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चंडीगढ़ में कोरोना आईसीयू की स्थिति बेहद दयनीय, 15 मरीजों पर महज दो स्टाफ, कैसे बचेगी जान

अमर उजाला, चंडीगढ़ Published by: खुशबू गोयल Updated Fri, 18 Sep 2020 11:34 AM IST
सार

  • सेक्टर- 48 के कोविड आईसीयू में मानकों की अनदेखी कर हो रहा मरीजों का इलाज
  • एक मरीज पर एक स्टाफ की होनी चाहिए उपलब्धता, 15 पर दो स्टाफ कर रहे ड्यूटी  
  • यही स्थिति जीएमसीएच- 32 में देखने को मिली, 8 मरीज पर दो स्टाफ कर रहे ड्यूटी

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Corona ICU of Chandigarh Facing Lack of Staff
कोरोना वायरस (प्रतीकात्मक तस्वीर) - फोटो : iStock
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विस्तार
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चंडीगढ़ स्थित जीएमसीएच- 32 और सेक्टर- 48 में बनाए गए कोविड-हॉस्पिटल की आईसीयू की स्थिति बेहद दयनीय है। यहां भर्ती कोरोना के मरीज भगवान भरोसे छोड़ दिए गए हैं। आलम यह है कि 15 बेड के आईसीयू में महज दो नर्सिंग ऑफिसर की ड्यूटी लगाई जा रही है। इसमें से एक लगातार अस्पताल प्रशासन को फोन पर अपडेट करने में लगा रहता है।
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वहीं दूसरा मरीज 15 गंभीर मरीजों की मॉनिटरिंग और इलाज कर रहा है। अस्पताल प्रशासन की ओर से की जा रही अनदेखी से दोनों अस्पतालों के कर्मचारी बेहद चिंतित हैं। उनका कहना है कि अगर यही स्थिति रही तो कुछ दिनों में आईसीयू में भर्ती एक भी मरीज की जान बचानी मुश्किल होगी।
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..जूनियर रेजिडेंट तो जानकारी नहीं नर्सिंग ऑफिसर ने बचाई जान
जीएमसीएच- 32 की कोविड आईसीयू में कुछ दिन पहले एक जूनियर रेजिडेंट की ड्यूटी लगाई गई। उसे आईसीयू से जुड़ी कोई जानकारी नहीं थी। ड्यूटी के दौरान मरीज की हालत बिगड़ी तो उसे इनट्यूबेट ( वेंटिलेटर वाले मरीज में ऑक्सीजन के लिए गले या नाक से पाइप डालने की प्रक्रिया) करना था। लेकिन उन्हें  इसकी कोई जानकारी नहीं थी। प्रक्रिया में देरी होने पर मरीज की स्थिति तेजी से बिगड़ती देख ड्यूटी पर तैनात नर्सिंग ऑफिसर ने मरीज को इनट्यूबेट कर उसकी जान बचाई।  

नर्सिंग ऑफिसर ने स्थिति नियंत्रित की

सेक्टर- 48 के कोविड हॉस्पिटल की आईसीयू में भर्ती एक एक मरीज को बेहोशी की दवा देनी थी। लेकिन ड्यूटी कर रहे जूनियर रेजीडेंट को बेहोशी की दवा के डोज की कैलकुलेशन मालूम नहीं थी। यहां भी इलाज में देरी पर मरीज की जान पर बन गई तब एक नर्सिंग ऑफ़िसर ने उसे बेहोशी की दवा देकर स्थिति को नियंत्रित किया।  

जीएमसीएच- 32 और 48 की व्यवस्था भगवान भरोसे  
कोविड-आईसीयू में महज 2 पैरा मेडिकल स्टाफ और 1 जूनियर डॉक्टर की ड्यूटी लगाई जा रही है। वहीं सेक्टर- 48 में बनाए गए कोविड हॉस्पिटल के 15 बेड के आईसीयू में 2 नर्सिंग ऑफिसर गंभीर मरीजों के बीच जूझने को मजबूर हैं। इतना ही नहीं वहां ऐसे नए जूनियर डॉक्टर की ड्यूटी लगाई जा रही है जिन्हें आईसीयू से जुड़ी कोई जानकारी ही नहीं होती है। दोनों अस्पतालों के आईसीयू की स्थिति इतनी दयनीय हो चुकी है कि वहां के स्टाफ भी इसे लेकर बेहद चिंतित हैं। उनका कहना है कि मरीजों के परिजनों को आईसीयू के अंदर आने नहीं दिया जाता।

पीजीआई की व्यवस्था कुछ यूं है  
पीजीआई के कोविड-19 हॉस्पिटल की 10-10 बेड की बनाई गई 4 आईसीयू में मानक के अनुसार पैरामेडिकल और अन्य कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई है। इसमें एक यूनिट में 8 नर्सिंग ऑफिसर, चार जूनियर डॉक्टर, चार सीनियर डॉक्टर, 2 टेक्निकल स्टाफ, 2 हॉस्पिटल अटेंडेंट, 2 स्वीपर की 6 घंटे की रोटेशन के अनुसार ड्यूटी लगाई गई है । इसके अलावा एक सीनियर डॉक्टर हर घंटे यूनिट का राउंड करता है।  

अब तक 70 से ज्यादा मौत

जीएमसीएच- 32 की आईसीयू में भर्ती मरीजों और हुई मौतों का आंकड़ा देखा जाए तो पीजीआई की तुलना में वह संख्या कई गुना ज्यादा है। पीजीआई में मार्च से अब तक कोविड-आईसीयू में 274 मरीजों को भर्ती किया गया है। उनमें से 86 मरीजों की मौत हो चुकी है। जबकि जीएमसीएच- 32 में महज 3 महीनों में 210 मरीजों को भर्ती किया गया है जिनमें से 70 की मौत हो चुकी है।  

डॉ. बंसल बोले- आईसीयू में एक एक सेकेंड बेहद कीमती  
हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. अश्विनी बंसल का कहना है कि आईसीयू में भर्ती मरीजों के लिए एक-एक सेकंड बेहद कीमती होता है। इसलिए आईसीयू की गाइडलाइन के अनुसार वहां प्रत्येक मरीज पर एक पैरामेडिकल स्टाफ की ड्यूटी लगाई जानी आवश्यक है, क्योंकि एक पैरा मेडिकल स्टाफ अगर एक समय में 1 से ज्यादा मरीजों की मॉनिटरिंग करेगा तो उससे किसी न किसी स्तर पर चूक होने की आशंका रहेगी।

इसलिए आईसीयू में जूनियर रेजिडेंट, सीनियर रेजिडेंट, हॉस्पिटल अटेंडेंट , टेक्निकल स्टाफ, नर्सिंग ऑफिसर की रोटेशन के अनुसार ड्यूटी लगाई जाती है। इसके साथ ही सीनियर डॉक्टर समय-समय पर आईसीयू में भर्ती मरीजों का फॉलोअप लेते रहते हैं।

उधर, जब इस मामले बारे में स्वास्थ्य सचिव अरुण कुमार और चंडीगढ़ प्रशासक के सलाहकार मनोज परिदा से टिप्पणी मांग गई तो उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया।
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