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PGI चंडीगढ़ में जानलेवा लापरवाही: मरीजों को खिला दी घटिया दवाइयां, कैसे हुआ चौंकाने वाला खुलासा?

वीणा तिवारी, चंडीगढ़ Published by: अंकेश ठाकुर Updated Sun, 14 Sep 2025 01:24 PM IST
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सार

पीजीआई चंडीगढ़ में रोजाना हजारों मरीज इलाज के लिए आते हैं। पंजाब, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, राजस्थान, हरियाणा, उत्तराखंड और यूपी तक के मरीज पीजआई आते हैं। 

Poor quality medicines given to patients without testing in PGI Chandigarh
चंडीगढ़ पीजीआई - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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उत्तर भारत का सबसे बड़े चिकित्सा संस्थान पीजीआई चंडीगढ़ में मरीजों की जान के साथ गंभीर खिलवाड़ का मामला सामने आया है। एक ऑडिट रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि पीजीआई ने खराब गुणवत्ता वाली दवाइयां मरीजों को दे दी थीं। यह लापरवाही इतनी बड़ी है कि दवाइयों के इस्तेमाल के बाद पता चला कि वे मानक गुणवत्ता पर खरी नहीं उतरती थीं। ऑडिट में जिन दवाओं को निम्न गुणवत्ता का पाया गया है, उनमें कई महत्वपूर्ण दवाएं शामिल हैं जिनका उपयोग गंभीर बीमारियों के इलाज में होता है।

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सेंट्रल ऑडिट की एक टीम ने साल 2021-22 के ऑडिट के दौरान पीजीआई की दवा खरीद और वितरण व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठाए हैं। जांच में पता चला कि पीजीआई ने सात अलग-अलग कंपनियों से करीब 1,93,073 दवाओं (इंजेक्शन, टैबलेट, सॉल्यूशन और कैप्सूल सहित) की खरीद की थी। इनमें से 1,04,514 दवाओं का स्टॉक मरीजों के इलाज में इस्तेमाल कर लिया गया था।
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जांच में सामने आया कि ये दवाएं भारतीय फार्माकोपिया और औषधि एवं प्रसाधन सामग्री नियम 1945 के मानकों को पूरा नहीं करती थीं। इन दवाओं में पहचान, शुद्धता और शक्ति की कमी पाई गई। इस चौंकाने वाले खुलासे के बाद पीजीआई प्रशासन ने बची हुई 88,559 दवाओं को वापस कंपनियों को लौटा दिया।

बिना जांच के ही दे दी जाती हैं दवाइयां
ऑडिट रिपोर्ट के मुताबिक पीजीआई में दवाओं के उपयोग से पहले उनके परीक्षण की कोई पुख्ता व्यवस्था नहीं है। नियमों के अनुसार, पांच लाख रुपये से ऊपर की किसी भी दवा की खरीद के साथ उसकी परीक्षण रिपोर्ट होना अनिवार्य है लेकिन पीजीआई ने इन कंपनियों से बिना रिपोर्ट लिए ही दवाओं की आपूर्ति करा ली जो नियमों का सीधा उल्लंघन है।

2022 में भी मचा था बवाल
पीजीआई में साल 2022 में 24 से 27 अगस्त के बीच न्यूरोसर्जरी के पांच मरीजों की सर्जरी के बाद मौत हो गई थी। इन मरीजों की मौत में बेहोशी की दवा प्रोपोफोल की खराब क्वालिटी को जिम्मेदार माना गया था। उस समय भी मामले की जांच के लिए एक कमेटी गठित की गई थी। 

निम्न गुणवत्ता वाली दवाओं का विवरण

  • मेरोपेनेम 500 एमजी: यह एक एंटीबायोटिक इंजेक्शन है। स्कॉट-एडिल फार्मासिया लिमिटेड से खरीदे गए 16,667 इंजेक्शन में से 15,043 का उपयोग हो चुका था।
  • टैब एम्लोडेपाइन 10 एमजी: मेसर्स स्कॉट-एडिल फार्मासिया लिमिटेड से खरीदी गई 45,000 टैबलेट में से 27,405 इस्तेमाल हो गईं थीं।
  • पैरासिटामोल आईपी 500 एमजी: कर्नाटक एंटीबायोटिक्स एंड फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड से खरीदी गई 82,100 टैबलेट में से 47,283 उपयोग में लाई गईं।
  • पोविडोन आयोडीन सॉल्यूशन: मेसर्स बंगाल केमिकल्स एंड फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड से खरीदे गए 996 सॉल्यूशन में से 470 उपयोग हो चुके थे।
  • गैबापेंटिन कैप्सूल 300 एमजी: जी लैबोरेटरीज लिमिटेड से खरीदे गए 7,500 कैप्सूल में से 5,804 का इस्तेमाल हो गया था।
  • टैब-रामिप्रिल 5 एमजी: मेसर्स मैस्कॉट हेल्थ सीरीज़ प्राइवेट लिमिटेड से खरीदी गई 40,810 टैबलेट में से 8,479 उपयोग की गईं।
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