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Karnal: करनाल भाजपा में सब कुछ ठीक नहीं... पुराने कार्यकर्ताओं को सम्मान न मिलना और नजरअंदाजगी बने कारण

सोमदत्त शर्मा, अमर उजाला, चंडीगढ़ Published by: निवेदिता वर्मा Updated Wed, 24 Apr 2024 01:13 PM IST
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सार

करनाल भाजपा में एक धड़ा ऐसा है जो करनाल विधानसभा सीट पर पंजाबी समुदाय के नेताओं के दावे को मजबूती देता रही है। पिछले दो बार से मनोहर लाल पंजाबी चेहरे के चलते यहां से विधायक बनते रहे हैं। अब वह विधायक पद से इस्तीफा देकर लोकसभा प्रत्याशी के तौर पर मैदान में हैं।

Things are not going well in Karnal in BJP
मनोहर लाल और नायब सिंह सैनी - फोटो : फाइल

विस्तार
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हरियाणा की सबसे हॉट लोकसभा सीट करनाल में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। करनाल में एक के बाद एक नाराज भाजपा नेता खुलकर सामने आ रहे हैं। पहले शहर के मजबूत पंजाबी चेहरे मनोज वधवा ने भाजपा छोड़ी, अब पूर्व जिलाध्यक्ष अशोक सुखीजा ने मोर्चा संभाल लिया है।

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दोनों ही नेताओं की नाराजगी पार्टी में नेतृत्व द्वारा सम्मान नहीं मिलना बताया है। खासकर पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल के सख्त रवैये और बिना चर्चा किए नायब सैनी को करनाल से प्रत्याशी बनाने को लेकर विरोध है। इनके अलावा, कई बाहरी लोगों के चुनाव का काम संभालने को लेकर भी स्थानीय नेताओं को आपत्ति है। उधर, नाराजगी के इनपुट मिलते ही मनोहर लाल ने डैमेज कंट्रोल करने के लिए प्रयास तेज कर दिए हैं।
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दरअसल, स्थानीय भाजपा नेताओं को इस बात को लेकर आपत्ति है कि नायब सैनी को प्रत्याशी बनाने को लेकर उनसे कोई चर्चा नहीं की गई। इसके अलावा, चुनाव प्रबंधन का काम कुछ लोगों को सौंप दिया गया है, इसमें कुछ बाहरी राज्यों के भी हैं। स्थानीय नेताओं का तर्क है कि दूसरे राज्यों के लोगों को न तो करनाल के मुद्दों की समझ है और न ही मतदाताओं की, लेकिन वह अहम भूमिका में और स्थानीय कार्यकर्ताओं और नेताओं को सम्मान नहीं मिल रहा है।

नाराज नेताओं की बैठक बुलाने की तैयारी
सूत्रों का दावा है कि नाराज भाजपा कार्यकर्ता और नेता अब जल्द ही बैठक करने जा रहे हैं। इसी बैठक में आगामी रणनीति तैयार की जाएगी। बताया जा रहा है कि कुछ नेता अंदरखाते अभी भी चुनाव में काम नहीं कर रहे हैं। 

सूचना मिलते ही सप्ताह के बाद मनोहर लाल प्रदेश के अन्य जिलों में दौरे के बाद मंगलवार को करनाल पहुंचे। यहां कर्ण कमल में उन्होंने एक के बाद एक कई बैठकें की। इनमें कई मोर्चों के नेता शामिल रहे। बैठकों में एक एक कार्यकर्ता से फीडबैक लिया गया और उनको जिम्मेदारियां सौंपी गई। 

दस साल पहले भी बना था ऐसा माहौल
साल 2014 में भाजपा हाईकमान ने मनोहर लाल को करनाल से विधानसभा का प्रत्याशी बनाया था। उस समय भी करनाल के भाजपा नेताओं ने इस फैसले का जमकर विरोध किया था। उस समय अशोक सुखीजा भाजपा के जिला अध्यक्ष होते थे। मनोहर को प्रत्याशी बनाए जाने को लेकर उस समय भी सुखीजा ने मोर्चा खोल दिया था। इतना ही नहीं भाजपा के कई नेताओं मे दीवारों पर मनोहर वापस जाओ के स्लोगन तक लिखवा डाले थे। हालांकि, उस समय मनोहर लाल स्थानीय नेताओं को मनाने में कामयाब रहे थे और 65 हजार मतों से जीत दर्ज की थी। देखना यह है कि इस बार ये नाराजगी वोटों में तब्दील होती है या मनोहर इनको साध पाएंगे।

भाजपा बड़ा घर है। बड़े घर में कुछ लोग नाराज हो जाया करते हैं, चाहते हैं कि उनकी भी पूछताछ हो। जो लोग नाराज हैं, उनको मना लेंगे। - मनोहर लाल, प्रत्याशी, करनाल लोकसभा।

वह 57 साल से पार्टी की सेवा कर रहे हैं। पुराने व निष्ठावान कार्यकर्ताओं को मान सम्मान नहीं मिल रहा, बल्कि उनकी अनदेखी हो रही। मुझे शंका है कि यह पार्टी पर भारी न पड़े। यह केवल करनाल में ही नहीं, बल्कि प्रदेश के अन्य जिलों में भी ऐसा है। मैंने पत्र लिखकर हाईकमान के सामने यह मामला संज्ञान में लाया है। -अशोक सुखीजा, पूर्व जिलाध्यक्ष

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