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Punjab: विद्युत संशोधन विधेयक-2022 के विरोध में आए भगवंत मान, कहा-राज्यों को कठपुतली न समझे केंद्र

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, चंडीगढ़ Published by: निवेदिता वर्मा Updated Mon, 08 Aug 2022 04:21 PM IST
सार

सीएम भगवंत मान ने कहा कि यदि केंद्र सरकार अपनी मर्जी से इस बिल को लागू करती है तो देश में किसानों के साथ-साथ अन्य वर्गों को भी भारी नुकसान हो सकता है।
 

Punjab CM Bhagwant Mann protest against Electricity Amendment Bill-2022
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान। - फोटो : अमर उजाला

विस्तार
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केंद्र के तीनों कृषि कानूनों बाद अब विद्युत संशोधन विधेयक 2022 के विरोध में पंजाब आ गया है। मुख्यमंत्री सहित विपक्षी दलों और किसानों ने बिल पर कड़ी आपत्ति जताई है। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि इस कदम से केंद्र ने राज्यों के अधिकारों पर एक और डाका मारा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि वास्तव में केंद्र ऐसी चालों से संघीय ढांचे की नींव को खोखला करना चाहता है। 



आए दिन राज्यों के अधिकारों पर डाका मारने की लगातार कोशिशें की जा रही हैं। यह सीधे तौर पर राज्य के अधिकारों पर केंद्र का हमला है। केंद्र सरकार राज्यों को कठपुतली न समझे। इन ज्यादतियों के खिलाफ हम चुप नहीं बैठेंगे। अपने अधिकारों की रक्षा के लिए सड़क से लेकर संसद तक लड़ाई लड़ेंगे।


बिजली क्षेत्र से संबंधित कोई भी विधेयक पेश करने से पहले केंद्र सरकार को राज्यों के साथ विचार-विमर्श करना चाहिए लेकिन केंद्र सरकार ने इस बात की परवाह नहीं की, जोकि सीधे तौर पर संघीय ढांचे पर हमला है। मुख्यमंत्री ने सवाल करते हुए कहा कि जब राज्य अपने नागरिकों के लिए बिजली की व्यवस्था अपने स्तर पर करते हैं तो फिर उनका पक्ष क्यों नहीं सुना जा रहा। 

मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार विद्युत संशोधन विधेयक पेश करके एक बार फिर कृषि कानूनों वाली गलती दोहराने जा रही है और लोग ऐसी एक तरफा कार्रवाई को कभी भी बर्दाश्त नहीं करेंगे। मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार से बिजली क्षेत्र में किसी भी तरह के बदलाव लाने के लिए कानून बनाने से पहले सभी राज्यों को अपना पक्ष रखने का मौका देने की मांग की।

मुफ्त बिजली योजना पर असर
पंजाब का उदाहरण देते हुए मुख्यमंत्री ने अंदेशा जाहिर किया कि राज्य में किसानों को कृषि ट्यूबवेलों के लिए बिजली मुफ्त दी जा रही है। इसी तरह घरेलू उपभोक्ताओं को भी मुफ्त बिजली की सुविधा प्रदान की जा रही है। यदि केंद्र सरकार अपनी मनमर्जी का विधेयक देश में लागू कर देती है तो किसानों के साथ-साथ अन्य वर्गों को बहुत बड़ा नुकसान सहना पड़ सकता है। 

हरसिमरत कौर बादल ने मांगा बैठकों का ब्योरा
बठिंडा सांसद हरसिमरत कौर बादल ने केंद्रीय बिजली मंत्री आरके सिंह से बिजली संशोधन बिल पर राज्य सरकारों और किसान यूनियनों के साथ हुई मीटिंग के ब्योरे को सूचीबद्ध करने की मांग की। उन्होंने कहा कि कृषि मंत्रालय ने किसान यूनियनों को लिखित आश्वासन दिया था कि विधेयक को सभी हितधारकों के साथ चर्चा पूरी होने के बाद ही पेश किया जाएगा।
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कांग्रेस ने उठाई सर्वदलीय बैठक बुलाने की मांग
पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग ने केंद्र की एनडीए सरकार द्वारा संसद में विद्युत संशोधन विधेयक लाए जाने को लेकर आलोचना की है। उन्होंने कहा कि यह देश के संघीय ढांचे पर एक अन्य हमला है, क्योंकि बिजली राज्यों से जुड़ा विषय है। उन्होंने पंजाब सरकार को इस बिल को पास किए जाने के विरुद्ध रणनीति बनाने की अपील की है और उनकी पार्टी की ओर से पूर्ण समर्थन का भरोसा दिया है। उन्होंने बिल के खिलाफ मजबूत पक्ष पेश करने के लिए एक सर्वदलीय बैठक बुलाए जाने की सलाह भी दी है, जिसके पंजाब के लिए गंभीर नतीजे निकलेंगे।

शिअद ने की थी हिमायत: वित्त मंत्री
विद्युत संशोधन विधेयक पर वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि केंद्र की भाजपा सरकार द्वारा जब यह विधेयक साल 2020 में तीन कृषि कानूनों के साथ लाया गया था तब मुख्यमंत्री भगवंत मान ने बतौर सांसद इसका विरोध दर्ज किया था, जबकि सरकार में शामिल शिरोमणि अकाली दल की केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने इसकी हिमायत की थी। उस समय इस विधेयक को वापस लेते हुए केंद्र सरकार ने वादा किया था कि इस विधेयक को दोबारा लाने से पहले राज्य सरकारों, किसानों और अन्य हितधारकों से परामर्श किया जाएगा। भाजपा सरकार अपने वादे को तोड़ते हुए एक बार फिर विधेयक को किसी के परामर्श के बिना लाया गया है।

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