जगदलपुर: माओवादियों के प्रवक्ता ने फिर जारी किया पत्र, ऑडियो संदेश के जरिये भी जनता से मांगी माफी
माओवादियों का एक और पत्र सामने आया है। पोलित ब्यूरो सदस्य सोनू दादा ने 6 पन्नों का पत्र जारी किया है। मोलेजुला वेणुगोपाल उर्फ अभय उर्फ सोनू है पीबीएम। जनता से माफी मांगते हुए पत्र के अंत में अपना नाम लिखा है।

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माओवादियों का एक और पत्र सामने आया है। पोलित ब्यूरो सदस्य सोनू दादा ने 6 पन्नों का पत्र जारी किया है। मोलेजुला वेणुगोपाल उर्फ अभय उर्फ सोनू पीबीएम है। जनता से माफी मांगते हुए पत्र के अंत में अपना नाम लिखा है। माओवादी आंदोलन को अंजाम तक न पहुंचा पाने के लिए माफी मांगी है। ऑडियो संदेश भी जारी करने की बात पत्र में लिखी है।

माओवादियों की केंद्रीय कमेटी के प्रवक्ता अभय ने ऑडियो संदेश जारी किया है। 8 मिनट 35 सेकेंड का ऑडियो संदेश है। 15 अगस्त को जारी किए गए प्रेस नोट के साथ ही यह ऑडियो संदेश जारी किया गया था। मीडिया को ऑडियो संदेश देर से मिला है। पीस टॉक को लेकर पार्टी की रणनीति को स्पष्ट करने का प्रयास किया है।






इससे पहले नक्सलियों ने मंगलवार को एक प्रेस नोट जारी कर कहा कि वो हथियार बंद संघर्ष को अस्थायी रूप से छोड़कर शांति वार्ता को तैयार हैं। माआवोदियों ने सरकार से सीजफायर करने की अपील की है। सीपीआई (माओवादी) ने कहा कि देश के कई राज्यों में जेल में बंद साथियों से चर्चा करने के लिये सरकार अनुमति दें। वहीं पुलिस भी एक महीने के लिये ऑपरेशन रोकें।
दूसरी ओर इस मामले में प्रदेश के गृहमंत्री विजय शर्मा का कहना है कि पत्र की सत्यता की जांच करानी होगी। नक्सलवाद के खिलाफ ऑपरेशन जारी रहेगा। यदि नक्सली बंदूक त्यागकर मुख्यधारा में लौटना चाहते हैं, तो उनका स्वागत है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार सरेंडर नक्सलियों के लिए राज्य में नियदनेल्लानार, पुनर्वास समेत कई सारी योजना चला रही है। ऐसे में नक्सली बंदूक छोड़कर सामने आएंगे, तो सरकार उनके साथ शांतिवार्ता के लिये पहल करेगी।
माओवादी संगठन के केंद्रीय प्रवक्ता अभय का प्रेस नोट सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। इसमें उसका कहना है कि हम बातचीत के लिए तैयार हैं। संगठन हथियारबंद संघर्ष को अस्थायी रूप से छोड़कर जनसमस्याओं के समाधान के लिए जन संघर्ष को आगे बढ़ाएगा। हथियार छोड़कर देश की राजनैतिक पार्टियों और संघर्षरत संस्थाओं के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करेंगे। बदलते हालात और देश की परिस्थितियों को देखते हुए वे शांति वार्ता के लिए तैयार हैं पर इस प्रक्रिया में वो अपनी विचारधारा और राजनीतिक मान्यताओं से पीछे नहीं हटेंगे। मार्च 2025 में संगठन के जारी प्रेस नोट का हवाला देते हुए कहा कि उन्होंने इससे पहले भी संघर्ष विराम और शांति वार्ता की पेशकश की थी, लेकिन उस दौरान ठोस माहौल नहीं बनाया गया। सरकार और सुरक्षा बल यदि वास्तव में शांति चाहते हैं तो हमारे साथियों पर दमनात्मक कार्रवाई बंद कर विश्वसनीय वातावरण बनायें। हमारे शीर्ष नेतृत्व, कैडर और जेल में बंद सदस्यों को वार्ता प्रक्रिया का हिस्सा बनाया जाए। यदि उनकी शर्तों को माना गया और प्रतिनिधियों को शामिल किया गया तो वे हथियार छोड़कर वार्ता में शामिल होने के लिए तैयार हैं।