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CPI: सीपीआई की गणना पद्धति में होगा बदलाव, 2026 में कम रहेगी महंगाई; जीएसटी कटौती ने उच्च कीमतों से दी राहत
अमर उजाला ब्यूरो, नई दिल्ली
Published by: शिवम गर्ग
Updated Wed, 31 Dec 2025 07:12 AM IST
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सार
सीपीआई की गणना पद्धति में बदलाव और खाद्य कीमतों में नरमी से 2026 में महंगाई कम रहने की उम्मीद। फरवरी में नई सीपीआई श्रृंखला जारी हो सकती है।
सांकेतिक तस्वीर
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
खुदरा महंगाई को लक्षित करने के लिए सरकार उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति की गणना पद्धति में बदलाव और मौद्रिक नीति में संशोधन करने की तैयारी कर रही है। खाद्य पदार्थों की कीमतों में नरमी और जीएसटी दरों में कमी के कारण इस वर्ष उच्च महंगाई से राहत मिली है। सीपीआई आधारित खुदरा महंगाई अगर 2 से 6 फीसदी के दायरे में बनी रही, तो आरबीआई रेपो दर में एक बार और कटौती कर सकता है।
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खाद्य पदार्थों की कीमतों में नरमी के अलावा सरकार के सितंबर में लगभग 400 वस्तुओं पर जीएसटी दरों में कमी करने के निर्णय ने देश में मूल्य स्थिति को और बेहतर बनाने में मदद की। थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) ने भी 2025 तक मुद्रास्फीति के दबाव में कमी के स्पष्ट संकेत दिखाए। शुरुआती महीनों में सकारात्मक लेकिन घटती डब्ल्यूपीआई महंगाई दर्ज की गई, जो विशेष रूप से खाद्य और ईंधन श्रेणियों में मूल्य दबाव में नरमी को दर्शाती है।
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खुदरा महंगाई नवंबर, 2024 से घटनी शुरू हुई और तब से जून, 2025 तक यह रिजर्व बैंक के 2 से 4 फीसदी के दायरे में बनी रही। इसके बाद यह 2 फीसदी से भी नीचे आ गई। सीपीआई में लगभग 48 फीसदी हिस्सा रखने वाली खाद्य महंगाई जनवरी में लगभग 6 फीसदी से घटनी शुरू हुई और जून में नकारात्मक स्तर पर यानी शून्य से नीचे पहुंच गई। नवंबर में खाद्य महंगाई (-)3.91 फीसदी थी।
पहली छमाही में 4 फीसदी का अनुमान
आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा, अगले वित्त वर्ष 2026-27 की पहली छमाही में शीर्ष महंगाई के 4 फीसदी के लक्ष्य के करीब रह सकती है। कीमती धातुओं को छोड़कर महंगाई काफी कम रहने की संभावना है, जैसा 2024 की शुरुआत से ही रुझान रहा है। अच्छे कृषि उत्पादन, कम खाद्य कीमतों और वैश्विक कमोडिटी कीमतों के असाधारण रूप से अनुकूल दृष्टिकोण से संकेत मिलता है कि पूरे वर्ष (2025-26) के लिए खुदरा महंगाई करीब 2 फीसदी रह सकती है, जो वर्ष की शुरुआत में अनुमानित दर का आधा है।
फरवरी में आएगी सीपीआई की नई शृंखला
आरबीआई मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण के संबंध में पहले ही परामर्श पत्र जारी कर चुका है। इस बीच सरकार आधार वर्ष (2024=100) के साथ एक नई सीपीआई शृंखला पर काम कर रही है। इसमें सूचकांक संकलन में उपयोग होने वाले कई सारे पैमानों में बदलाव किया जाएगा। एक दशक से अधिक समय के बाद किया जा रहा यह बदलाव मुद्रास्फीति आंकड़ों की प्रतिनिधित्व क्षमता, सटीकता, विश्वसनीयता और समग्र गुणवत्ता में पर्याप्त सुधार लाने के उद्देश्य से किया जा रहा है। उम्मीद है कि सरकार खुदरा महंगाई की नई शृंखला फरवरी में जारी कर सकती है।
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