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Supreme Court: अरुंधति की किताब की बिक्री रोकने की याचिका खारिज; शाकिरा हत्याकांड के दोषी को राहत नहीं
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली।
Published by: निर्मल कांत
Updated Fri, 05 Dec 2025 01:43 PM IST
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सुप्रीम कोर्ट
- फोटो : एएनआई (फाइल)
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सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें अरुंधति रॉय की किताब 'मदर मेरी कम्स टू मी' की बिक्री, प्रसार और प्रदर्शन पर रोक लगाने की मांग की गई थी। याचिका में कहा गया था कि किताब के कवर पर रॉय बीड़ी या सिगरेट पीती दिखाई देती हैं, जो कानून का उल्लंघन है।
चीफ जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमल्या बागची की बेंच ने केरल हाईकोर्ट के फैसले को सही ठहराया और याचिकाकर्ता राजसिम्हा की अपील खारिज कर दी। हाईकोर्ट ने पहले ही इस मामले पर दायर जनहित याचिका को खारिज कर दिया था। सुनवाई के दौरान सीजेआई ने कहा कि अरुंधति रॉय एक प्रसिद्ध लेखिका हैं और उन्होंने किसी चीज को बढ़ावा नहीं दिया है। किताब में चेतावनी भी दी गई है। उन्होंने कहा कि यह लोकप्रियता का मामला का प्रतीत होता है, क्योंकि कोई बड़ा विज्ञापन या शहर में होर्डिंग नहीं लगाया गया है। तस्वीर केवल किताब खरीदने वाले पाठक को ही दिखती है और इससे किसी तरह का प्रचार नहीं होता।
बेंच ने कहा कि लेखिका और प्रकाशक पेंगुइन हैमिश हैमिल्टन ने 2003 के सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद अधिनियम की धारा 5 का उल्लंघन नहीं किया है। यह धारा तंबाकू उत्पादों के विज्ञापन, प्रचार और प्रायोजन पर रोक लगाती है, लेकिन पुस्तकों में स्वास्थ्य चेतावनी या सीमित प्रदर्शन की अनुमति देती है। सीजेआई ने कहा कि हाईकोर्ट के फैसले में दखल देने की कोई जरूरत नहीं है। याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि किताब में चेतावनी बहुत छोटी है और यह स्पष्ट नहीं कि वह 'गांजा बीड़ी' है या सामान्य बीड़ी। इस पर कोर्ट ने कहा कि किताब या लेखक का सिगरेट या तंबाकू उत्पादों का प्रचार से कोई लेना-देना नहीं है। कोई किताब, लेखक के व्यक्तिगत विचारों से असहमति की वजह से प्रतिबंधित नहीं की जा सकती।
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बेंच ने कहा कि लेखिका और प्रकाशक पेंगुइन हैमिश हैमिल्टन ने 2003 के सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद अधिनियम की धारा 5 का उल्लंघन नहीं किया है। यह धारा तंबाकू उत्पादों के विज्ञापन, प्रचार और प्रायोजन पर रोक लगाती है, लेकिन पुस्तकों में स्वास्थ्य चेतावनी या सीमित प्रदर्शन की अनुमति देती है। सीजेआई ने कहा कि हाईकोर्ट के फैसले में दखल देने की कोई जरूरत नहीं है। याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि किताब में चेतावनी बहुत छोटी है और यह स्पष्ट नहीं कि वह 'गांजा बीड़ी' है या सामान्य बीड़ी। इस पर कोर्ट ने कहा कि किताब या लेखक का सिगरेट या तंबाकू उत्पादों का प्रचार से कोई लेना-देना नहीं है। कोई किताब, लेखक के व्यक्तिगत विचारों से असहमति की वजह से प्रतिबंधित नहीं की जा सकती।
शाकिरा हत्याकांड: उम्रकैद की सजा काट रहे श्रद्धानंद की याचिका खारिज
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को शाकिरा हत्याकांड में उम्रकैद की सजा काट रहे स्वामी श्रद्धानंद की याचिका सुनने से इनकार कर दिया। श्रद्धानंद ने उस फैसले पर पुनर्विचार की आग्रह किया था, जिसमें कोर्ट ने कहा था कि उन्हें जिंदगीभर जेल में ही रहना होगा। जस्टिस जेके महेश्वरी और जस्टिस विजय बिश्नोई की बेंच ने उसे सलाह दी कि वह अपनी शिकायतें लेकर कर्नाटक सरकार के पास जाएं। इसके बाद उनके वकील वरुण ठाकुर ने याचिका वापस ले ली और मामला खत्म कर दिया गया।
84 वर्षीय श्रद्धानंद को मुरली मनोहर मिश्रा के नाम से भी जाना जाता है। उसने सुप्रीम कोर्ट के जुलाई 2008 के फैसले पर पुनर्विचार की मांग की थी। इससे पहले भी कोर्ट उसकी इसी तरह की याचिका और जेल से रिहाई की मांग वाली याचिका खारिज कर चुका है। श्रद्धानंद का कहना था कि वह लगातार जेल में है और उसे न ही किसी तरह की जमानत मिली है और न ही कोई राहत। उसने दिसंबर 2023 में राष्ट्रपति के पास दया याचिका भी लगाई थी, जो अभी लंबित है।
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को शाकिरा हत्याकांड में उम्रकैद की सजा काट रहे स्वामी श्रद्धानंद की याचिका सुनने से इनकार कर दिया। श्रद्धानंद ने उस फैसले पर पुनर्विचार की आग्रह किया था, जिसमें कोर्ट ने कहा था कि उन्हें जिंदगीभर जेल में ही रहना होगा। जस्टिस जेके महेश्वरी और जस्टिस विजय बिश्नोई की बेंच ने उसे सलाह दी कि वह अपनी शिकायतें लेकर कर्नाटक सरकार के पास जाएं। इसके बाद उनके वकील वरुण ठाकुर ने याचिका वापस ले ली और मामला खत्म कर दिया गया।
84 वर्षीय श्रद्धानंद को मुरली मनोहर मिश्रा के नाम से भी जाना जाता है। उसने सुप्रीम कोर्ट के जुलाई 2008 के फैसले पर पुनर्विचार की मांग की थी। इससे पहले भी कोर्ट उसकी इसी तरह की याचिका और जेल से रिहाई की मांग वाली याचिका खारिज कर चुका है। श्रद्धानंद का कहना था कि वह लगातार जेल में है और उसे न ही किसी तरह की जमानत मिली है और न ही कोई राहत। उसने दिसंबर 2023 में राष्ट्रपति के पास दया याचिका भी लगाई थी, जो अभी लंबित है।