सब्सक्राइब करें
Hindi News ›   Business ›   Business Diary ›   RBI may cut interest rates again as growth risks rise amid global pressure, report claims

Report: वैश्विक दबाव के बीच विकास जोखिम बढ़ने से आरबीआई फिर घटा सकता है ब्याज दरें, रिपोर्ट में किया गया दावा

बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: रिया दुबे Updated Mon, 08 Dec 2025 10:41 AM IST
सार

केयरएज रेटिंग्स ने अनुमान जताया है कि अगर वैश्विक चुनौतियों के कारण भारत की विकास दर कमजोर पड़ती है, तो आरबीआई भविष्य में ब्याज दरों में और कटौती कर सकता है। फिलहाल रेपो रेट 25 आधार अंकों की कटौती के बाद 5.25% पर है।

विज्ञापन
RBI may cut interest rates again as growth risks rise amid global pressure, report claims
आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा - फोटो : PTI
विज्ञापन

विस्तार
Follow Us

वैश्विक चुनौतियों से घरेलू विकास प्रभावित होने पर आरबीआई और अधिक ब्याज दरों में कटौती कर सकता है। केयरएज रेटिंग्स की एक रिपोर्ट में यह अनुमान जताया गया है। रिपोर्ट के अनुसार रोजकोषीय मोर्चे पर सरकार ने पहले ही जीएसटी सुधार और आयकर बोझ को कम करके प्रोत्साहन प्रदान किया है। 

Trending Videos


ये भी पढ़ें: Passive funds: निवेशक सक्रिय फंड छोड़ पैसिव फंड की ओर, एक साल में फोलियो तीन गुना बढ़कर 4.81 करोड़ हुआ

विज्ञापन
विज्ञापन

ब्याज दरों में कटौती आर्थिक सुस्ती के बीच वृद्धि को समर्थन देने वाली है

केयरएज के अनुसार आरबीआई द्वारा मौद्रिक नीति समीक्षा में 25 आधार अंकों की कटौती के साथ रेपो रेट 5.25% पर लाए जाने को आर्थिक सुस्ती की आशंका के बीच वृद्धि को समर्थन देने वाली पहल माना जा रहा है। 


हालांकि, आगे वित्तीय प्रोत्साहन की सीमित गुंजाइश के मद्देनजर भविष्य में आर्थिक परिस्थितियों के कमजोर पड़ने पर जिम्मेदारी मौद्रिक नीति पर अधिक आ सकती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि राजकोषीय मोर्चे पर सरकार पहले ही टैक्स बोझ घटाने, जीएसटी सुधारों और राजकोषीय संयम के लक्ष्य के चलते सीमित स्थान रखती है। 

केयरएज के अनुसार हालांकि मुद्रास्फीति पूर्वानुमान के आधार पर 25 आधार अंकों की और कटौती की गुंजाइश है, लेकिन मौद्रिक नीति समिति फिलहाल विराम लेकर भविष्य की स्थिति के लिए विकल्प सुरक्षित रखना चाहती है। वैश्विक सुस्ती, व्यापार विवादों और अमेरिकी टैरिफ से प्रभावित निर्यात दबाव जैसे जोखिमों के बीच यह सतर्क रुख अपनाया गया है।

मौजूदा मौद्रिक ढांचा:

  • रेपो रेट: 5.25% , बैंक को दिए जाने वाले RBI ऋण की दर
  •  स्थायी जमा सुविथा (SDF) दर: 5.00% , बिना प्रतिभूति के RBI में अधिशेष धन जमा करने की सुविधा
  • सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) दर: 5.50% - तत्काल धन आवश्यकता पर बैंकों के लिए अंतिम विकल्प
  • बैंक रेट: 5.50% - दीर्घकालिक ऋण दर, कई ब्याज दरों का मानक
  • फिक्स्ड रिवर्स रेपो रेट: 3.35% - बैंक अपने धन को RBI में जमा कर ब्याज अर्जित कर सकते हैं

विकास दर कमजोर पड़ने पर भविष्य हो सकती है कटौती 

इन दरों का संयुक्त प्रभाव तरलता प्रबंधन, मुद्रास्फीति नियंत्रण और वित्तीय स्थिरता कायम रखने में अहम भूमिका निभाता है। केंद्रीय बैंक के सतर्क लेकिन खुले रुख से संकेत मिलता है कि अगर विकास दर और कमजोर पड़ती है, तो आगे फिर दर कटौती की संभावनाएं बरकरार रहेंगी।

विज्ञापन
विज्ञापन
सबसे विश्वसनीय Hindi News वेबसाइट अमर उजाला पर पढ़ें कारोबार समाचार और Union Budget से जुड़ी ब्रेकिंग अपडेट। कारोबार जगत की अन्य खबरें जैसे पर्सनल फाइनेंस, लाइव प्रॉपर्टी न्यूज़, लेटेस्ट बैंकिंग बीमा इन हिंदी, ऑनलाइन मार्केट न्यूज़, लेटेस्ट कॉरपोरेट समाचार और बाज़ार आदि से संबंधित ब्रेकिंग न्यूज़
 
रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें अमर उजाला हिंदी न्यूज़ APP अपने मोबाइल पर।
Amar Ujala Android Hindi News APP Amar Ujala iOS Hindi News APP
विज्ञापन
विज्ञापन

एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें

Next Article

Election
एप में पढ़ें

Followed