पीजीआई का शोध: ब्रेस्ट कैंसर के इलाज में नई तकनीक से कम हुआ रेडिएशन का असर, मरीजों का बढ़ रहा आत्मविश्वास
अध्ययन में 50 मरीजों को शामिल किया गया था जिन्हें पोस्ट-ब्रेस्ट कंजर्विंग सर्जरी के बाद रेडिएशन थेरेपी दी गई। इस दौरान इमेज-गाइडेड मल्टीकैथेटर इंटरस्टिशियल ब्रैकीथेरेपी तकनीक अपनाने वाले मरीजों में हृदय और त्वचा पर रेडिएशन की खुराक पारंपरिक तकनीक की तुलना में काफी कम पाई गई।

विस्तार
पीजीआई के रेडिएशन ऑन्कोलॉजी विभाग ने ब्रेस्ट कैंसर उपचार से जुड़ी एक महत्वपूर्ण स्टडी में पाया है कि इमेज-गाइडेड मल्टीकैथेटर इंटरस्टिशियल ब्रैकीथेरेपी तकनीक पारंपरिक इंटेंसिटी-मॉड्यूलेटेड रेडियोथैरेपी की तुलना में मरीजों के लिए अधिक सुरक्षित और प्रभावी साबित हुई है।

यह उपलब्धि न केवल वैज्ञानिक दृष्टि से बल्कि भावनात्मक और सामाजिक रूप से भी महत्वपूर्ण है। जहां पहले कैंसर का नाम ही भय पैदा करता था, वहीं अब पीजीआई की यह तकनीक मरीजों के मन से डर मिटाकर उन्हें आशा और आत्मविश्वास दे रही है।
यह अध्ययन जर्नल ऑफ कंटेम्पररी ब्रैकीथेरेपी में प्रकाशित हुआ है। पांच वर्षों तक चली इस स्टडी में 50 मरीजों को शामिल किया गया था। अध्ययन में सामने आया कि इमेज-गाइडेड मल्टीकैथेटर इंटरस्टिशियल ब्रैकीथेरेपी तकनीक से हृदय और त्वचा को होने वाला रेडिएशन एक्सपोज़र उल्लेखनीय रूप से कम होता है। इसके अलावा, मरीजों में लेटल टॉक्सिसिटी (दीर्घकालिक दुष्प्रभाव) भी कम दर्ज की गई। मुख्य शोधकर्ताओं में प्रो. राकेश कपूर, डॉ. गोकुला कृष्णन, डॉ. द्रुप्या खोसला और डॉ. पारसी टोमर शामिल रहे। प्रो कपूर ने बताया कि यह निष्कर्ष भविष्य में ब्रेस्ट कैंसर सर्जरी के बाद रेडिएशन थेरेपी के प्रोटोकॉल को और अधिक सुरक्षित बनाने की दिशा में अहम भूमिका निभा सकता है।
अध्ययन में 50 मरीजों को शामिल किया गया था जिन्हें पोस्ट-ब्रेस्ट कंजर्विंग सर्जरी के बाद रेडिएशन थेरेपी दी गई। इस दौरान इमेज-गाइडेड मल्टीकैथेटर इंटरस्टिशियल ब्रैकीथेरेपी तकनीक अपनाने वाले मरीजों में हृदय और त्वचा पर रेडिएशन की खुराक पारंपरिक तकनीक की तुलना में काफी कम पाई गई। रिसर्च टीम ने पाया कि इमेज-गाइडेड मल्टीकैथेटर इंटरस्टिशियल ब्रैकीथेरेपी तकनीक न केवल मरीजों को रेडिएशन से होने वाले दुष्प्रभावों से बचाती है, बल्कि दीर्घकालिक रिकवरी और सौंदर्यात्मक परिणामों में भी सकारात्मक प्रभाव डालती है।
रेडिएशन का डर अब हुआ कम
ब्रेस्ट कैंसर का उपचार आमतौर पर सर्जरी और रेडियोथेरेपी के संयोजन से किया जाता है। पारंपरिक रेडियोथेरेपी (External Beam Radiation Therapy) में बाहरी मशीन से विकिरण भेजा जाता है, जिससे आसपास के स्वस्थ ऊतक भी प्रभावित हो सकते हैं — जैसे कि त्वचा जलना, थकान, सूजन या लसीका ग्रंथि की क्षति।
इसके विपरीत, इमेज-गाइडेड ब्रैकीथेरेपी में रेडियोएक्टिव स्रोत को कैंसरग्रस्त क्षेत्र के भीतर या उसके बहुत करीब लगाया जाता है। रियल-टाइम इमेजिंग तकनीक की मदद से डॉक्टर ट्यूमर को सटीकता से निशाना बना पाते हैं, जिससे स्वस्थ ऊतकों को नुकसान बेहद कम होता है।
ये हुआ बदलाव
- नई तकनीक से रेडिएशन एक्सपोजर में 40% तक कमी
- रिकवरी अवधि घटकर आधी रह गई
- त्वचा और फेफड़ों पर दुष्प्रभाव लगभग नगण्य
- मरीजों की जीवन गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार
हमारा उद्देश्य सिर्फ कैंसर को हराना नहीं, बल्कि मरीज को कम से कम पीड़ा के साथ जीवन जीने का अवसर देना है। इमेज-गाइडेड ब्रैकीथेरेपी उसी दिशा में एक बड़ा कदम है। - प्रो राकेश कपूर, प्रमुख रेडियोथेरेपी ऑंकोलॉजी विभाग