाकू पर 60 से 70% और निकोटिन व इनहेलेशन आधारित उत्पादों पर 100% उत्पाद शुल्क का प्रावधान किया गया है। अभी सिगरेट पर 5% मूल्यानुसार क्षतिपूर्ति के अलावा लंबाई के आधार पर ₹2,076 से ₹3,668 प्रति 1,000 स्टिक तक का क्षतिपूर्ति सेस लगाया जाता है।

क्षतिपूर्ति उपकर समाप्त होने से उन उत्पादों पर 40% जीएसटी और उत्पाद शुल्क लागू

क्षतिपूर्ति उपकर समाप्त होने के बाद, तंबाकू और संबंधित उत्पादों की बिक्री पर 40 प्रतिशत जीएसटी और उत्पाद शुल्क लगेगा, जबकि पान मसाला पर 40 प्रतिशत जीएसटी और स्वास्थ्य सुरक्षा से राष्ट्रीय सुरक्षा उपकर लगेगा।  वर्तमान में तंबाकू और पान मसाला जैसे उत्पादों पर 28% जीएसटी के साथ अलग-अलग दरों पर क्षतिपूर्ति सेस लगता है, जिसे अब नए ढांचे से प्रतिस्थापित किया जाएगा।

दूसरा विधेयक नया सेस लगाने का अधिकार देता है

दूसरी ओर, स्वास्थ्य सुरक्षा से राष्ट्रीय सुरक्षा उपकर विधेयक, 2025 पान मसाला जैसे उत्पादों के निर्माण पर नया सेस लगाने का अधिकार देता है। सरकार जरूरत पड़ने पर किसी अन्य उत्पाद को भी इस सेस के दायरे में ला सकेगी।

टीएमसी सांसद ने किया विधेयक का विरोध

वहीं, टीएमसी सांसद सौगत रॉय ने इन विधेयकों का विरोध किया। उनका कहना था कि तंबाकू नुकसानदायक है, लेकिन केंद्रीय उत्पाद शुल्क (संशोधन) विधेयक में इसका जिक्र तक नहीं है। इसके अलावा उन्होंने कहा कि सेस की रकम राज्यों के साथ साझा नहीं होती, इसलिए वह इस नए सेस का विरोध करते हैं।

राजस्व नुकसान की भरपाई के लिए सेस लगाया गया था

जीएसटी शुरू होने के समय (1 जुलाई 2017) राज्यों को होने वाले राजस्व नुकसान की भरपाई के लिए  क्षतिपूर्ति उपकर लगाया गया था, जिसकी अवधि 5 साल तय की गई थी। बाद में इसे बढ़ाकर मार्च 2026 कर दिया गया, ताकि कोविड काल में राज्यों को मुआवजा देने के लिए केंद्र द्वारा लिए गए कर्ज की भरपाई हो सके। यह कर्ज दिसंबर 2025 के आसपास पूरा चुक जाने की उम्मीद है, जिसके बाद क्षतिपूर्ति उपकर पूरी तरह खत्म हो जाएगा।

जीएसटी परिषद ने 3 सितंबर 2025 को फैसला किया था कि तंबाकू और पान मसाला पर  क्षतिपूर्ति उपकर तब तक जारी रहेगा जब तक कर्ज पूरा नहीं चुक जाता। दूसरी ओर, अन्य लग्जरी सामानों पर क्षतिपूर्ति उपकर सितंबर 2025 में खत्म हो गया, जब जीएसटी ढांचे में बदलाव कर केवल दो दरें, 5% और 18% रखी गईं। बहुत महंगे उत्पादों, एरेटेड ड्रिंक्स और अन्य अवगुण वस्तुओं पर 40% की दर तय की गई।

अब सरकार की ओर से लाए गए केंद्रीय उत्पाद शुल्क संशोधन विधेयक, 2025 और स्वास्थ्य सुरक्षा से राष्ट्रीय सुरक्षा उपकर विधेयक, 2025 यह सुनिश्चित करेंगे कि क्षतिपूर्ति उपकर खत्म होने के बाद भी तंबाकू और पान मसाला पर टैक्स का कुल भार पहले जैसा ही बना रहे, ताकि सरकार को राजस्व का नुकसान न हो और इन उत्पादों पर सख्त कर नीति जारी रहे।


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