बजट 2020: आयकर की नई दर चुनी तो 70 रियायतों का नहीं मिलेगा लाभ
- दर में कमी फिर भी बढ़ेगा आयकर बोझ
- बचत योजनाओं का फायदा नहीं
- 5 लाख तक आय पहले की तरह करमुक्त
- 2.73 लाख रुपये टैक्स बनता है 15 लाख की आय पर अभी
- 1.95 लाख रुपये का टैक्स देना होगा नए स्लैब के तहत
विस्तार
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को पेश आम बजट में सुस्ती से जूझ रही अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने, बाजार में मांग बढ़ाने और खर्च में तेजी लाने के लिए कई बड़े एलान किए। प्रत्यक्ष करों की बात करें तो आयकर दरों में लंबे समय बाद कटौती की गई है, हालांकि इसे वैकल्पिक रखा गया है। 15 लाख रुपये तक सालाना कमाई वालों के लिए टैक्स स्लैब की दरों में 10 फीसदी तक कमी की गई है। इतिहास में पहली बार दो तरह के टैक्स स्लैब चुनने का विकल्प दिया है।
पुरानी दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया है। नया विकल्प चुनने वालों के लिए कर की दर भले कम हो लेकिन यह उनके लिए ही फायदेमंद होगा जो किसी तरह का निवेश करके पैसे और कर नहीं बचाते हैं। दरअसल, नए विकल्प को चुनने वालों को ज्यादातर रियायतों का लाभ नहीं मिलेगा। ऐसे में जो करदाता रियायतों का लाभ लेना चाहते हैं, उन्हें पुरानी दरों पर ही टैक्स चुकाना होगा।
सीतारमण ने शनिवार को बजट पेश करते हुए कहा, 5 लाख रुपये तक सालाना आय वालों को पहले की ही तरह कोई टैक्स नहीं देना होगा, चाहे वह नया स्लैब अपनाएं या पुराने विकल्प से कर दें। बजट के अनुसार प्रस्तावित वैकल्पिक नए आयकर ढांचे को चुनने वाले करदाताओं को आयकर कानून की धारा 80सी और 80डी, यात्रा भत्ता और आवास ऋण के ब्याज पर मिलने वाले कर लाभ और कटौती उपलब्ध नहीं होगी।
वित्तमंत्री ने बताया ऐसे बचेंगे 78 हजार
सीतारमण ने 15 लाख सालाना आय वालों का उदाहरण देते हुए बचत का सपना दिखाया। उन्होंने कहा, इस आयवर्ग वालों को अभी 2.73 लाख रुपये टैक्स देना पड़ता है, नया विकल्प अपनाने पर 1.95 लाख रुपये देना होगा। यानी, उसका कर भार 78 हजार रुपये कम हो जाएगा।
लघु बचत योजनाओं के भविष्य पर सवाल
रियायतें खत्म होने से लघु बचत योजनाओं के भविष्य पर सवाल उठ रहे हैं। सुकन्या समृद्धि, पीपीएफ, ईएलएसस, मेडिक्लेम, बीमा जैसी योजनाओं में निवेश से करदाता हटेगा, क्योंकि उसे बचत पर कोई कर छूट नहीं मिलेगी।
सिर्फ 30 रियायतें: सरकार पर 40 हजार करोड़ का बोझ
नए टैक्स स्लैब के साथ आयकर अधिनियम 80सी, 80सीसीडी सहित अन्य प्रावधानों के तहत मिलने वाली 70 रियायतों को खत्म कर दिया गया है। अब करदाताओं को सिर्फ 30 पर ही कर छूट लेने का मौका मिलेगा। इन रियायतों की समीक्षा कर भविष्य में और बदलाव हो सकते हैं। दूसरी ओर, सरकार का दावा है कि टैक्स स्लैब में कटौती से राजस्व को 40 हजार करोड़ की सालाना चपत लगेगी। दावा है कि नई व्यवस्था में रिटर्न दाखिल करते समय सीए या कर विशेषज्ञ की जरूरत नहीं होगी।
होमलोन ब्याज पर छूट एक साल बढ़ी
बजट में किफायती आवास ऋण के ब्याज पर मिलने वाली 3.5 लाख रुपये तक की कर छूट 31 मार्च 2021 तक जारी रहेगी। पिछले बजट में ब्याज पर कर छूट 2 लाख रुपये से बढ़ाकर 3.5 लाख रुपये की गई थी। जुलाई 2014 में इसे 1.5 लाख से 2 लाख किया था। जो 31 मार्च 2021 से पहले 45 लाख रुपये तक का घर खरीदते हैं, उन्हें ब्याज भुगतान पर 1.5 लाख अधिक कटौती का लाभ मिलेगा।
करगणना के लिए सर्किल रेट बढ़ाया, मिलेगी छूट
रियल एस्टेट में निवेश पर पूंजीगत लाभ कमाने वालों को टैक्स छूट बढ़ाई है। अभी स्टाम्प ड्यूटी व बाजार दर के अंतर को अतिरिक्त आय मानकर 5% सर्किल रेट पर गणना होती थी। अब यह 10% होगा। यानी, किसी ने 100 रुपये की दर पर पूंजीगत लाभ लिया और स्टाम्प ड्यूटी 106 रुपये दिया, तो 6 रुपये की अतिरिक्त आय 10% प्रावधान से कम होगी और इसे कोई अतिरिक्त आय नहीं माना जाएगा।
दावा सरल का और कर दिया जटिल
अगर टैक्स के नए विकल्प का चयन किया तो आयकर की विभिन्न धाराओं के तहत मिलने वाली छूट का फायदा नहीं मिलेगा। छूट की अनदेखी से नया विकल्प आसान भले दिखे लेकिन अगर आप पैसे बचाते हैं या भविष्य के लिए निवेश कर रहे हैं तो पुराना विकल्प सही होगा। वहीं, दो विकल्प से करदाताओं की जटिलताएं बढ़ेंगी।
नया विकल्प चुना तो नहीं मिलेंगे ये फायदे
- वेतनभोगी कर्मचारियों लीव ट्रैवेल अलाउंस, आवास भत्ता, 50 हजार रुपये का स्टैंडर्ड डिडक्शन की छूट नहीं मिलेगी।
- आयकर अधिनियम सेक्शन 16 के तहत मनोरंजन भत्ता और एंप्लॉयमेंट/प्रफेशनल टैक्स के लिए डिडक्शन।
- हाउजिंग लोन के ब्याज पर मिलने वाली छूट।
- सेक्शन 57 के तहत फैमिली पेंशन पर छूट।
- 80डी के तहत मेडिकल इंश्योरेंस पर छूट।
- सेक्शन 80डीडी तथा 80डीडीबी के तहत विकलांगता के लिए मिलने वाली छूट।
- 80सी के तहत मिलने वाली छूट।
- सेक्शन 80ई के तहत एजुकेशन लोन पर मिलने वाली छूट।
- n सेक्शन 80जी के तहत धर्माथ संस्थाओं दिए गए दान पर छूट।
आधार से जल्द बनेगा पैन
आईटीआर के लिए पैन अनिवार्य होने के बाद वित्त मंत्री ने स्थायी खाता संख्या (पैन) बनाने की प्रक्रिया को भी काफी आसान कर दिया है। अब विस्तृत आवेदन फॉर्म भरे बिना ही आधार के माध्यम से जल्द ऑनलाइन पैनकार्ड आवंटित कर दिया जाएगा। इससे पहले उन्होंने पैन और आधार को परस्पर बदले जाने की व्यवस्था शुरू की थी।