What RBI Says On Growth: क्या वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद भारत विकास पथ पर बना रहेगा? आरबीआई ने दिया जवाब
आरबीआई ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, मजबूत मैक्रोइकॉनॉमिक बुनियाद और निरंतर आर्थिक सुधारों के चलते भारत वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद उच्च विकास पथ पर बना रह सकता है। रिपोर्ट में कहा गया कि 2025 में वैश्विक व्यापार नीतियों में बदलाव से अनिश्चितता बढ़ी, लेकिन भारत की अर्थव्यवस्था ने लचीलापन दिखाया।
विस्तार
भारतीय रिजर्व बैंक की एक ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि मजबूत मैक्रोइकॉनॉमिक बुनियाद और निरंतर आर्थिक सुधारों पर सरकार व नीतिगत संस्थानों का फोकस, बढ़ती वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था को उच्च विकास पथ पर बनाए रखने में मदद करेगा।
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वैश्विक व्यापार अनिश्चितता का दिखा असर
रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2025 में वैश्विक व्यापार नीतियों में अभूतपूर्व बदलाव देखने को मिला, जहां कई देशों ने टैरिफ और व्यापार शर्तों पर द्विपक्षीय वार्ताओं का दोबारा रुख अपनाया। इन बदलावों का वैश्विक व्यापार प्रवाह और आपूर्ति शृंखलाओं पर असर अब भी उभर रहा है, जिससे वैश्विक विकास को लेकर अनिश्चितता बढ़ी है। आरबीआई ने माना कि भारत पूरी तरह से इन बाहरी झटकों से अछूता नहीं रहा, लेकिन मजबूत नीतिगत ढांचा और सुधारों पर जोर अर्थव्यवस्था को मजबूती देगा।
महंगाई फिलहाल अनुकूल बना हुआ है
रिपोर्ट में कहा गया कि महंगाई का परिदृश्य फिलहाल अनुकूल बना हुआ है, जिससे मौद्रिक नीति को विकास समर्थन देने के लिए पर्याप्त गुंजाइश मिली है। मैक्रोइकॉनॉमिक स्थिरता को मजबूत करने और सुधारों को आगे बढ़ाने से दक्षता और उत्पादकता में सुधार होगा, जो भारत की विकास गति को और सुदृढ़ करेगा।
शेयर बाजार को लेकर आरबीआई की राय
वित्तीय बाजारों पर RBI ने कहा कि वर्ष के अधिकांश हिस्से में शेयर बाजारों में तेजी रही, जिसका प्रमुख कारण वैश्विक स्तर पर बिग टेक कंपनियों को लेकर आशावाद था। हालांकि, हाल के महीनों में ऊंचे मूल्यांकन को लेकर चिंताओं के चलते बाजारों में कुछ हद तक जोखिम से बचने का रुख दिखा है। इसके साथ ही, उभरते बाजारों में पोर्टफोलियो निवेश की रफ्तार भी धीमी पड़ी है।
आरबीआई ने आर्थिक विकास दर को बढ़ाया
रिपोर्ट में 5 दिसंबर को हुई मौद्रिक नीति समिति की बैठक का हवाला देते हुए बताया गया कि 2025-26 के लिए भारत की आर्थिक विकास दर का अनुमान 50 आधार अंक बढ़ाकर 7.3 प्रतिशत कर दिया गया है, जो अक्तूबर समीक्षा में 6.8 प्रतिशत था। वहीं, इसी अवधि के लिए CPI महंगाई अनुमान को 60 आधार अंक घटाकर 2.0 प्रतिशत कर दिया गया है।
नवंबर के उच्च-आवृत्ति आर्थिक संकेतकों से संकेत मिलता है कि घरेलू आर्थिक गतिविधियां मजबूत बनी हुई हैं और मांग की स्थिति सुदृढ़ है। भले ही हेडलाइन CPI महंगाई में थोड़ी बढ़ोतरी दर्ज की गई, लेकिन यह निचली सहनशीलता सीमा से नीचे ही रही। वित्तीय परिस्थितियां अनुकूल बनी रहीं और वाणिज्यिक क्षेत्र को ऋण प्रवाह स्थिर रहा।
चालू खाता घाटा पिछले वर्ष की तुलना में कम हुआ
RBI ने यह भी कहा कि 2025-26 की दूसरी तिमाही में भारत का चालू खाता घाटा पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में कम हुआ है। इसके पीछे वस्तु व्यापार घाटे में कमी, सेवाओं के निर्यात में मजबूती और प्रवासी भारतीयों से मिलने वाले रेमिटेंस का मजबूत बने रहना प्रमुख कारण रहा। कुल मिलाकर, रिपोर्ट का निष्कर्ष है कि भारत वैश्विक चुनौतियों के बीच भी मजबूत आर्थिक वृद्धि को बनाए रखने की अच्छी स्थिति में है।