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भारत-रूस व्यापार: पुतिन के दौरे से व्यापार घाटा कम करने का अवसर, मेड इन इंडिया और नई तकनीक को बड़ा सहारा

Himanshu Mishr हिमांशु मिश्र
Updated Fri, 05 Dec 2025 06:05 AM IST
सार

भारत की प्राथमिकता इस बार व्यापार घाटा कम करने और रूस के साथ आर्थिक साझेदारी को संतुलित करने पर है। सरकार फार्मास्यूटिकल्स, ऑटोमोबाइल और कृषि उत्पादों के लिए रूस में नए बाजार तलाशने को लेकर आत्मविश्वास से भरी है।

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India-Russia Trade: Putin Visit to Help Cut Trade Deficit, Strengthen Make in India & Expand Tech Cooperation
राष्ट्रपति पुतिन और पीएम मोदी - फोटो : ANI
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विस्तार
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रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की यात्रा में भारत का जोर रूस से साथ व्यापार घाटा कम करने पर रहेगा। भारत की निगाहें विभिन्न करारों के माध्यम से फार्मास्यूटिकल्स, ऑटोमोबाइल और कृषि क्षेत्र के लिए नए बाजार की तलाश पर होगी। राष्ट्रपति पुतिन की ओर से नो लिमिट्स पार्टनरशिप प्रस्ताव पेश किए जाने से रक्षा के क्षेत्र में भारत के मेड इन इंडिया अभियान को मजबूती मिलने के साथ विभिन्न क्षेत्रों में तकनीकी हस्तांतरण का भी लाभ मिलेगा।

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दरअसल बीते साल भारत और रूस के बीच करीब 63.6 अरब डॉलर का व्यापार हुआ। इसमें भारत के निर्यात की हिस्सेदारी महज 5.6 अरब डॉलर ही थी। दोनों देशों के बीच बीते साल व्यापार में 12 फीसदी बढ़ोतरी का मुख्य कारण भारत की ओर से रूस से भारी मात्रा में तेल का आयात करना था। सरकारी सूत्रों का कहना है कि पुतिन के दौरे में आर्थिक सहयोग बढ़ाने के संभावित फैसले से दोनों देशों के बीच आयात-निर्यात में अंतर में व्यापक सुधार दर्ज किया जाएगा।
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अमेरिका को दिया जवाब
रूस से तेल आयात के कारण अमेरिका की ओर से थोपे गए 50% टैरिफ का असर कम करने के लिए भारत ने उन वस्तुओं के लिए नए बाजार की तलाश की थी, जिसका सर्वाधिक निर्यात अमेरिका को होता था। इसके लिए भारत ने कई यूरोपीय देशों के साथ अरब देशों में निर्यात बढ़ाया। इसके कारण अमेरिकी टैरिफ के असर को कम किया जा सका। इस कड़ी में रूस के जुड़ने से टैरिफ का असर और कम होगा।

पश्चिम को संदेश...
कूटनीतिक विशेषज्ञ ब्रह्मा चेलानी का मानना है कि पुतिन के दौरे को कुछ बड़े करार पर हस्ताक्षर तक सीमित करना इसके महत्व को कम करने जैसा होगा। इससे अधिक यह दौरा भूराजनीतिक संदेश के संबंध में है। भारत ने यह साफ कर दिया है कि वह पश्चिम के थोपे गए हमारे साथ या हमारे खिलाफ के विकल्प को अस्वीकार करते हुए अपनी अलग राह चुनेगा।

चेलानी मानते हैं कि भारत और रूस दोनों को एक दूसरे की जरूरत है। रूस संदेश देना चाहता है कि यूक्रेन युद्ध से उपजी विपरीत परिस्थितियों में वह सिर्फ चीन के भरोसे नहीं है। भारत परोक्ष रूप से संदेश देना चाहता है कि वह वैश्विक शक्ति समीकरण में बदलाव के बावजूद अपनी रणनीतिक स्वतंत्रता बनाए रखेगा।

ट्रंप के दोहरे मापदंड को जवाब...
पूर्व विदेश सचिव कंवल सिब्बल ने कहा कि इस दौरान में रक्षा संबंधों पर कोई बहुत बड़ी घोषणा नहीं होगी। दोनों देशों के बीच सैन्य सहयोग चुपचाप बैकग्राउंड में जारी रहेगा। महत्वपूर्ण पुतिन के दौरे का समय है। पश्चिमी देश भारत पर यूक्रेन युद्ध रोकने में भूमिका नहीं निभाने का आरोप लगा रहे हैं। सवाल है कि जब अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप अलास्का में पुतिन के लिए लाल कालीन बिछा सकते हैं तो भारत द्विपक्षीय रिश्ते मजबूत क्यों नहीं कर सकता? चेलानी मानते हैं कि वर्तमान में भारत और रूस दोनों को एक दूसरे की जरूरत है। रूस यह संदेश देना चाहता है कि यूक्रेन युद्ध से उपजी विपरीत परिस्थितियों में वह सिर्फ चीन के भरोसे नहीं है।

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