CBRE Report: जुलाई-सितंबर तिमाही में ऑफिस लीजिंग में 2.5 फीसदी की गिरावट, दक्षिण भारत में मांग रही सुस्त
सीबीआरई के अनुसार देश के 9 प्रमुख शहरों में जुलाई-सितंबर तिमाही में ग्रॉस ऑफिस स्पेस लीजिंग 2.5 प्रतिशत घटकर 1.99 करोड़ वर्ग फुट पर आ गई। कार्यालय स्थलों की ताजा आपूर्ति भी इस कैलेंडर वर्ष की तीसरी तिमाही के दौरान मामूली रूप से घटकर 1.36 करोड़ वर्ग फुट रह गई।
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देश के 9 प्रमुख शहरों में जुलाई-सितंबर तिमाही में ग्रॉस ऑफिस स्पेस लीजिंग में गिरावट दर्ज की गई है। सीबीआरई के अनुसार यह 2.5 प्रतिशत घटकर 1.99 करोड़ वर्ग फुट पर आ गई। पिछली साल इसी तिमाही में यह आंकड़ा 2.04 करोड़ वर्ग फुट था। गिरावट की मुख्य वजह दक्षिण भारत में ऑफिस स्पेस की मांग में सुस्ती बताई गई है।
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किस शहर में क्या है स्थिति?
- रियल एस्टेट परामर्शदाता सीबीआरई ने अपनी नवीनतम रिपोर्ट में बताया कि जुलाई-सितंबर की अवधि में बंगलूरू में कार्यालय स्थलों का सकल पट्टा घटकर 4.3 मिलियन वर्ग फुट रह गया, जो एक वर्ष पूर्व इसी अवधि में 7.2 मिलियन वर्ग फुट था।
- हैदराबाद में पट्टे पर देने की गतिविधियां 2.6 मिलियन वर्ग फीट से घटकर 2.2 मिलियन वर्ग फीट रह गईं।
- चेन्नई में भी सकल कार्यालय पट्टे में 2.4 मिलियन वर्ग फीट से गिरावट आई और यह 1.5 मिलियन वर्ग फीट रह गया।
- हालांकि, दिल्ली-एनसीआर में कार्यालय की मांग 2.4 मिलियन वर्ग फुट से बढ़कर 3.8 मिलियन वर्ग फुट हो गई।
- मुंबई में कार्यालय स्थान का सकल पट्टा 2.9 मिलियन वर्ग फुट से बढ़कर 4 मिलियन वर्ग फुट हो गया, जबकि पुणे में मांग 1.9 मिलियन वर्ग फुट से बढ़कर 3.2 मिलियन वर्ग फुट हो गई।
- कोलकाता में कार्यालय पट्टे 0.6 मिलियन वर्ग फीट पर स्थिर रहे।
- अहमदाबाद में मांग 0.3 मिलियन वर्ग फीट से घटकर 0.1 मिलियन वर्ग फीट रह गई।
- हालांकि, कोच्चि में तिमाही के दौरान कार्यालय पट्टे का आकार 0.2 मिलियन वर्ग फुट रहा, जबकि पिछले वर्ष इसी अवधि में यह 0.07 मिलियन वर्ग फुट था।
ऑफिस स्पेस की ताजा आपूर्ति में भी आई गिरावट
सीबीआरई के आंकड़ों के अनुसार, कार्यालय स्थलों की ताजा आपूर्ति भी इस कैलेंडर वर्ष की तीसरी तिमाही के दौरान मामूली रूप से घटकर 1.36 करोड़ वर्ग फुट रह गई। यह पिछले वर्ष की इसी अवधि में 1.4 करोड़ वर्ग फुट थी।
भारत का कार्यालय बाजार, जो कोविड महामारी के दौरान बुरी तरह प्रभावित हुआ था, 2022 से अच्छा प्रदर्शन कर रहा है। इसका श्रेय वैश्विक क्षमता केंद्र (जीसीसी) स्थापित करने की इच्छुक विदेशी फर्मों की ओर से कार्यस्थलों की बढ़ती मांग को जाता है। पिछले तीन वर्षों में सह-कार्य स्थलों की मांग भी बढ़ी है।