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बलौदा बाजार-भाटापारा: हादसों को दावत दे रहा खोरसी नाला के पुराने पुल पर बना गड्ढा, आंखें मूंदे बैठा प्रशासन

अमर उजाला नेटवर्क, बलौदा बाजार-भाटापारा Published by: विजय पुंडीर Updated Sun, 27 Jul 2025 09:27 AM IST
सार

बलौदा बाजार-रायपुर राजमार्ग पर खोरसी नाला के ऊपर बने पुराने छोटे पुल की हालत इन दिनों जानलेवा बनी हुई है। हाल ही में हुई बारिश के बाद पुल के एक छोर पर सड़क का करीब 5 फीट से भी अधिक हिस्सा धंस गया है।

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Danger of accident due to pothole on the bridge built over Khorsi Nala on Baloda Bazar-Raipur road
खोरसी नाला पुराने पुल पर बना गड्ढा - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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बलौदा बाजार-रायपुर राजमार्ग पर खोरसी नाला के ऊपर बने पुराने छोटे पुल की हालत इन दिनों जानलेवा बनी हुई है। हाल ही में हुई बारिश के बाद पुल के एक छोर पर सड़क का करीब 5 फीट से भी अधिक हिस्सा धंस गया है, जिससे वहां एक गहरा और खतरनाक गड्ढा बन गया है। वहीं, इस नाले में अभी पानी पुल के बराबर चल रहा है।

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इस पुल से रोजाना सैकड़ों की संख्या में ग्रामीण, किसान, स्कूली बच्चे और चार पहिया वाहन गुजरते हैं। खोरसी नाला पर बना यह पुराना पुल पहले बलौदा बाजार को रायपुर से जोड़ने वाला महत्वपूर्ण मार्ग था। लेकिन अब नया बड़ा पुल बन जाने से अधिकतर गाड़ियां नए पुल से ही आवागमन करती हैं।
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वहीं, नीचे बने पुराने पुल से स्थानीय  मगरचबा, खैरघाटा, और आस-पास के कई गांवों के लोग एवं स्कूली बच्चे अभी भी शहर आना-जाना करते हैं। इसके अलावा, पुल के पास ही स्थित एक प्राचीन साईं मंदिर में श्रद्धालु नियमित रूप से आते-जाते हैं। लेकिन अब यह पुल लोगों के लिए सुविधा नहीं, बल्कि संभावित हादसे का कारण बनता जा रहा है।

बारिश के बाद इस गड्ढे में पानी भर जाता है, जिससे यह दूर से या अंधेरे में नजर नहीं आता। रात के समय जब रोशनी कम होती है, तो वाहन चालकों को इसका अंदाजा नहीं लगता और वे सीधे गड्ढे में गिर सकते हैं। चार पहिया वाहनों के लिए यह गड्ढा और भी गंभीर दुर्घटना का कारण बन सकता है। स्थानीय लोग बताते हैं कि इस मार्ग से रोजाना स्कूल बसें, बाइक सवार और ऑटो भी गुजरते हैं, जिससे खतरा और भी बढ़ सकता है।

सबसे चिंताजनक बात यह है कि अब तक प्रशासन ने इस स्थान पर कोई चेतावनी बोर्ड नहीं लगाया है, न ही बैरिकेड्स या मरम्मत की कोई कोशिश नही की गई है। यह प्रशासनिक लापरवाही और उदासीनता का जीता-जागता उदाहरण है। लोगों की जान से खिलवाड़ करते हुए जिम्मेदार अधिकारी अब तक आंखें मूंदे मूकदर्शक बने बैठे हैं।

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