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डीएसपी रामगोपाल को राहत: एसपी बनाने के आदेश के खिलाफ चंडीगढ़ प्रशासन की याचिका सुप्रीम कोर्ट से खारिज

संवाद न्यूज एजेंसी, चंडीगढ़ Published by: निवेदिता वर्मा Updated Tue, 14 Oct 2025 09:41 AM IST
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सार

चंडीगढ़ पुलिस के डीएसपी राम गोपाल की एसपी बनने की लड़ाई 2017 में शुरू हुई थी, जो सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद समाप्त हुई।

DSP Ram Gopal Supreme Court dismisses Chandigarh administration plea challenging appointment as SP
चंडीगढ़ डीएसपी राम गोपाल - फोटो : फाइल
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विस्तार
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चंडीगढ़ पुलिस के डीएसपी राम गोपाल को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। डीएसपी राम गोपाल को एसपी बनाने के आदेश के खिलाफ चंडीगढ़ प्रशासन की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। 

24 नवंबर 2020 को कैट ने राम गोपाल के पक्ष में फैसला सुनाते हुए प्रशासन को दो महीने के भीतर उन्हें एसपी पद पर प्रमोट करने के आदेश दिए थे। साथ ही, कैट ने प्रशासन को बकाया वेतनमान, वरिष्ठता और अन्य लाभ देने के भी निर्देश दिए थे। प्रशासन ने इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी, लेकिन हाईकोर्ट ने प्रशासन की अपील खारिज कर दी और दो सप्ताह में प्रमोशन देने का आदेश दिया था। 
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इसके बाद फरवरी में चंडीगढ़ प्रशासन ने हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। जिसपर सोमवार को सुनवाई करते हुए याचिका खारिज कर दी। राम गोपाल की एसपी बनने की लड़ाई 2017 में शुरू हुई थी, जो सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद समाप्त हुई।

मामला 2017 का है। राम गोपाल ने चंडीगढ़ प्रशासन की अधिसूचित नीति के तहत डीएसपी से एसपी पद पर प्रमोशन के लिए आवेदन किया था। हालांकि, प्रशासन ने 17 दिसंबर 2018 को यह कहते हुए आवेदन खारिज कर दिया कि डीएसपी से एसपी प्रमोशन के लिए कोई स्वीकृत पद नहीं है। इस निर्णय को राम गोपाल ने केंद्रीय प्रशासनिक प्राधिकरण (कैट) में चुनौती दी। 

खेल कोर्ट से हुए थे चंडीगढ़ पुलिस में हुए थे एएसआई भर्ती

राम गोपाल खेल कोटे से मार्च 1991 में एएसआई के रूप में चंडीगढ़ पुलिस में भर्ती हुए थे। जून 1996 में वह सब-इंस्पेक्टर बने और दो साल बाद ही उन्हें एडहॉक इंस्पेक्टर के रूप में प्रोमोशन मिला। वर्ष 2009 में वह डीएसपी बने और 2015 में इस पद की स्थायी मान्यता मिली। छह वर्ष डीएसपी रहने के बाद वह 2015 में एसपी बनने के लिए योग्य थे।

राम गोपाल को अपने अधिकारों के लिए कई बार कोर्ट का सहारा लेना पड़ा। डीएसपी पद भी उन्हें हाईकोर्ट के आदेश के बाद ही मिला था। एक समय तो उनके खेल प्रमाण पत्रों की मान्यता पर भी सवाल खड़े कर दिए गए थे, जिसे सही साबित करने के लिए केंद्र सरकार और अंतरराष्ट्रीय खेल महासंघ से प्रमाण पत्रों को सत्यापित करवाना पड़ा था।
 
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