Chandigarh: स्मार्ट सिटी मिशन की कंपनियों को मिलेगा नया काम, शहरी विकास से जुड़ी योजनाएं बनाएंगे
चंडीगढ़ में बीते वर्षों में स्मार्ट सिटी की विभिन्न परियोजनाओं पर कुल करीब 1400 करोड़ रुपये खर्चे गए हैं। स्मार्ट सिटी के अनुसार लगभग सभी प्रोजेक्ट्स पूरे हो चुके हैं, जिसके बाद चंडीगढ़ स्मार्ट सिटी लिमिटेड (सीएससीएल) की कंपनी को 20 मार्च से बंद कर दिया गया है।

विस्तार
केंद्र सरकार ने स्मार्ट सिटी मिशन के तहत बनाई गई विशेष कंपनियों (एसपीवी) को अब नई जिम्मेदारियों के लिए तैयार रहने का निर्देश दिया है। मिशन की समाप्ति के बाद इन कंपनियों को खत्म करने की बजाय, उन्हें शहरी विकास से जुड़ी तकनीकी सेवाएं, प्रोजेक्ट्स को संभालने और डाटा प्रबंधन जैसे काम दिए जा सकते हैं। इसकी जिम्मेदारी केंद्र ने मुख्य सचिवों को सौंपी है।

चंडीगढ़ में स्मार्ट सिटी मिशन की कंपनी को 20 मार्च को बंद किया गया था। सभी परियोजनाएं अन्य विभागों को ट्रांसफर की जा चुकी हैं। अब केंद्र सरकार चाहती है कि इन कंपनियों का अनुभव और संसाधन आगे भी शहरी विकास के लिए काम आए। इसी के लिए आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय ने चंडीगढ़ प्रशासन को एक एडवाइजरी जारी की है।
चंडीगढ़ में बीते वर्षों में स्मार्ट सिटी की विभिन्न परियोजनाओं पर कुल करीब 1400 करोड़ रुपये खर्चे गए हैं। स्मार्ट सिटी के अनुसार लगभग सभी प्रोजेक्ट्स पूरे हो चुके हैं, जिसके बाद चंडीगढ़ स्मार्ट सिटी लिमिटेड (सीएससीएल) की कंपनी को 20 मार्च से बंद कर दिया गया है। लेकिन अब सरकार चाहती है कि इस कंपनी का उपयोग शहरी विकास के अन्य क्षेत्रों में भी किया जाए। ऐसे में कई सुझाव दिए हैं।
एसपीवी को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने के लिए राज्यों से नीति सहयोग की अपील की गई है, जिससे वे 'सेंटेज फीस' ले सकें। संचालन के लिए सेल्फ-सस्टेनिंग बिजनेस मॉडल अपनाने की जरूरत पर बल दिया गया है। हर एसपीवी को यह आकलन करना होगा कि भविष्य की जरूरतों के लिए कितने मानव संसाधनों की जरूरत होगी।
आईसीसीसी को मजबूत बनाने का सुझाव
सरकार ने कहा है कि जिन शहरों में आईसीसीसी (इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर) बना है, उनका रखरखाव और अपग्रेड करना जरूरी है। इन सेंटरों से ट्रैफिक कंट्रोल, सफाई, सुरक्षा जैसे काम बेहतर हुए हैं। केंद्र ने कहा है कि चंडीगढ़ समेत अन्य राज्य इन सिस्टम को आगे भी चलाता रहे और इन्हें और मजबूत करें। समय के साथ आईसीसीसी को अपडेट करते रहने की भी बात कही हई है। बता दें कि साल 2015 में शुरू हुए स्मार्ट सिटी मिशन के तहत हर शहर में स्मार्ट प्रोजेक्ट को चलाने के लिए एसपीवी बनाई गई थीं, जैसे सीसीटीवी, ट्रैफिक कंट्रोल, कचरा प्रबंधन आदि। एसपीवी को फंड देने का काम केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर करती थीं।
मार्च 2026 तक उपयोग प्रमाण पत्र जमा करने का आदेश
जिन शहरों में स्मार्ट सिटी की परियोजनाएं अभी चल रही हैं, उन्हें केंद्र ने दिसंबर 2025 तक हर हाल में पूरा करने और जिन असेट्स का निर्माण हो चुका है, उनकी ऑपरेशन एंड मेंटेनेंस की जिम्मेदारी सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। परियोजनाओं से संबंधित सभी दस्तावेजों, अनुबंधों और डिजिटल रिकॉर्ड्स को संभालने को कहा गया है। साथ ही चंडीगढ़ समेत सभी एसपीवी को भारत सरकार से
मिली वित्तीय सहायता के उपयोग प्रमाण पत्र मार्च 2026 तक जमा करने होंगे।
चंडीगढ़ में पूरी की गई प्रमुख स्मार्ट परियोजनाएं
- इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर (आईसीसीसी) को लागू करना - 333.61 करोड़
- 24 घंटे जलापूर्ति (मनीमाजरा – पायलट प्रोजेक्ट) - 166.06 करोड़
- पांच मौजूदा सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स का पुनर्वास और अपग्रेडेशन - 738.91 करोड़
- इंटेलिजेंट ट्रांसपोर्ट सिस्टम (आईटीएस) – 41.91 करोड़
- एलईडी स्ट्रीट लाइट्स की स्थापना - 55.00 करोड़
- पब्लिक बाइक शेयरिंग योजना – 20.06 करोड़
- 24 घंटे जलापूर्ति (पैन सिटी) - 60.77 करोड़