राज्यसभा के लिए लॉबिंग: कुलदीप बिश्नोई चार दिन से दिल्ली में डटे, शाह से लेकर मनोहर लाल से की मुलाकात
भाजपा में शामिल होने के बाद कुलदीप बिश्नोई पार्टी में सक्रिय है। पिछले साल हुए राजस्थान चुनाव में उन्होंने कई सीटों पर सक्रिय भूमिका निभाई थी। राजस्थान में प्रचंड जीत के बाद माना जा रहा था कि भाजपा उन्हें कुछ ईनाम के तौर पर बड़ी जिम्मेदारी दे सकती है।

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भाजपा नेता कुलदीप बिश्नोई पिछले चार दिन से दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं। इस दौरान उन्होंने भाजपा के शीर्ष नेतृत्व और हरियाणा के चुनाव प्रभारियों से मुलाकात की। उनकी इन मुलाकातों को राज्यसभा के लिए दावेदारी और विधानसभा चुनाव में अपने कुछ लोगों को टिकट दिलाने की मांग से जोड़ा जा रहा है। कांग्रेस से किरण चौधरी के भाजपा में शामिल होने के बाद पार्टी के अंदर राज्यसभा चुनाव के लिए मुकाबला कड़ा हो गया है।

भाजपा नेता कुलदीप बिश्नोई ने अपनी पत्नी के साथ 17 जून को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी। इस दौरान एक्स पर फोटो शेयर करते हुए लिखा कि अमित शाह से मुलाकात कर विधानसभा चुनाव समेत कई विषयों पर विस्तृत चर्चा हुई। उसके बाद उन्होंने केंद्रीय मंत्री व हरियाणा के चुनाव प्रभारी धमेंद्र प्रधान, हरियाणा के सहप्रभारी बिप्लब कुमार देब और शुक्रवार को केंद्रीय मंत्री व हरियाणा के पूर्व सीएम मनोहर लाल से मुलाकात की।
उनके इस मुलाकातों के बाद माना जा रहा है कि वह राज्यसभा के लिए दावेदारी कर रहे हैं। वहीं, विधानसभा चुनाव भी नजदीक हैं। उनके कुछ करीबी भी चुनाव लड़ने के इच्छुक हैं। जिनके लिए वह टिकट मांग सकते हैं। वहीं, सियासी हलकों में यह भी चर्चा है कि हिसार लोकसभा सीट का चुनाव हारने और रणजीत चौटाला की ओर से भितरघात के लगाए आरोपों के बाद हाईकमान नाखुश है, इसलिए उन्हें मनाने के लिए वह दिल्ली में डटे हैं।
अब तक कुछ खास नहीं मिला बिश्नोई को
भाजपा में शामिल होने के बाद कुलदीप बिश्नोई पार्टी में सक्रिय है। पिछले साल हुए राजस्थान चुनाव में उन्होंने कई सीटों पर सक्रिय भूमिका निभाई थी। राजस्थान में प्रचंड जीत के बाद माना जा रहा था कि भाजपा उन्हें कुछ ईनाम के तौर पर बड़ी जिम्मेदारी दे सकती है। मगर ऐसा हुआ नहीं। उसके बाद वह हिसार लोकसभा सीट से टिकट मांग रहे थे, मगर पार्टी ने उनकी जगह रणजीत चौटाला को टिकट दे दिया। इससे कुलदीप बिश्नोई नाराज भी हो गए थे। सैनी सरकार के नेतृत्व में जब मंत्रिमंडल का गठन हुआ तो उन्होंने अपने बेटे व विधायक भव्य बिश्नोई को मंत्री बनाने की लॉबिंग की, मगर बात सिरे नहीं चढ़ सकी। विधानसभा में उनके बेटे को दोबारा से टिकट मिलना तय है। ऐसे में उनके लिए राज्यसभा जाना सबसे मुफीद रास्ता हो सकता है।