राखीगढ़ी में पुरातत्व और तकनीक का संगम: ASI ने शुरू किया क्यूआर प्रोजेक्ट, दो भाषाओं में मिलेगी पूरी जानकारी
राखीगढ़ी हड़प्पा सभ्यता के सबसे बड़े पुरातात्विक स्थलों में से एक है। यह स्थल करीब 5,000 साल पुरानी सिंधु घाटी सभ्यता की संस्कृति और उन्नत जीवन शैली का प्रमाण है। यहां की खुदाई में कई महत्वपूर्ण अवशेष मिले हैं, जिनमें व्यवस्थित नगर योजना, जल निकासी प्रणाली, कुम्हार कला और मिट्टी के बर्तन शामिल हैं।

विस्तार
हिसार के राखीगढ़ी में अब हड़प्पा संस्कृति को समझने के लिए गाइड की जरूरत नहीं पड़ेगी। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने यहां क्यूआर प्रोजेक्ट शुरू किया है, जो पुरातत्व और आधुनिक तकनीक को जोड़ने का एक अनोखा प्रयास है।

पर्यटक अब साइट्स पर लगे क्यूआर कोड को स्कैन करके हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। खास बात यह है कि यह जानकारी न केवल टेक्स्ट फॉर्म में बल्कि स्पिकिंग मोड में भी उपलब्ध होगी।
दो भाषाओं में मिलेगी जानकारी
एएसआई चंडीगढ़ सर्कल के क्यूआर प्रोजेक्ट के तहत पर्यटक, साइट पर लगे क्यूआर कोड को अपने स्मार्टफोन से स्कैन कर सकते हैं। कोड स्कैन करते ही संबंधित साइट की ऐतिहासिक जानकारी स्क्रीन पर दिखाई देने लगेगी। पर्यटकों की सुविधा के लिए यह जानकारी हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में उपलब्ध है।
खास बात यह है कि इसे केवल पढ़ा ही नहीं जा सकता, बल्कि स्पिकिंग मोड में सुना भी जा सकता है। एएसआई चंडीगढ़ सर्कल के अधिकारियों का कहना है कि यह पहल न केवल राखीगढ़ी के ऐतिहासिक महत्व को उजागर करेगी, बल्कि यहां आने वाले पर्यटकों की संख्या में भी इजाफा करेगी। आधुनिक तकनीक का उपयोग करके पर्यटकों को बेहतर अनुभव देने का यह प्रयास भारत में धरोहर स्थलों पर पर्यटन को एक नई दिशा देगा।