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Uranium Mines: अब विदेश से यूरेनियम का खनन करेगा भारत? खदानों की पहचान के लिए NTPC नियुक्त करेगी सलाहकार
बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: पवन पांडेय
Updated Sun, 28 Sep 2025 12:00 PM IST
सार
एनटीपीसी का यह कदम न सिर्फ उसकी ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करेगा, बल्कि भारत को भी स्वदेशी परमाणु ऊर्जा क्षमता बढ़ाने में मदद करेगा। विदेशों से यूरेनियम खदानों में हिस्सेदारी लेने से भारत को वैश्विक बाजार पर कम निर्भर रहना पड़ेगा। इससे आने वाले वर्षों में परमाणु ऊर्जा उत्पादन को तेज गति मिल सकती है।
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सांकेतिक तस्वीर
- फोटो : ANI
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विस्तार
ऊर्जा कंपनी एनटीपीसी लिमिटेड अब परमाणु ऊर्जा उत्पादन के लिए जरूरी यूरेनियम की सप्लाई सुनिश्चित करने के कदम उठा रही है। इसके तहत कंपनी विदेशों में यूरेनियम खदानों की पहचान करने के लिए एक सलाहकार नियुक्त करेगी। यह कदम यूरेनियम कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (यूसीआईएल) के साथ समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद उठाया जाएगा।
यह भी पढ़ें - NTPC Dividend: एनटीपीसी ने वित्त वर्ष 2025 के लिए सरकार को 3248 करोड़ रुपये का अंतिम लाभांश सौंपा, जानें अपडेट
भविष्य को ध्यान में रखकर लिया गया फैसला
कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यह फैसला एनटीपीसी के भविष्य के स्वतंत्र परमाणु ऊर्जा परियोजनाओं को कच्चा माल उपलब्ध कराने की योजना का हिस्सा है। अभी एनटीपीसी का फोकस न सिर्फ थर्मल और सोलर ऊर्जा पर है, बल्कि वह परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में भी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराना चाहती है।
राजस्थान में 42000 करोड़ का परमाणु प्रोजेक्ट
फिलहाल एनटीपीसी, न्यूक्लियर पावर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एनपीसीआईएल) के साथ ज्वाइंट वेंचर के तहत राजस्थान में एक बड़ा परमाणु ऊर्जा प्रोजेक्ट स्थापित कर रही है। इस प्रोजेक्ट में एनटीपीसी की 49% हिस्सेदारी होगी, जबकि एनपीसीआईएल की 51% हिस्सेदारी रहेगी। इस प्रोजेक्ट का कुल निवेश लगभग 42000 करोड़ रुपये है। इसका नाम माही बांसवाड़ा राजस्थान एटॉमिक पावर प्रोजेक्ट (एमबीआरएपीपी) रखा गया है। प्रधानमंत्री मोदी ने हाल ही में बांसवाड़ा में इस परियोजना की आधारशिला रखी। यह परियोजना अनुषक्ति विद्युत निगम लिमिटेड नाम के संयुक्त उद्यम (जेवी) कंपनी के जरिए स्थापित की जा रही है।
एनटीपीसी की नई दिशा- खुद की परमाणु परियोजनाएं
एनटीपीसी के सीएमडी गुरदीप सिंह ने हाल ही में बताया कि कंपनी भविष्य में स्वतंत्र परमाणु परियोजनाएं स्थापित करने की दिशा में काम कर रही है। इसके लिए कंपनी कई न्यूक्लियर टेक्नोलॉजी प्रदाताओं और राज्य सरकारों के साथ मिलकर काम कर रही है। इससे एनटीपीसी को अपने ऊर्जा पोर्टफोलियो को और विविध बनाने का मौका मिलेगा।
विदेशी यूरेनियम खदानों की तलाश
कंपनी के एक अधिकारी ने बताया, 'हम यूरेनियम कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (यूसीआईएल) के साथ एक संयुक्त उद्यम समझौते पर हस्ताक्षर करने की प्रक्रिया में हैं। यह समझौता विदेशी यूरेनियम खदानों की टेक्नो-कमर्शियल जांच के लिए होगा। बोर्ड से मंजूरी मिलने के बाद सलाहकार की नियुक्ति की जाएगी।' यह सलाहकार कई देशों में यूरेनियम खदानों के संभावित स्थानों की पहचान करेगा और फिर एनटीपीसी यह तय करेगी कि किन खदानों में निवेश करना है। मूल्यांकन के दौरान भंडार की मात्रा, लॉजिस्टिक लागत, और अन्य कारकों को ध्यान में रखा जाएगा। इससे एनटीपीसी को भविष्य में यूरेनियम की स्थायी सप्लाई सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी।
यह भी पढ़ें - Crisil Report: भारतीय उत्पादों पर अमेरिका की भारी टैरिफ से बढ़ सकती है चुनौती, क्रिसिल की रिपोर्ट में दावा
क्यों जरूरी है यूरेनियम?
यूरेनियम एक प्राकृतिक धात्विक तत्व है, जो परमाणु बिजलीघरों में ईंधन के रूप में उपयोग किया जाता है। यह परमाणु ऊर्जा उत्पादन का सबसे महत्वपूर्ण कच्चा माल है। विश्वसनीय यूरेनियम सप्लाई के बिना परमाणु बिजलीघर लंबे समय तक सुचारु रूप से नहीं चल सकते।
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भविष्य को ध्यान में रखकर लिया गया फैसला
कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यह फैसला एनटीपीसी के भविष्य के स्वतंत्र परमाणु ऊर्जा परियोजनाओं को कच्चा माल उपलब्ध कराने की योजना का हिस्सा है। अभी एनटीपीसी का फोकस न सिर्फ थर्मल और सोलर ऊर्जा पर है, बल्कि वह परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में भी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराना चाहती है।
राजस्थान में 42000 करोड़ का परमाणु प्रोजेक्ट
फिलहाल एनटीपीसी, न्यूक्लियर पावर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एनपीसीआईएल) के साथ ज्वाइंट वेंचर के तहत राजस्थान में एक बड़ा परमाणु ऊर्जा प्रोजेक्ट स्थापित कर रही है। इस प्रोजेक्ट में एनटीपीसी की 49% हिस्सेदारी होगी, जबकि एनपीसीआईएल की 51% हिस्सेदारी रहेगी। इस प्रोजेक्ट का कुल निवेश लगभग 42000 करोड़ रुपये है। इसका नाम माही बांसवाड़ा राजस्थान एटॉमिक पावर प्रोजेक्ट (एमबीआरएपीपी) रखा गया है। प्रधानमंत्री मोदी ने हाल ही में बांसवाड़ा में इस परियोजना की आधारशिला रखी। यह परियोजना अनुषक्ति विद्युत निगम लिमिटेड नाम के संयुक्त उद्यम (जेवी) कंपनी के जरिए स्थापित की जा रही है।
एनटीपीसी की नई दिशा- खुद की परमाणु परियोजनाएं
एनटीपीसी के सीएमडी गुरदीप सिंह ने हाल ही में बताया कि कंपनी भविष्य में स्वतंत्र परमाणु परियोजनाएं स्थापित करने की दिशा में काम कर रही है। इसके लिए कंपनी कई न्यूक्लियर टेक्नोलॉजी प्रदाताओं और राज्य सरकारों के साथ मिलकर काम कर रही है। इससे एनटीपीसी को अपने ऊर्जा पोर्टफोलियो को और विविध बनाने का मौका मिलेगा।
विदेशी यूरेनियम खदानों की तलाश
कंपनी के एक अधिकारी ने बताया, 'हम यूरेनियम कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (यूसीआईएल) के साथ एक संयुक्त उद्यम समझौते पर हस्ताक्षर करने की प्रक्रिया में हैं। यह समझौता विदेशी यूरेनियम खदानों की टेक्नो-कमर्शियल जांच के लिए होगा। बोर्ड से मंजूरी मिलने के बाद सलाहकार की नियुक्ति की जाएगी।' यह सलाहकार कई देशों में यूरेनियम खदानों के संभावित स्थानों की पहचान करेगा और फिर एनटीपीसी यह तय करेगी कि किन खदानों में निवेश करना है। मूल्यांकन के दौरान भंडार की मात्रा, लॉजिस्टिक लागत, और अन्य कारकों को ध्यान में रखा जाएगा। इससे एनटीपीसी को भविष्य में यूरेनियम की स्थायी सप्लाई सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी।
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क्यों जरूरी है यूरेनियम?
यूरेनियम एक प्राकृतिक धात्विक तत्व है, जो परमाणु बिजलीघरों में ईंधन के रूप में उपयोग किया जाता है। यह परमाणु ऊर्जा उत्पादन का सबसे महत्वपूर्ण कच्चा माल है। विश्वसनीय यूरेनियम सप्लाई के बिना परमाणु बिजलीघर लंबे समय तक सुचारु रूप से नहीं चल सकते।