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RBI: भारतीय अर्थव्यवस्था में बनी रहेगी मजबूत बढ़त, आरबीआई की रिपोर्ट में बैंकिंग सेक्टर की सेहत पर मुहर

बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली/मुंबई Published by: कुमार विवेक Updated Wed, 31 Dec 2025 04:21 PM IST
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सार

RBI FSR Report: मजबूत घरेलू मांग और स्वस्थ बैंकिंग सेक्टर के दम पर भारतीय अर्थव्यवस्था वैश्विक चुनौतियों के बीच भी तेजी से बढ़ेगी। बैंकों और एनबीएफसी की सेहत पर आरबीआई की एफएसआर रिपोर्ट का पूरा सार यहां पढ़ें।

Reserve Bank Report says Indian economy likely to maintain strong growth RBI News
भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा। - फोटो : amarujala.com
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वैश्विक अनिश्चितताओं और चुनौतीपूर्ण अंतरराष्ट्रीय माहौल के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था अपनी मजबूत विकास दर को बरकरार रखने के लिए तैयार है। भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से बुधवार को जारी 'फाइनेंशियल स्टेबिलिटी रिपोर्ट' (एफएसआर) के अनुसार, मजबूत घरेलू मांग, नियंत्रित मुद्रास्फीति और सतर्क व्यापक आर्थिक नीतियों ने भारत की आर्थिक स्थिति को सुरक्षित किया हुआ है।

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मजबूत बैंकिंग प्रणाली: मुनाफे और एसेट क्वालिटी में सुधार

आरबीआई की रिपोर्ट में सबसे महत्वपूर्ण बात अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों की सेहत के बारे में कही गई है। रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय बैंकों की स्थिति बेहद मजबूत है। उनके पास पर्याप्त पूंजी और नकदी मौजूद है। बैंकों की संपत्ति की गुणवत्ता में महत्वपूर्ण सुधार हुआ है और उनका मुनाफा भी मजबूत है। आरबीआई की रिपोर्ट वित्तीय स्थिरता और विकास परिषद (FSDC) की उप-समिति के सामूहिक मूल्यांकन पर आधारित है, जो भारतीय वित्तीय प्रणाली की लचीलापन और संभावित जोखिमों की समीक्षा करती है।

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बाहरी जोखिमों के बीच घरेलू हालात मजबूत

रिपोर्ट में साफ किया गया है कि "घरेलू वित्तीय प्रणाली मजबूत और लचीली बनी हुई है, इसे मजबूत बैलेंस शीट, आसान वित्तीय स्थिति और वित्तीय बाजार में कम उतार-चढ़ाव से समर्थन मिल रहा है।" हालांकि, केंद्रीय बैंक ने सचेत किया है कि भू-राजनीतिक तनाव और व्यापार संबंधी बाहरी अनिश्चितताओं से निकट भविष्य में कुछ जोखिम उत्पन्न हो सकते हैं।

चुनौतीपूर्ण हालात के बावजूद बैंक सेक्टर की हालत सही

आरबीआई की ओर से किए गए 'मैक्रो स्ट्रेस टेस्ट' के परिणाम भी सकारात्मक रहे हैं। ये नतीजे पुष्टि करते हैं कि अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक किसी भी काल्पनिक प्रतिकूल स्थिति में होने वाले नुकसान को सह सकते हैं। बैंकों के पास नियामकीय न्यूनतम सीमा से कहीं अधिक पूंजी बफर मौजूद है। इसके अतिरिक्त, म्यूचुअल फंड और क्लियरिंग कॉरपोरेशन की स्थिति भी संकट के समय स्थिर रहने की पुष्टि हुई है।

एनबीएफसी और बीमा क्षेत्र का प्रदर्शन

गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (NBFCs) भी अपनी मजबूत पूंजी स्थिति, ठोस कमाई और बेहतर होती एसेट क्वालिटी के कारण सुरक्षित मानी गई हैं। वहीं, बीमा क्षेत्र की बैलेंस शीट में भी लचीलापन देखा गया है। रिपोर्ट के अनुसार, बीमा कंपनियों का समेकित शोधन क्षमता अनुपात न्यूनतम सीमा से ऊपर बना हुआ है, जो उनकी वित्तीय स्थिरता का प्रमाण है।

गवर्नर संजय मल्होत्रा का कहना- वित्तीय स्थिरता ही 'नार्थ स्टार'

रिपोर्ट की प्रस्तावना में आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने वित्तीय प्रणाली की मजबूती पर जोर देते हुए लिखा, "वित्तीय स्थिरता बनाए रखना और वित्तीय प्रणाली को सुदृढ़ करना हमारा 'नार्थ स्टार' (मुख्य मार्गदर्शक) बना हुआ है।" गवर्नर ने साफ किया कि नीति निर्माताओं का सबसे महत्वपूर्ण योगदान एक ऐसी वित्तीय प्रणाली तैयार करना है, जो झटकों को सह सके, सेवाओं के वितरण में कुशल हो और जिम्मेदार नवाचार को बढ़ावा दे। मल्होत्रा के अनुसार, नियामक केवल स्थिरता पर ही नहीं, बल्कि इनोवेशन, उपभोक्ता सुरक्षा और दक्षता पर भी समान रूप से ध्यान दे रहे हैं।

2026 के लिए आर्थिक विशेषज्ञ क्या कह रहे?

बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस का कहना है कि मजबूत घरेलू अर्थव्यवस्था और निर्यात विविधीकरण ने भारत को टैरिफ युद्ध के बावजूद लचीला बनाए रखा है। वहीं, इक्रा (आईसीआरए) की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने अनुमान जताया है कि वित्त वर्ष 2027 में विकास दर 6.5 से 7 प्रतिशत के बीच रहेगी, जबकि मुद्रास्फीति 4 प्रतिशत के आरामदायक स्तर पर बनी रह सकती है। क्रिसिल के मुख्य अर्थशास्त्री धर्मकीर्ति जोशी ने चेतावनी दी है कि भारत पर वैश्विक चुनौतियों का असर कम है, लेकिन अमेरिका के मनमाने टैरिफ का असर विदेशी निवेशकों की धारणा पर असर डालना जारी रख सकता है।

भारती एक्सा लाइफ इंश्योरेंस के नितिन मेहता ने 2025 के सुधारों को बीएफएसआई (बीएफएसआई) क्षेत्र के लिए एक क्रांतिकारी कदम बताया है। उनके अनुसार, 100% एफडीआई और 'बीमा सुगम' जैसी पहलों ने बीमा क्षेत्र में पूंजी और पहुंच की दोहरी चुनौतियों का प्रभावी ढंग से समाधान किया है। मेहता का मानना है कि बैंकिंग कानूनों में संशोधन, विशेष रूप से नामांकित व्यक्तियों की लचीली व्यवस्था और जोखिम-आधारित जमा प्रीमियम, ग्राहक सुरक्षा और भरोसे को मजबूत करते हैं। भारती एक्सा अपनी 'फिजिटल' रणनीति के माध्यम से पार्टनर्स को 'जोखिम सलाहकार' के रूप में सशक्त बना रही है, ताकि 2047 तक 'सभी के लिए बीमा' के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सके।

एनबीएफसी और गोल्ड लोन बाजार पर क्या उम्मीद?

मुथूट फिनकॉर्प के सीईओ शाजी वर्गीस ने एनबीएफसी और गोल्ड लोन क्षेत्र में आए सकारात्मक बदलावों पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि माइक्रोफाइनेंस क्षेत्र में क्रेडिट सामान्यीकरण के बाद अब यह सेक्टर विकास के चरण में प्रवेश कर चुका है। वर्गीस के अनुसार, गोल्ड लोन के लिए लागू किए गए संतुलित नियमों और ब्याज दरों में हुई 125 आधार अंकों की कटौती ने समाज के अंतिम पायदान तक ऋण की पहुंच और सामर्थ्य को बढ़ाया है। उन्होंने उम्मीद जताई कि 1 अप्रैल 2026 से प्रभावी होने वाले नए नियम उद्योग में अधिक पारदर्शिता और स्थिरता लाएंगे, जिससे गोल्ड लोन अब केवल आपातकालीन ऋण न रहकर निवेश और व्यवसाय वृद्धि का एक प्रमुख माध्यम बन जाएगा।

एंजेल वन एएमसी के हेमेन भाटिया ने निवेश के बदलते स्वरूप पर चर्चा करते हुए कहा कि 2026 की ओर बढ़ते हुए 'पैसिव इन्वेस्टिंग' अब पोर्टफोलियो की रीढ़ बन गई है। उन्होंने आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया कि पैसिव निवेश के तहत प्रबंधित संपत्ति यानी एयूएल 2019 के 1.9 लाख करोड़ रुपये से सात गुना बढ़कर 2025 में 13.7 लाख करोड़ रुपये हो गई है। भाटिया के अनुसार, भारत में पैसिव शेयर फिलहाल 17% है, जो वैश्विक रुझानों और अमेरिका (जहां यह 50% से अधिक है) की तुलना में भविष्य के लिए विकास की अपार संभावनाओं को दर्शाता है। निवेशकों के बीच कम लागत वाली और नियम-आधारित रणनीतियों की बढ़ती लोकप्रियता 2026 में भी जारी रहने की उम्मीद है।

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