साइबर फ्रॉड: डर और लालच कस रहा फंदा, पंजाब में डिजिटल अरेस्ट के मामले बढ़े; हाईप्रोफाइल केसों से बढ़ी चिंता
पंजाब में साइबर फ्रॉड अब सिर्फ तकनीकी अपराध नहीं बल्कि सामाजिक चुनौती बन चुका है। जब तक जागरूकता, सतर्कता और त्वरित रिपोर्टिंग नहीं बढ़ेगी तब तक ठग नए-नए जाल बिछाते रहेंगे। डिजिटल युग में सावधानी ही सबसे बड़ा सुरक्षा कवच है।
विस्तार
पंजाब में साइबर अपराध अब संगठित और बेहद शातिर रूप ले चुका है। बीते एक साल में ऑनलाइन ठगी, फर्जी कॉल, निवेश स्कैम और खासतौर पर डिजिटल अरेस्ट के मामलों ने आम लोगों के साथ-साथ अफसरों और कारोबारियों को भी चपेट में लिया है।
पुलिस रिकॉर्ड बताते हैं कि साइबर अपराधी डर, लालच और तकनीकी अज्ञानता को हथियार बनाकर लाखों-करोड़ों रुपये की ठगी कर रहे हैं। पटियाला के पूर्व आईजी अमर सिंह चहल और वर्धमान ग्रुप के प्रमुख एसपी ओसवाल से करीब आठ-आठ करोड़ रुपये की ठगी के मामलों ने पंजाब पुलिस की चिंता बढ़ा दी है।
सबसे खतरनाक चलन डिजिटल अरेस्ट का है। इसमें ठग खुद को पुलिस, सीबीआई, ईडी या कस्टम अधिकारी बताकर कॉल करते हैं। पीड़ित को बताया जाता है कि उसके नाम पर मनी लॉन्ड्रिंग, ड्रग्स या अवैध पार्सल का मामला दर्ज है। गिरफ्तारी से बचाने के नाम पर उसे वीडियो कॉल पर निगरानी में रखकर पैसे ट्रांसफर करवाए जाते हैं।
साइबर ठगों के नए-पुराने तरीके
-डिजिटल अरेस्ट स्कैम: फर्जी केस दिखाकर वर्चुअल निगरानी में रखकर रकम वसूली।
-फर्जी निवेश प्लेटफॉर्म: शेयर, क्रिप्टो, ऑनलाइन ट्रेडिंग में भारी मुनाफे का झांसा।
-ओटीपी और केवाईसी फ्रॉड: बैंक या सरकारी एजेंसी बनकर गोपनीय जानकारी हासिल करना।
-सोशल मीडिया ठगी: फेसबुक-इंस्टाग्राम पर फर्जी प्रोफाइल से दोस्ती कर ठगी।
-फर्जी नौकरी और लोन ऑफर: प्रोसेसिंग फीस के नाम पर रकम ऐंठना।
केस स्टडी 1
पंजाब पुलिस अधिकारी का डिजिटल अरेस्ट फ्रॉड
पंजाब के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी कर्नल बलवीर सिंह को ठगों ने डिजिटल अरेस्ट के नाम पर 5 मई, 2024 को ठगा। ठगों ने खुद को सीबीआई अधिकारी बताकर वीडियो कॉल पर गिरफ्तार करने का डर दिखाया और बैंक खातों से लाखों रुपये ट्रांसफर करवा लिए। पुलिस ने मामले की जांच शुरू की, लेकिन ठगों का कोई सुराग नहीं मिला।
केस स्टडी 2
मोहाली में निवेश ऐप फ्रॉड
जसबीर कौर, मोहाली की एक महिला ने 15 जून 2024 को एक फर्जी निवेश ऐप में निवेश किया। ऐप ने शुरू में मुनाफा दिखाया लेकिन जब महिला ने अपने पैसे निकाले तो ऐप काम करना बंद कर गया। जसबीर ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। जांच के दौरान पुलिस ने पाया कि यह ऐप पूरी तरह से फर्जी था, और ठगों ने लाखों रुपये ठगे।
केस स्टडी 3
जालंधर सोशल मीडिया फ्रॉड
जालंधर के एक व्यापारी प्रेम सिंह को ठगों ने 23 जुलाई 2024 को सोशल मीडिया पर दोस्ती कर ठग लिया। फर्जी महिला ने उसे पैसे भेजने का आग्रह किया और बताया कि उसे उपहार भेजना है। प्रेम सिंह ने 2 लाख रुपये ट्रांसफर कर दिए। बाद में उसे एहसास हुआ कि यह ठगी थी। पुलिस ने मामले की जांच शुरू की।
केस स्टडी 4
लुधियाना ऑनलाइन शॉपिंग फ्रॉड
लुधियाना की सुरिंदर कौर को 10 सितंबर 2024 को एक ऑनलाइन शॉपिंग फ्रॉड का शिकार होना पड़ा। उसने एक प्रोडक्ट के लिए एडवांस भुगतान किया लेकिन कोई सामान नहीं आया। सुरिंदर ने जांच के लिए पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करवाई जहां पता चला कि वेबसाइट पूरी तरह से फर्जी थी और ठगों ने कई अन्य लोगों को भी निशाना बनाया था।
केस स्टडी 4
फगवाड़ा के सॉफ्टवेयर स्कैम
फगवाड़ा का एक युवक अमित कुमार 5 अक्टूबर 2024 को सॉफ्टवेयर सॉल्यूशन के नाम पर ठगा गया। ठगों ने उसे आईटी सर्विसेज के लिए पैसे जमा करने को कहा और बाद में रकम लेकर संपर्क तोड़ लिया। अमित ने पुलिस से मदद मांगी, और जांच के दौरान पता चला कि यह एक अंतरराज्यीय साइबर गिरोह था जो सॉफ्टवेयर के नाम पर ठगी कर रहा था।
क्यों आसान शिकार बन रहे लोग
-डिजिटल जानकारी की कमी। -डर और जल्दबाजी में लिया गया फैसला।
-फर्जी कॉल को असली मान लेना।
-लालच में बिना जांच निवेश।
ऐसे करें बचाव
-किसी भी कॉल पर खुद को पुलिस या एजेंसी बताने वाले पर तुरंत भरोसा न करें।
-ओटीपी, पिन, केवाईसी दस्तावेज कभी साझा न करें। -अनजान लिंक, ऐप और निवेश ऑफर से दूरी रखें।
-बैंक या पुलिस का दावा हो तो खुद आधिकारिक नंबर पर पुष्टि करें।
-ठगी होने पर तुरंत साइबर हेल्पलाइन 1930 या ऑनलाइन पोर्टल पर शिकायत दर्ज कराएं।