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Haryana: समझौते के 27 साल बाद भी कर्मचारी नियमित क्यों नहीं? हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार से मांगा जवाब
अमर उजाला नेटवर्क, चंडीगढ़
Published by: शाहरुख खान
Updated Sat, 13 Aug 2022 09:38 AM IST
सार
हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को नोटिस देकर जवाब मांगा है। कोर्ट ने पूछा है कि समझौते के 27 साल बाद भी कर्मचारियों को नियमित क्यों नहीं किया गया। 35 वर्ष से वन विभाग में सेवा दे रहे कच्चे कर्मचारियों ने याचिका दाखिल की है।
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पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट।
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
वन विभाग में पिछले 35 साल से सेवा दे रहे कच्चे कर्मचारियों की याचिका पर सुनवाई करते हुए पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को नोटिस जारी कर पूछा है कि आखिर समझौते के27 साल बीत जाने के बाद भी कर्मियों को क्यों नियमित नहीं किया गया है।
याचिका दाखिल करते हुए मेवात निवासी सवालिया व अन्य ने एडवोकेट नफीस रुपड़िया के माध्यम से हाईकोर्ट को बताया कि वह पिछले 35 वर्ष से अधिक समय से वन विभाग में डेली वेज पर काम कर रहे हैं। सरकार की नीति के तहत उन्होंने सेवा नियमित करने की मांग की थी।
उनकी मांग पर कोई निर्णय न होने पर उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। इस बीच वन संरक्षक कार्यालय में हरियाणा कर्मचारी महासंघ की बैठक हुई। बैठक में समझौता हुआ कि याचिकाकर्ताओं का केस नियमित करने के लिए अथॉरिटी को भेजा जाएगा।
इसके बाद याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट से याचिका वापस ले ली थी। लंबे इंतजार के बाद भी जब याचिकाकर्ताओं को नियमित नहीं किया गया तो उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर दी। हाईकोर्ट ने 2010 में याचिकाकर्ताओं के दावे पर विचार करने के लिए हरियाणा सरकार को तीन माह की मोहलत दी थी।
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याचिका दाखिल करते हुए मेवात निवासी सवालिया व अन्य ने एडवोकेट नफीस रुपड़िया के माध्यम से हाईकोर्ट को बताया कि वह पिछले 35 वर्ष से अधिक समय से वन विभाग में डेली वेज पर काम कर रहे हैं। सरकार की नीति के तहत उन्होंने सेवा नियमित करने की मांग की थी।
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उनकी मांग पर कोई निर्णय न होने पर उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। इस बीच वन संरक्षक कार्यालय में हरियाणा कर्मचारी महासंघ की बैठक हुई। बैठक में समझौता हुआ कि याचिकाकर्ताओं का केस नियमित करने के लिए अथॉरिटी को भेजा जाएगा।
इसके बाद याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट से याचिका वापस ले ली थी। लंबे इंतजार के बाद भी जब याचिकाकर्ताओं को नियमित नहीं किया गया तो उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर दी। हाईकोर्ट ने 2010 में याचिकाकर्ताओं के दावे पर विचार करने के लिए हरियाणा सरकार को तीन माह की मोहलत दी थी।
इसके बावजूद अभी तक उनकी मांग पर निर्णय लेकर विस्तृत आदेश जारी नहीं किया गया। अब याचिकाकर्ताओं ने फिर से अपनी मांग को लेकर हाईकोर्ट की शरण ली है। याचिका पर हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार व अन्य प्रतिवादियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।