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Punjab: शिअद नेता बिक्रम मजीठिया के साले के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी, मोहाली कोर्ट ने दिया आदेश

संवाद न्यूज एजेंसी, मोहाली (पंजाब) Published by: अंकेश ठाकुर Updated Fri, 21 Nov 2025 04:56 AM IST
सार

मोहाली की विशेष अदालत ने शिअद नेता और पंजाब के पूर्व मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया के साले गजपत सिंह ग्रेवाल के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया है। 

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Mohali court issues arrest warrant against SAD leader Bikram Majithia brother-in-law
बिक्रम मजीठिया। - फोटो : फाइल
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शिअद नेता और पंजाब के पूर्व मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया के साले गजपत सिंह ग्रेवाल के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी हुए हैं। ग्रेवाल की गिरफ्तारी वारंट मोहाली की विशेष अदालत जारी हुए हैं। विजिलेंस ब्यूरो ने अदालत में आवेदन देकर बताया कि आय से अधिक संपत्ति के मामले की जांच के दौरान ग्रेवाल की भूमिका संदिग्ध मिली।

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इसके बाद उनका नाम एफआईआर में शामिल किया गया है। विजिलेंस जांच अधिकारी इंस्पेक्टर इंदरपाल सिंह ने विशेष जज नीतिका वर्मा की अदालत में ग्रेवाल के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी करने की मांग की थी। विजिलेंस ने दावा किया कि ग्रेवाल ने मजीठिया की कथित अवैध संपत्तियों को जुटाने और छिपाने में अहम भूमिका निभाई। बार-बार नोटिस जारी किए जाने के बावजूद वे जांच में शामिल नहीं हुए और लगातार देरी की रणनीति अपनाई। विजिलेंस ने अदालत को बताया कि ग्रेवाल के खिलाफ सेक्शन-179 बीएनएनएस के तहत नोटिस भेजे गए थे लेकिन उन्होंने सहयोग नहीं किया। इसके अलावा उनके खिलाफ न तो किसी अदालत से गिरफ्तारी पर रोक है न ही कोई जमानत आवेदन लंबित है। जांच अधिकारी ने स्पष्ट किया कि ग्रेवाल की गिरफ्तारी अब तक नहीं हो सकी है जबकि आरोप गंभीर हैं। अदालत ने रिकॉर्ड और दलीलों का अध्ययन करने के बाद आवेदन मंजूर कर लिया। आदेश में कहा गया कि तथ्यों को देखते हुए आरोपी गजपत सिंह ग्रेवाल के गिरफ्तारी वारंट जारी किए जाते हैं। वारंट 29 नवंबर 2025 को रिटर्नेबल होंगे।
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यह है पूरा मामला
बिक्रम मजीठिया के खिलाफ विजिलेंस ने आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज किया हुआ है। आरोप है कि मजीठिया ने अपनी घोषित आय की तुलना में लगभग 1,200 प्रतिशत अधिक यानी करीब 700 करोड़ रुपये की संपत्ति अवैध तरीकों से जुटाई। विजिलेंस का दावा है कि यह संपत्ति कथित तौर पर 2013 के ड्रग नेटवर्क से जुड़े 540 करोड़ रुपये के ड्रग मनी को सफेद करके बनाई गई है। यह मामला 2018 की एसटीएफ रिपोर्ट और 2021 के एनडीपीएस केस की वित्तीय जांच से जुड़ा है। एनडीपीएस केस के आरोप 2022 में सबूतों की कमी के चलते रद्द हो गए थे, लेकिन आर्थिक लेनदेन की जांच अभी जारी है।

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