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उपलब्धि: वैश्विक चुनौतियों के बीच भारत बना चमकता सितारा, 2025 में घरेलू ताकत ने रची विकास की कहानी
अमर उजाला नेटवर्क, नई दिल्ली
Published by: शिवम गर्ग
Updated Wed, 31 Dec 2025 07:21 AM IST
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सार
वैश्विक आर्थिक चुनौतियों के बीच भारत ने 2025 में तेज विकास दर, नियंत्रित महंगाई और मजबूत घरेलू मांग के दम पर चमकता सितारा बनने का दर्जा हासिल किया।
सांकेतिक तस्वीर
- फोटो : ANI
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विस्तार
साल 2025 वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए सुस्ती और अनिश्चितता का वर्ष रहा, लेकिन भारत इस परिदृश्य में एक अपवाद के रूप में उभरा। अमेरिका एवं यूरोप में ऊंची ब्याज दरें, कमजोर उपभोक्ता मांग और व्यापार तनावों के बीच भारत ने अपेक्षाकृत तेज विकास दर, नियंत्रित महंगाई और मजबूत घरेलू मांग का प्रदर्शन किया।
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अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ), विश्व बैंक और आरबीआई के आकलन बताते हैं कि 2025 में भारत की आर्थिक कहानी केवल बाहरी परिस्थितियों से नहीं, बल्कि आंतरिक संरचनात्मक मजबूती से गढ़ी गई। आईएमएफ के वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक 2025 के मुताबिक, भारत की वास्तविक जीडीपी वृद्धि 2025 में करीब 6.8 फीसदी रही। यह वैश्विक औसत 3.2% से अधिक है।
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राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के अग्रिम अनुमानों में भी सेवा क्षेत्र, निर्माण और सार्वजनिक निवेश को विकास का प्रमुख इंजन बताया गया। सीएमआईई के अर्थशास्त्री महेश व्यास का कहना है कि भारत की वृद्धि का सबसे बड़ा आधार घरेलू मांग है, जिसने निर्यात और वैश्विक व्यापार की सुस्ती के असर को संतुलित किया।
महंगाई व आरबीआई: संतुलन की परीक्षा
2025 में भारत में खुदरा महंगाई औसतन 5.4 फीसदी रही, जो कई उभरती अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में कम थी। खाद्य कीमतों में उतार-चढ़ाव के बावजूद मुख्य महंगाई अपेक्षाकृत नियंत्रित रही। इससे आरबीआई को भी राहत मिली और उसने मौद्रिक नीति के मोर्चे पर विकास-समर्थक लेकिन सतर्क नीति अपनाई।
सरकारी पूंजीगत खर्च और निजी निवेश से बढ़ा रोजगार
2025 में केंद्र का पूंजीगत खर्च जीडीपी के 3.4 फीसदी तक पहुंच गया। सड़क, रेलवे, रक्षा उत्पादन और हरित ऊर्जा परियोजनाओं में निवेश ने मांग एवं रोजगार दोनों को सहारा दिया। विश्व बैंक की इंडिया डेवलपमेंट अपडेट 2025 रिपोर्ट के मुताबिक, सार्वजनिक निवेश ने निजी क्षेत्र के लिए क्राउड-इन इफेक्ट पैदा किया। नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया के मुताबिक, भारत की विकास रणनीति अब निवेश और उत्पादकता बढ़ाने पर आधारित है, जो इसे लचीला बनाती है।
अमेरिकी टैरिफ : कितना गहरा था झटका
अमेरिकी टैरिफ को इस वर्ष का सबसे बड़ा बाहरी आर्थिक झटका माना गया। अमेरिका को भारत के निर्यात में दूसरी और तीसरी तिमाही में 6-7 फीसदी की गिरावट आई। हालांकि, इस झटके का असर सीमित रहा, क्योंकि यूरोपीय संघ, पश्चिम एशिया और अफ्रीका में निर्यात बढ़ा। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर बिस्वजीत धर के अनुसार, भारत की अर्थव्यवस्था अब इतनी विविध हो चुकी है कि एक बाजार का झटका सिस्टमेटिक संकट नहीं बन पाया।
2026 में...अवसरों और जोखिम के बीच संतुलन
2026 भारत के लिए नीतिगत फैसलों, वैश्विक भू-आर्थिक बदलावों और घरेलू सुधारों की वास्तविक परीक्षा का वर्ष बनेगा। नए साल में भारत की आर्थिक दिशा अवसरों और जोखिमों दोनों से तय होगी। 2026 में भारत की वास्तविक जीडीपी वृद्धि 6.5-6.9 फीसदी रह सकती है और भारत सबसे तेज बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बना रहेगा।
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