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100 के बदले 150 रुपये: व्हाट्सएप और टेलीग्राम जैसे एप से झांसा...यहां से शुरू होता है असली खेल; VIP भी न बचे

विवेक शर्मा, अमर उजाला, चंडीगढ़ Published by: शाहरुख खान Updated Mon, 29 Dec 2025 12:57 PM IST
सार

साइबर ठग व्हाट्सएप, टेलीग्राम जैसे ऐप से फंसा रहे हैं। जब तक लोगों को ठगी का पता चलता है उनके खाते से लाखों रुपये साफ हो चुके होते हैं। साइबर ठग वीआईपी को भी नहीं छोड़ रहे हैं। साइबर अपराधी अपने शिकार का चुनाव आमतौर पर व्हाट्सएप मैसेज के जरिए करते हैं। इसमें केवल पेज लाइक करने या गूगल पर रेटिंग देने का ऑफर दिया जाता है।

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Cyber fraudsters are using apps like WhatsApp and Telegram to trap victims even VIPs are not spared
Cyber fraud - फोटो : अमर उजाला ग्राफिक्स
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विस्तार
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डिजिटल युग में तकनीक का दुरुपयोग कर साइबर अपराधी तेजी से लोगों को शिकार बना रहे हैं। व्हाट्सएप और टेलीग्राम जैसे मैसेजिंग ऐप्स के माध्यम से नकली निवेश और डिजिटल अरेस्ट का झांसा देकर लाखों की ठगी करने के मामले आम हो गए हैं। अब केवल आम लोग ही नहीं बल्कि वीआईपी भी इन अपराधियों के निशाने पर हैं।
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हाल ही में पंजाब में एक दुखद घटना हुई जब पूर्व आईपीएस अमर सिंह चहल व्हाट्सएप पर 8.10 करोड़ रुपये की ठगी का शिकार बनने के बाद आत्महत्या कर ली। वहीं, ओसवाल ग्रुप के चेयरमैन एसपी ओसवाल को ठगों ने डिजिटल अरेस्ट का शिकार बनाया। चहल को ठगी के जाल में फंसाने के लिए उन्हें एक व्हाट्सएप ग्रुप में जोड़ा गया, जहां मोटा मुनाफा दिलाने का लालच दिया गया। जब उन्हें ठगी का एहसास हुआ तब तक करोड़ों रुपये हाथ से निकल चुके थे।
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साइबर अपराधियों की रणनीति
साइबर अपराधी अपने शिकार का चुनाव आमतौर पर व्हाट्सएप मैसेज के जरिए करते हैं। इसमें केवल पेज लाइक करने या गूगल पर रेटिंग देने का ऑफर दिया जाता है। जब शिकार इसे स्वीकार करता है, तो अपराधी लालच देकर उसे अपने जाल में फंसा देते हैं।
 

अमर उजाला ने उजागर किया ठगी का पूरा तंत्र
हमने ऐसे ही एक ग्रुप से जुड़कर खुद को निवेशक के रूप में पेश किया। इसके बाद हमें साइबर ठग का मैसेज मिला, जिसमें रोजाना हजारों रुपये की कमाई का लालच दिया गया।
 

झांसे में फंसाने की पूरी प्रक्रिया
पहला चरण

तीन लिंक दिए गए और गूगल पर पेज रेटिंग करने के लिए कहा गया। प्रत्येक रेटिंग के लिए 50 रुपये का भुगतान तय किया गया। स्क्रीनशॉट लेकर टेलीग्राम पर भेजने का लिंक दिया गया।
 

दूसरा चरण
टेलीग्राम पर कथित “टीचर” से संपर्क किया गया। खाते की जानकारी दी और भुगतान किया। विश्वास दिलाया गया कि रोजाना हजारों रुपये कमाए जा सकते हैं।
 

तीसरा चरण
अगले छह टास्क के लिए निवेश बढ़ाने को कहा गया। पहले न्यूनतम 1 हजार रुपये निवेश कराया गया। डिजिटल प्लेटफॉर्म पर निवेश दिखाया गया। पहले निवेश पर थोड़ा मुनाफा दिखाया गया, जिससे विश्वास पैदा हुआ। टास्क 1 से 6 के माध्यम से हमारी निर्भयता और लालच का फायदा उठाया गया।
 

चौथा चरण
टास्क 7 से 12 तक के लिए और निवेश की मांग की गई। टास्क 12 में प्रारंभिक निवेश 5 हजार रुपये तय किया गया। निवेश का झांसा देकर और अधिक रकम फंसाई गई।
 

यहां से शुरू होता है असली खेल
-पहले दिखाया गया मुनाफा केवल भ्रम था।
-अगले टास्क पूरा करने के लिए लगातार दबाव डाला गया।
-न्यूनतम निवेश 10 हजार रुपये तक बढ़ा दिया गया।
-असहमति पर चेतावनी दी गई कि टास्क पूरा नहीं करने पर पूंजी और मुनाफा दोनों वापस नहीं मिलेगा।
-इसके बाद ग्रुप टेलीग्राम पर डिलीटेड अकाउंट के रूप में दिखाई देने लगा।

इन्वेस्टमेंट बचाने के चक्कर में बड़ी ठगी
अधिकांश लोग निवेश की राशि बचाने के लिए लगातार आगे बढ़ते हैं और नए टास्क में फंसकर अपनी पूरी कमाई खो देते हैं। छोटी राशि खोने वाले शिकायत नहीं करते, जबकि बड़ी ठगी के मामले ही पुलिस तक पहुंच पाते हैं।

टेलीग्राम ग्रुप में देते हैं भरोसा
साइबर ठग ग्रुप में निवेशक को जोड़ते हैं, जिसमें सैकड़ों लोग मुनाफे के स्क्रीनशॉट शेयर करते हैं। यह झांसा देता है कि आप अकेले नहीं हैं। ग्रुप में लगातार नकली मुनाफे की तस्वीरें और संदेश भरोसा बनाने के लिए भेजे जाते हैं। लोग अपनी सुरक्षा और कमाई के बहाने अतिरिक्त निवेश करने लगते हैं।
 

विशेषज्ञ की राय
साइबर अपराध विशेषज्ञ कहते हैं कि साइबर ठग मोटे मुनाफे के लालच से आम लोगों और वीआईपी दोनों को फंसाते हैं। इस प्रकार के जाल में फंसने के बाद व्यक्ति मानसिक और वित्तीय रूप से प्रभावित होता है।

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