सब्सक्राइब करें
Hindi News ›   Chandigarh ›   success story of punjab woman ekta, who used internet service of goole to be success

गजब का जुनूनः पति-ससुर ने रोका फिर भी जिद कर ली इंटरनेट की नॉलेज, आज खुद चला रहीं घर

रिशु राज सिंह, अमर उजाला, चंडीगढ़ Published by: खुशबू गोयल Updated Wed, 17 Jul 2019 02:36 PM IST
विज्ञापन
success story of punjab woman ekta, who used internet service of goole to be success
मोबाइल यूजर - फोटो : फाइल फोटो
विज्ञापन
गजब के जज्बे को सलाम, पठानकोट (पंजाब) के एक छोटे से गांव में रहने वाली एकता के घर की आर्थिक स्थिति एक साल पहले तक काफी खराब थी। एकता ने पहली बार यू ट्यूब से घर पर नूडल्स बनाना सीखा और अपने बच्चों को खिलाया। वह यह बताते हुए रो पड़ीं कि उनके बच्चों ने इससे पहले नूडल्स देखे तो थे लेकिन खाए कभी नहीं थे।
Trending Videos


उन्होंने पति और ससुर के खिलाफ जाकर इंटरनेट की नॉलेज ली। एकता को घर से बाहर पैर रखने को भी मना किया गया था, लेकिन जिद थी सीखने की और अब वह इंटरनेट की नॉलेज से अपना घर चला रही हैं। कुछ ऐसी ही कहानी होशियारपुर की गुरप्रीत कौर की भी है। दरिया किनारे घर, वह भी कच्चा। कई दिनों तक बिजली नहीं रहती।
विज्ञापन
विज्ञापन


कम पढ़ी-लिखी गुरप्रीत कौर ने जब पहली बार मोबाइल के बारे में जानने के लिए पति से पूछा तो डांट ही मिली। कहा गया कि मोबाइल ने दुनिया को बिगाड़ रखा है, तुझे भी बिगाड़ देगा। लेकिन वह नहीं मानीं।

जानकारी मिली कि गांव में मोबाइल को लेकर ट्रेनिंग दी जा रही है, गुरप्रीत वहां गईं और दो दिन का ट्रेनिंग सेशन प्राप्त किया। इस सेशन में उन्हें स्मार्टफोन के इस्तेमाल के बारे में बताया गया। उन्हें दो स्मार्टफोन दिए गए, एक पर्सनल यूज के लिए और एक दूसरी महिलाओं को स्मार्ट फोन का इस्तेमाल सिखाने के लिए। अब लोग इंटरनेट से जुड़े छोटे-बड़े कामों के लिए उनके पास आते हैं।

वह गांव के स्टूडेंट्स को सरकारी नौकरियों की वैकेंसी की जानकारी देती हैं। पति भी अब साथ देने लगे हैं। एकता और गुरप्रीत कौर अब इंटरनेट के जरिए अपना बहुत सारा काम करती हैं। एकता ने यूट्यूब से मोमोज, बर्गर, नूडल्स आदि बनाना सीखकर दुकान खोल ली है, जिससे वह घर का खर्च चला रही हैं। साथ ही खेती की आधुनिक तकनीक सीखकर खेती कर रही हैं।

उन्होंने बताया कि अंग्रेजी नहीं आने की वजह से ज्यादातर महिलाएं इंटरनेट से दूरी बनाए हुए हैं, लेकिन वॉयस सर्च ने उनके सामने खड़ी भाषा की दीवार हटा दी है। वह अंग्रेजी में टाइप करने में ज्यादा एक्सपर्ट नहीं है इसलिए बोल कर ही सर्च कर लेती हैं। इसके जरिए वह अपनी बेटियों के लिए स्कूल के प्रोजेक्ट तैयार कर लेती हैं।

 

यह कुछ उदाहरण है बदलाव के, पंजाब समेत देश के ग्रामीण इलाकों में ऐसी लाखों कहानियां हैं। गूगल अपने इंटरनेट साथी प्रोग्राम के जरिए महिलाओं के लिए रोजगार के नए अवसर पैदा कर रही है। लगभग 90 प्रतिशत महिलाएं जो इंटरनेट साथी प्रोग्राम की ट्रेनिंग का हिस्सा बनीं, इंटरनेट को बेहतर तरीके से समझने लगी हैं। 25 प्रतिशत महिलाएं जिन्होंने इंटरनेट का इस्तेमाल सीखा, इसका लाभ उठा रही हैं।

गूगल के डेटा के मुताबिक गुजरात में सबसे ज्यादा 35 प्रतिशत महिलाएं साथियों से सीखकर इंटरनेट इस्तेमाल कर रही हैं। इंटरनेट साथी प्रोग्राम के एक हिस्से के तौर पर महिला एंबेसडर गूगल से इंटरनेट इस्तेमाल करना सीखती हैं और ‘साथी’ बनती हैं। ये साथी इसके बाद गांवों में जाकर महिलाओं को इंटरनेट के बारे में बताती हैं और समझाती हैं कि इसे रोजमर्रा के कामों के लिए कैसे इस्तेमाल किया जा सकता है। इस ट्रेनिंग में फोन ऑपरेट करने से लेकर ऑनलाइन जानकारी ढूंढने और वॉट्सएप चलाने तक सब कुछ सिखाया जाता है।

क्या है इंटरनेट साथी?
18 वर्ष से ऊपर की महिलाओं और लड़कियों को चुनकर उन्हें मोबाइल और इंटरनेट की ट्रेनिंग दी जाती है, फिर उन्हें एक स्मार्टफोन और एक टेबलेट (जिसमें अनलिमिटेड इंटरनेट डाटा होता है) दिया जाता है। ट्रेनिंग के बाद ये इंटरनेट साथी अपने आसपास के गांवों की महिलाओं को इंटरनेट के प्रति जागरूक करती हैं।
विज्ञापन
विज्ञापन
विज्ञापन
विज्ञापन

एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें

Next Article

एप में पढ़ें

Followed