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विश्व सीओपीडी दिवस: सांसों पर मंडरा रहा खतरा, महज दो वर्षों में फेफड़े के मरीज हो गए दोगुने से ज्यादा
वीणा तिवारी, अमर उजाला, चंडीगढ़
Published by: निवेदिता वर्मा
Updated Wed, 20 Nov 2024 02:27 PM IST
सार
दुनिया भर में हार्ट प्रॉब्लम्स और कैंसर के बाद सीओपीडी तीसरा सबसे बड़ा घातक रोग है। बहुत से लोग सांस फूलने और खांसी को उम्र बढ़ने का सामान्य प्रभाव समझने की गलती करते हैं।
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चंडीगढ़ पीजीआई
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
बढ़ते प्रदूषण के साथ ही अव्यवस्थित लाइफस्टाइल से सांसों पर मंडराता खतरा दिनों दिन बढ़ता जा रहा है। स्थिति यह है कि पीजीआई के पलमोनरी मेडिसिन विभाग की ओपीडी में आने वाले मरीजों की संख्या महज 2 वर्षों में दोगुनी से भी ज्यादा हो गई है।
अगर आंकड़ों पर गौर करें तो 2021 में विभाग की ओपीडी में जहां 22517 मरीज देखे गए, वहीं 2023 में यह आंकड़ा 47848 था। 2024 में अब तक 42976 मरीज फेफड़ा और सांस संबंधी मर्ज का इलाज कराने ओपीडी में आ चुके हैं। पलमोनरी मेडिसिन विभाग के प्रमुख डॉ आशुतोष के अग्रवाल का कहना है कि युवाओं को स्वस्थ जीवन शैली अपनानी चाहिए और संतुलित आहार के साथ ही नियमित व्यायाम पर जोर देना चाहिए। धूम्रपान से हर हाल में दूर रहने की जरूरत है। वही इस बात का ध्यान रखना भी बेहद जरूरी है कि बढ़ते हुए प्रदूषण के कारण सीओपीडी जैसे मर्ज से ग्रस्त लोगों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। प्रदूषण के कारण वे लोग भी इसकी चपेट में आ रहे हैं जो धूम्रपान नहीं करते। इसलिए वायु प्रदूषण से बचाव के मानकों का कड़ाई से पालन भी जरूरी है।
पल्मोनोलॉजी कंसल्टेंट डॉ. सोनल का कहना है कि दुनिया भर में हार्ट प्रॉब्लम्स और कैंसर के बाद सीओपीडी तीसरा सबसे बड़ा घातक रोग है। बहुत से लोग सांस फूलने और खांसी को उम्र बढ़ने का सामान्य प्रभाव समझने की गलती करते हैं। वहीं डॉ. जगपाल पंढेर ने बताया कि सीओपीडी के अधिकांश मामले प्रदूषकों को सांस लेने के कारण होते हैं। इसमें धूम्रपान (सिगरेट, पाइप, सिगार, आदि), और दूसरे हाथ का धुआं शामिल है। सीओपीडी के मुख्य जोखिम कारक में धूम्रपान 46% मामलों के लिए जिम्मेदार है, इसके बाद आउटडोर और इनडोर प्रदूषण है जो सीओपीडी के 21% मामलों के लिए जिम्मेदार है और गैसों और धुएं के कब्जे के संपर्क में सीओपीडी के 16% मामलों के लिए जिम्मेदार है।
- खुद को पूरे दिन हाइड्रेटेड रखें और भरपूर मात्रा में पानी पीएं।
- धुएं के संपर्क में न आएं।
- घर में साफ-सफाई के दौरान मास्क लगाएं या वहां न रहें।
- भीड़ वाली जगहों पर जाने से बचें।
- तंबाकू, ध्रमपान व शराब का सेवन न करें।
- स्पाइरोमेट्री से अपने फेफड़ों की जांच जरूर कराएं।
- तेज सर्दी से बचे।
- अपने वजन की निगरानी करें।
- पौष्टिक भोजन लें और व्यायाम करें।
- चिकित्सक की सलाह के अनुसार नियमित दवाइयां लें।
2021 7640 14877 22517
2022 12474 24858 37332
2023 15104 32744 47848
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अगर आंकड़ों पर गौर करें तो 2021 में विभाग की ओपीडी में जहां 22517 मरीज देखे गए, वहीं 2023 में यह आंकड़ा 47848 था। 2024 में अब तक 42976 मरीज फेफड़ा और सांस संबंधी मर्ज का इलाज कराने ओपीडी में आ चुके हैं। पलमोनरी मेडिसिन विभाग के प्रमुख डॉ आशुतोष के अग्रवाल का कहना है कि युवाओं को स्वस्थ जीवन शैली अपनानी चाहिए और संतुलित आहार के साथ ही नियमित व्यायाम पर जोर देना चाहिए। धूम्रपान से हर हाल में दूर रहने की जरूरत है। वही इस बात का ध्यान रखना भी बेहद जरूरी है कि बढ़ते हुए प्रदूषण के कारण सीओपीडी जैसे मर्ज से ग्रस्त लोगों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। प्रदूषण के कारण वे लोग भी इसकी चपेट में आ रहे हैं जो धूम्रपान नहीं करते। इसलिए वायु प्रदूषण से बचाव के मानकों का कड़ाई से पालन भी जरूरी है।
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पल्मोनोलॉजी कंसल्टेंट डॉ. सोनल का कहना है कि दुनिया भर में हार्ट प्रॉब्लम्स और कैंसर के बाद सीओपीडी तीसरा सबसे बड़ा घातक रोग है। बहुत से लोग सांस फूलने और खांसी को उम्र बढ़ने का सामान्य प्रभाव समझने की गलती करते हैं। वहीं डॉ. जगपाल पंढेर ने बताया कि सीओपीडी के अधिकांश मामले प्रदूषकों को सांस लेने के कारण होते हैं। इसमें धूम्रपान (सिगरेट, पाइप, सिगार, आदि), और दूसरे हाथ का धुआं शामिल है। सीओपीडी के मुख्य जोखिम कारक में धूम्रपान 46% मामलों के लिए जिम्मेदार है, इसके बाद आउटडोर और इनडोर प्रदूषण है जो सीओपीडी के 21% मामलों के लिए जिम्मेदार है और गैसों और धुएं के कब्जे के संपर्क में सीओपीडी के 16% मामलों के लिए जिम्मेदार है।
सीओपीडी और अस्थमा में अंतर समझ लें
क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज फेफड़ों की एक ऐसी बीमारी है, जिसमें मरीज को सांस लेने में काफी दिक्कत होती है। आमतौर पर स्वस्थ मनुष्य के फेफड़े स्पंज के समान होते हैं और जब हम सांस के जरिए ऑक्सीजन अंदर लेते हैं तो वह ऑक्सीजन खून के अंदर घुल जाती है और कॉर्बन डाई ऑक्साइड बाहर निकल जाती है। लेकिन सीओपीडी एक ऐसी बीमारी है, जिसमें ऑक्सीजन शरीर के रक्त में नहीं घुल पाती है। इससे शरीर को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन नहीं मिल पाती है। यही कारण है कि मरीज की सांस फूलने लगती है और इसी गलतफहमी के कारण कई लोग सीओपीडी को अस्थमा की बीमारी समझने की भूल कर बैठते हैं जबकि अस्थमा में ऑक्सीजन नहीं घुल पाने जैसी समस्या नहीं होती है।सीओपीडी के कारण
- बचपन के श्वसन संक्रमण का इतिहास
- कोयले या लकड़ी से जलने वाले स्टोव से धुएं का संपर्क
- सेकेंड हैंड स्मोकिंग
- अस्थमा के इतिहास वाले लोग
- जिन लोगों के फेफड़े अविकसित हैं
- जो लोग 40 वर्ष और उससे अधिक उम्र के हैं क्योंकि फेफड़ों की कार्यक्षमता आपकी उम्र के अनुसार कम हो जाती है।
सीओपीडी के लक्षण
- सीने में जकड़न
- पुरानी खांसी जो स्पष्ट, सफेद, पीले या हरे बलगम के साथ आती हो
- बार-बार श्वसन संक्रमण
- ऊर्जा की कमी
- अनपेक्षित वजन घटाने
- सांस की कमी
- टखनों, पैरों या पैरों में सूजन
- घरघराहट
बचाव के लिए इसका रखें ध्यान
- बाहर निकलते समय मास्क का प्रयोग करें।- खुद को पूरे दिन हाइड्रेटेड रखें और भरपूर मात्रा में पानी पीएं।
- धुएं के संपर्क में न आएं।
- घर में साफ-सफाई के दौरान मास्क लगाएं या वहां न रहें।
- भीड़ वाली जगहों पर जाने से बचें।
- तंबाकू, ध्रमपान व शराब का सेवन न करें।
- स्पाइरोमेट्री से अपने फेफड़ों की जांच जरूर कराएं।
- तेज सर्दी से बचे।
- अपने वजन की निगरानी करें।
- पौष्टिक भोजन लें और व्यायाम करें।
- चिकित्सक की सलाह के अनुसार नियमित दवाइयां लें।
पीजीआई के आंकड़े बयां कर रहे हकीकत
साल नए मरीज पुराने मरीज कुल2021 7640 14877 22517
2022 12474 24858 37332
2023 15104 32744 47848