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GPM News: लाखों की लागत से बनी सड़क महीनों में उखड़ी, ग्रामीणों ने लगाया भ्रष्टाचार का आरोप
अमर उजाला नेटवर्क, गौरेला-पेंड्रा-मरवाही
Published by: राहुल तिवारी
Updated Sat, 13 Dec 2025 08:53 AM IST
सार
गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले में पीएमजीएसवाई के तहत बनी सड़कों की गुणवत्ता पर सवाल उठे हैं। 277.87 लाख रुपये की लागत से बनी 10.45 किमी सड़क चार माह में जर्जर हो गई।
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277.87 लाख की लागत से बनी सड़क महीनों में उखड़ी
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY) के तहत बनाई गई सड़कों की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। लाखों रुपये की लागत से बनी सड़कें महज कुछ ही महीनों में उखड़ने लगी हैं। ताजा मामला लालपुर दर्री से गुम्माटोला-करोदाटोला मार्ग का है, जहां 10.45 किलोमीटर लंबी सड़क 277.87 लाख रुपये की लागत से बनाई गई थी। यह सड़क करीब कुछ माह पहले ही बनकर तैयार हुई थी, लेकिन अब जगह-जगह से टूट चुकी है और ग्रामीणों की परेशानी बढ़ा दी है तो ग्रामीण सड़क निर्माण में भ्रष्टाचार का आरोप लगा रहे है।
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जिले में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत बनाई गई सड़कों की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। लाखों रुपये की लागत से बनी सड़कें महज कुछ ही महीनों में उखड़ने लगी हैं। लालपुर दर्री से गुम्माटोला-करोदाटोला मार्ग का है, जहां 10.45 किलोमीटर लंबी सड़क 277.87 लाख रुपये की लागत से बनाई गई थी। यह सड़क करीब चार माह में ही जर्जर हो गई और जगह जगह गड्डो में बदल गई तो ठेका कंपनी अब सड़कों में सीमेंट से मरम्मत करा रहा है।
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ग्रामीणों का कहना है कि सड़क निर्माण में घटिया निर्माण सामग्री का इस्तेमाल किया गया है। जिस पर छोटे वाहन और ग्रामीण आवागमन करते हैं, वहां सड़क की सतह उखड़कर गड्ढों में तब्दील हो गई है। बारिश के पहले ही यह सड़क जर्जर हो गई थी और अधिकारियों की अनदेखी के चलते अब सड़क की यह हालत देख लोग अंदेशा जता रहे हैं कि आने वाले दिनों में इस मार्ग से यात्रा करना कितना कष्टदाई होगा।
इस मार्ग का निर्माण कार्य बीते चार माह पहले मे. दहगल बिल्डर्स के द्वारा कराया गया था। आरोप है कि ठेका कंपनी ने मानकों को ताक पर रखकर काम किया और निर्माण कार्य की गुणवत्ता पर ध्यान नहीं दिया। ग्रामीणों का कहना है कि कंपनी ने सड़क पर केवल दिखावे के लिए डामरीकरण किया, जबकि बेस लेयर में भी सही ढंग से सामग्री का इस्तेमाल नहीं किया गया। मामले में जब अधिकारीयों से सवाल किया गया तो उन्होंने कैमरे पर कुछ भी कहने से परहेज किया। हालांकि, बातचीत में उन्होंने स्वीकार किया कि सड़क की गुणवत्ता सही नहीं है और संबंधित ठेका कंपनी पर कार्रवाई की जाएगी।
अधिकारीयों ने आश्वासन दिया कि जल्द ही सड़क की जांच करवाई जाएगी और दोषी पाए जाने पर ठेकेदार के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएंगे। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना का मकसद ग्रामीण इलाकों को पक्की सड़कों से जोड़कर वहां विकास की रफ्तार तेज करना है। लेकिन अगर इस तरह करोड़ों की लागत से बनी सड़कें कुछ ही महीनों में खराब हो जाएं, तो योजना की पारदर्शिता और कार्यान्वयन पर सवाल उठना लाजिमी है।ग्रामीणों ने मांग की है कि सरकार और विभाग सड़क निर्माण की गुणवत्ता सुनिश्चित करें और दोषी ठेकेदारों पर न केवल जुर्माना लगाया जाए, बल्कि उन्हें ब्लैकलिस्ट भी किया जाए, ताकि भविष्य में इस तरह की लापरवाही दोहराई न जा सके।