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कनहर अंतरराज्यीय परियोजना: 8 वर्ष बाद भी नहीं मिला विस्थापितों को भूखंड और मुआवजा, पुनर्वास स्थल हुआ जर्जर

अमर उजाला नेटवर्क, रामानुजगंज Published by: विजय पुंडीर Updated Thu, 04 Dec 2025 04:21 PM IST
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Kanhar Interstate Project: Even after 8 years, displaced people have not received land and compensation
कनहर अंतरराज्यीय परियोजना - फोटो : अमर उजाला
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उत्तर प्रदेश के अमवार में लगभग 30 अरब रुपये लागत से निर्मित अमवार बांध का असर छत्तीसगढ़ के सीमावर्ती गांवों पर लगातार पड़ रहा है। रामानुजगंज सीमा से महज 6 किलोमीटर दूर बनाए गए इस बांध के कारण छत्तीसगढ़ के 6 गांव आंशिक रूप से प्रभावित हो रहे हैं। 

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विस्थापन की भरपाई के लिए कनहर अंतरराज्यीय परियोजना, अमवार (उ.प्र.) द्वारा वर्ष 2015 में 70 करोड़ 34 लाख 30 हजार की राशि जल संसाधन विभाग, बैकुंठपुर (छ.ग.) को उपलब्ध कराई गई थी, ताकि राज्य के प्रभावित परिवारों को पुनर्वास की सुविधाएं दी जा सकें।
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पुनर्वास के लिए छत्तीसगढ़ के ग्राम त्रिशूली में लगभग 37 एकड़ भूमि आरक्षित की गई थी। योजना के अनुसार डूब क्षेत्र के 32 प्रभावित परिवारों को 450 वर्ग मीटर का भूखंड तथा 7 लाख 11 हजार का पुनर्वास पैकेज प्रदान किया जाना था। इसके साथ ही पुनर्वास स्थल पर 3 करोड़ 63 लाख 19 हजार की लागत से सड़क, सामुदायिक भवन, केटल शेड, आंगनबाड़ी केंद्र, प्राथमिक शाला, निर्मला घाट, श्मशान घाट, गोठान सहित विभिन्न मूलभूत सुविधाओं का निर्माण किया गया।

लेकिन विडंबना यह है कि यह पूरी संरचना आज तक उपयोग में ही नहीं लाई जा सकी। 8 वर्ष बीत जाने के बाद भी प्रभावित परिवारों को न तो आवंटित भूखंड मिले हैं और न ही पुनर्वास पैकेज की राशि। खाली पड़ी सुविधाएं अब धीरे-धीरे जर्जर होने लगी हैं, जबकि विस्थापित परिवार लगातार आश्वासन के सहारे वर्षों से इंतजार कर रहे हैं।

स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि पुनर्वास कार्यों को लेकर न तो स्पष्ट पहल हो रही है और न ही प्रशासन की ओर से समयबद्ध कार्रवाई। वहीं प्रभावित परिवार अपनी मूल भूमि खोने के बाद आर्थिक, सामाजिक और भौतिक असुरक्षा का सामना कर रहे हैं।

ग्रामीणों और जनप्रतिनिधियों ने शासन से पुनर्वास प्रक्रिया को तत्काल प्रभाव से पूर्ण करने, भूखंड वितरण और मुआवजे की राशि देने की मांग की है, ताकि प्रभावित परिवार सम्मानपूर्वक नए स्थान पर अपना जीवन पुनः व्यवस्थित कर सकें।

इस संबंध में अधीक्षण अभियंता अनिल कुमार खलको ने कहा कि इसका संचालन कार्यक्रम अभियंता बैकुंठपुर से होता है जहां बार-बार राशि जारी करने के लिए पत्राचार किया गया है वहीं कार्यपालन अभियंता से भी चर्चा की गई है।

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