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ये लापरवाही जानलेवा... जीएमसीएच-32 चंडीगढ़ में परिजनों से ही पैक करा रहे संक्रमितों के शव

नवदीप मिश्रा/वीणा तिवारी, चंडीगढ़ Published by: खुशबू गोयल Updated Wed, 19 Aug 2020 03:49 PM IST
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GMCH 32 Chandigarh Careless Behaviour Regarding Corona Patients Dead Body
प्रतीकात्मक तस्वीर
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कलेजे को कंपा देने वाले ये मामला चंडीगढ़ के जीएमसीएच-32 की संवेदनहीनता को बयां करते हैं। अस्पताल स्टाफ का ऐसा रवैया कोरोना को रोकने के लिए लड़ी जा रही लड़ाई में बड़ा रोड़ा है। भारत सरकार और डब्ल्यूएचओ के कोरोना संबंधी तय किए गए मानकों की यहां सरेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं।
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यही वजह है कि अस्पतालों में भी संक्रमण रुक नहीं रहा है। यहां तक कि स्टाफ और डॉक्टर भी संक्रमित हो रहे हैं। हाल ही में डेराबस्सी के परिवार के साथ भी ऐसा ही हुआ। स्टाफ ने परिजनों को कोरोना पीड़ित का शव खुद ही लपेटकर ले जाने के लिए कह दिया। बाद में परिजन एक संस्था की मदद से शव लेकर घर गए और अंतिम संस्कार कराया।
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किसी को नहीं आता था पीपीई किट पहनना  
परिजनों ने बताया कि उनमें से किसी को भी पीपीई किट पहनना नहीं आता था। जबकि भारत सरकार व डब्ल्यूएचओ ने पीपीई किट पहनने के मानक तय किए हैं। एक भी मानक का पालन छूटा तो पीपीई किट पहनने के बावजूद व्यक्ति संक्रमित हो सकता है। प्रबंधन ने इसकी चिंता किए बिना ही परिजनों की जान जोखिम में डाली।

जिन्होंने पैक किया शव उनकी रिपोर्ट भी नहीं मिली
यमुनानगर निवासी अमित यादव ने बताया कि 11 अगस्त को पिता का दाह संस्कार किया था। उसके बाद यमुनानगर में जांच के लिए नमूना दिया था। अभी तक जांच रिपोर्ट नहीं आई है। छोटी बहन कोरोना पॉजिटिव है, वह अलग कमरे में आइसोलेट है। पूरा घर अस्त व्यस्त हो गया है। वहीं अन्य लोग जिन्होंने संक्रमित मरीजों का शव पैक किया था, उन पर भी कोरोना का खतरा मंडरा रहा है। वह खौफ में जी रहे हैं।

प्रबंधन की अव्यवस्थाओं से आहत होकर मरीज दे चुका है जान

अस्पताल प्रबंधन की अव्यवस्थाओं का हाल यह है कि उससे आहत होकर कोरोना संक्रमित एक मरीज अपनी जान तक दे चुका है। मरने से आधे घंटे पहले मरीज ने अपने बेटे को फोन कर प्रबंधन की ओर से की जा रही लापरवाही की शिकायत की थी। साथ ही जल्द अस्पताल से न ले जाने पर जान देने की बात कही थी। उसके कुछ देर बाद मरीज ने अस्पताल की बिल्डिंग से छलांग लगा दी थी। मामले में एडवाइजर मनोज परिदा ने आदेश पर जांच चल रही है। यही नहीं अस्पताल में आत्महत्या करने वाले मरीज के सीधे संपर्क में आये चार सुरक्षाकर्मियों को क्वारंटीन करने में भी लापरवाही बरती गई।

आठ दिन में 57 डॉक्टर-पैरामेडिकल स्टाफ संक्रमित
अस्पताल की इमरजेंसी में अभी कोरोना के संदिग्ध मरीजों को सामान्य मरीजों के बीच भर्ती किया जा रहा है। इस लापरवाही के कारण 8 दिन में 57 डॉक्टर व पैरामेडिकल स्टाफ कोरोना की चपेट में आ चुके हैं।

क्या कहते हैं अधिकारी
यह संभव ही नहीं है कि किसी मरीज के परिजन से संक्रमित मरीज का शव पैक करवाया गया हो। हमारा स्टाफ विश्वसनीय है। वह भारत सरकार के मानकों के आधार पर ही शव को पैक करवाता है।
- डॉ. हरीश दशारी, नोडल ऑफिसर,कोरोना, जीएमसीएच-32

कोरोना संक्रमित शव के दाह संस्कार के लिए स्वास्थ्य विभाग व वालंटियर्स का अच्छा तालमेल है। ऐसा कोई मामला मेरे संज्ञान में नहीं है। कोई व्यक्तिगत मामला होगा तो दिखवा लिया जाएगा।
- मनोज परिदा, एडवाइजर

केस-1: बेटे ने पैक किया कोरोना पीड़ित पिता का शव
यमुनानगर निवासी 55 वर्षीय जोगिंदर कुमार की 11 अगस्त को कोरोना के कारण मौत हो गई थी। जोगिंदर के बेटे अमित ने बताया कि पिता की मौत के बाद मोर्चरी में जहां शव रखा गया था, शाम तक वहीं रखा रहा। किसी ने पिता के शव को प्लास्टिक लीक प्रूफबैग में नहीं रखा था। डॉक्टरों ने कहा कि शव आपको ही पैक करवाना पड़ेगा और मेरे हाथ में पीपीई किट थमा दी। जब कोई विकल्प नहीं दिखा तो मजबूरी में मुझे ही शव पैक करवाना पड़ा।

केस-2: परिजनों ने पैक किया शव
लुधियाना निवासी 65 वर्षीय केवल सिंह की 10 अगस्त को कोरोना से मौत हो गई थी। जीएमसीएच-32 के अस्पताल प्रबंधन ने परिजनों को सूचना देकर सुबह आने के लिए कह दिया। परिजन सुबह 10 बजे अस्पताल पहुंच गए। दोपहर 2 बजे तक परिजनों को इंतजार कराने के बाद प्रबंधन ने केवल सिंह के बेटे रविंदर सिंह से कहा कि जल्दी शव को प्लास्टिक के बैग में पैक कर दीजिए। रविंदर व उनके बहनोई ने पीपीई किट पहनकर शव को पैक किया। तब किसी तरह शव को दाह संस्कार के लिए ले जाया गया।

 

केस-3: पीपीई किट थमाकर बोले-शव पैक कर लो
सेक्टर-32 निवासी 32 वर्षीय आशू की कोरोना से 7 अगस्त को मौत हो गई थी। आशु के भाई दीपक ने बताया कि लीवर की समस्या के कारण आशु की मौत हुई थी। जीएमसीएच-32 अस्पताल प्रबंधन ने आशु का कोरोना टेस्ट किया। 8 अगस्त को उसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आ गई। बावजूद इसके अस्पताल प्रबंधन ने 11 अगस्त को आशु का दाह संस्कार कराया। इस दौरान परिवार के सदस्य अस्पताल के चक्कर काटते रहे। अस्पताल में पहुंचे तो प्रबंधन ने पीपीई किट थमाकर कहा कि शव को पैक कर दो। दीपक ने कहा कि मुझे कुछ पता नहीं था, तो मैंने कोई सवाल किए बिना शव को पैक किया।

केस-4: भाई बहन ने पैक किया मां का शव
रुड़की निवासी 52 वर्षीय कुसुम लता की 9 अगस्त को कोरोना से मौत हो गई थी। कुसुम लता की बेटी ने बताया कि अपने 17 वर्षीय बेटा जीएमसीएच-32 अस्पताल प्रबंधन से सूचना मिलने के बाद मां का शव लेने अस्पताल पहुंचे तो पहले प्रबंधन ने मारपीट सहित अन्य कारणों से मौत बताया। उसके बाद कोरोना पॉजिटिव बताकर मेरे भाई को पीपीई किट दे दी और कहा कि शव पैक करवाइए। मैंने व मेरे भाई ने इसका विरोध किया। तो प्रबंधन ने कहा कि यही प्रक्रिया है, शव आपको ही पैक करवाना पड़ेगा। पिता का साया पहले ही सिर से उठ गया था, मां भी छोड़कर जा चुकी थी। हमने अनाथ होने तक का हवाला दिया, लेकिन किसी ने एक न सुनी।
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