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Chandigarh: संक्रमित है GMCH-32 का हर कोना, जांच रिपोर्ट में खुलासा-पानी तक में बैक्टिरिया का वास

वीणा तिवारी, अमर उजाला, चंडीगढ़ Published by: निवेदिता वर्मा Updated Sun, 11 Jun 2023 11:00 AM IST
सार

जीएमसीएच 32 में चंडीगढ़ के साथ ही पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर के हजारों रेफर मरीज आते हैं। ऐसे में एक बात तो साफ है कि इस तरह की लापरवाही कर उन मरीजों की जान के साथ खुलेआम खिलवाड़ किया जा रहा है।

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Bacteria is spread in every corner of GMCH 32 Chandigarh
जीएमसीएच 32 अस्पताल - फोटो : file photo
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विस्तार
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चंडीगढ़ के सेक्टर 32 स्थित सरकारी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में भर्ती मरीजों की जान खतरे में है। क्योंकि अस्पताल के कोने-कोने में बैक्टिरिया फैला हुआ है। अस्पताल की ओटी, आईसीयू, इमरजेंसी, वार्ड, एचडीयू तक में अलग-अलग प्रकार के गंभीर बैक्टिरिया का बसेरा हो चुका है। अस्पताल के माइक्रोबायोलॉजी विभाग की जांच रिपोर्ट में इसकी पुष्टि हुई है। 
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स्थिति इस कदर गंभीर हो चुकी है कि अस्पताल प्रशासन से जल्द से जल्द सभी क्षेत्रों में बार-बार फ्यूमिगेशन करने को कहा गया है। इतना ही नहीं अस्पताल के पानी में भी बैक्टिरिया उत्पन्न हो चुके हैं। स्यूडोमोनस बैक्टिरिया वाले पानी कैंसर और थैलेसीमिया के मरीजों को पिलाया जा रहा है।
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अस्पताल संक्रमण नियंत्रण समिति की 7 जून को हुई बैठक में यह रिपोर्ट पेश की गई है। जिसमें विभिन्न यूनिट के साथ पानी में बैक्टिरिया ग्रोथ की पुष्टि की गई है। अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. सुधीर गर्ग की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में विशेषज्ञों ने स्थिति को गंभीर बताते हुए उसे तत्काल ठीक करने की सलाह दी है। 

भर्ती मरीजों की जान जोखिम में
अस्पताल के लगभग सभी महत्वपूर्ण यूनिट में बैक्टिरिया का कब्जा है। रिपोर्ट के अनुसार इमरजेंसी गाइनी ऑपरेशन थियेटर में एमआरएसए बैक्टिरिया पाया गया है। जबकि रिस्पेरेटरी आईसीयू के काउंटर, फोन, कार्डियक मॉनिटर पर क्लेबसिएला न्यूमोनिया बैक्टिरिया पाया गया है। सी ब्लॉक स्थित फीमेल सर्जिकल वार्ड के अंबू बैग में, फिमेल आर्थो वार्ड के फोन और काउंटर पर, ए ब्लॉक स्थित आई वार्ड, ईएनटी वार्ड के उपकरण पर, फीमेल मेडिकल वार्ड, मेल मेडिकल वार्ड, पल्मोनरी मेडिसिन वार्ड, हाईडिपेंडेंसी यूनिट, सी ब्लॉक के आईसीयू में एमआरएसए, ई. कोलाई, क्लेबसिएला न्यूमोनिया, स्यूडोमोनस जैसे अलग-अलग प्रकार के गंभीर बैक्टिरिया पाए गए हैं।

कैंसर और थैलेसीमिया के मरीज पी रहे गंदा पानी
स्थिति यह है कि जीएमसीएच 32 के साथ ही सेक्टर 48 के अस्पताल में भी बैक्टिरिया वाले पानी की आपूर्ति की जा रही है। रिपोर्ट के अनुसार सेक्टर 48 के कैंसर वार्ड और जीएमसीएच 32 के पीडियाट्रिक थैलीसीमिया वार्ड, सराय बिल्डिंग ए ब्लॉक, मेंटल हेल्थ इंस्टीट्यूट के पानी में स्यूडोमोनस बैक्टिरिया की ग्रोथ पाई गई है। जबकि इन जगहों पर जीएमसीएच 32 के अंडरग्राउंड वाटर टैंक से पानी की आपूर्ति की जा रही है।

एमआरएसए संक्रमण छेद देती है त्वचा
एमआरएसए संक्रमण छोटे लाल धक्कों के रूप में शुरू होते हैं जो जल्दी से गहरे, दर्दनाक फोड़े में बदल सकते हैं। स्टैफ त्वचा संक्रमण, एमआरएसए सहित, आमतौर पर सूजन, दर्दनाक लाल धक्कों के रूप में शुरू होता है जो पिंपल्स या मकड़ी के काटने की तरह लग सकता है।

ई. कोलाई संक्रमण पेट के लिए घातक
ई-कोलाई बैक्टीरिया आमतौर पर स्वस्थ लोगों और जानवरों की आंतों में रहते हैं। ई. कोलाई के अधिकांश प्रकार हानिरहित होते हैं। ई. कोलाई से पेट में गंभीर ऐंठन, खूनी दस्त और उल्टी हो सकती है।

क्लेबसिएला न्यूमोनिया भी खतरनाक
क्लेबसिएला न्यूमोनिया एक जीवाणु है जो मानव आंतों के अंदर रहता है। हालांकि, यदि यह शरीर के अन्य क्षेत्रों में पहुंच जाता है, तो इससे निमोनिया, रक्तप्रवाह संक्रमण, मेनिन्जाइटिस और मूत्र पथ के संक्रमण जैसी बीमारियां हो सकती हैं।

स्यूडोमोनस आप भी जान लें
स्यूडोमोनस संक्रमण, स्यूडोमोनस वर्ग बैक्टिरिया के कारण होने वाला रोग हैं। वातावरण(मिट्टी, पानी और पौधों) में यह व्यापक रूप से पाए जाने वाले बैक्टीरिया हैं। आमतौर पर यह स्वस्थ लोगों में संक्रमण का कारण नहीं बनते है। अगर किसी स्वस्थ व्यक्ति में यह संक्रमण हो भी जाए तो इसका प्रभाव बेहद ही कम होता है। इस संक्रमण के गंभीर प्रभाव अस्पताल में भर्ती मरीजों और कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों पर पड़ता है। स्यूडोमोनड्स अस्पताल के माहौल में होने वाला संक्रमण है। यह संक्रमण शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है।

अस्पताल प्रशासन समय-समय पर पानी और अन्य चीजों की जांच करवाता है। जहां भी कमियां पाई जाती हैं उसे तत्काल ठीक कर उसकी दोबारा गुणवत्ता जांची जाती है। -डॉ. सुधीर गर्ग, चिकित्सा अधीक्षक जीएमसीएच 32
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