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Raipur: 'बिना सर्वे जमीन का रेट बढ़ाना किसानों के साथ अन्याय'; किसान संगठन बोले- फैसला थोपना बंद करे सरकार

अमर उजाला ब्यूरो, रायपुर Published by: ललित कुमार सिंह Updated Sat, 20 Dec 2025 10:41 PM IST
सार

Raipur News: छत्तीसगढ़ सरकार के बिना किसी जमीनी सर्वे, स्थानीय परिस्थितियों और वास्तविक बाजार मूल्य का आकलन किए बिना भूमि की गाइडलाइन दरों में की गई भारी बढ़ोतरी से प्रदेशभर के किसानों में गहरा असंतोष है।

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Raipur news: Increasing land rates without a survey is an injustice to farmers
प्रेस कॉन्फ्रेंस लेते किसान और वकील - फोटो : अमर उजाला डिजिटल
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Raipur News: छत्तीसगढ़ सरकार के बिना किसी जमीनी सर्वे, स्थानीय परिस्थितियों और वास्तविक बाजार मूल्य का आकलन किए बिना भूमि की गाइडलाइन दरों में की गई भारी बढ़ोतरी से प्रदेशभर के किसानों में गहरा असंतोष है। ये बातें शनिवार को रायपुर प्रेस क्लब में किसान और वकीलों ने संयुक्त पत्रकार वार्ता में कहीं। उन्होंने इसे सरकार का एकतरफा और जनविरोधी निर्णय बताते हुए कहा कि सरकार राजस्व बढ़ाने के लिए किसानों पर आर्थिक बोझ डाल रही है। जमीनों की बढ़ी गाइडलाइन से लगभग 300 किसानों रायपुर कलेक्ट्रेट में अपनी आपत्ति दर्ज कर चुके हैं। लगातार किसान अपनी आपत्ति दर्ज करा रहे है।

 

किसान संगठनों का आरोप है कि कई क्षेत्रों में गाइडलाइन दरों में 100 से 600 प्रतिशत तक की वृद्धि कर दी गई है जबकि वहां न तो बुनियादी सुविधाएं मौजूद हैं और न ही जमीन की वास्तविक बाजार मांग। इसके बावजूद उन क्षेत्रों को उच्च श्रेणी में रखकर दरें बढ़ा दी गईं, जो किसानों के साथ अन्याय है। जमीन के रेट बढ़ने से रजिस्ट्री, स्टाम्प ड्यूटी, नामांतरण, बैंक ऋण, पारिवारिक बंटवारे और अन्य कानूनी प्रक्रियाएं महंगी हो गई हैं। इससे छोटे और मध्यम किसानों के साथ-साथ मध्यम व निम्न आय वर्ग के लोगों के लिए जमीन और आवास तक पहुंच लगभग असंभव हो जाएगी।

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किसानों ने बताया कि अचानक हुई इस वृद्धि से जमीन की खरीदी-बिक्री लगभग ठप हो गई है। कृषि भूमि, छोटे व्यवसाय और पारंपरिक प्रॉपर्टी कारोबार प्रभावित हो रहे हैं, जिससे बेरोजगारी बढ़ने की आशंका है। कई किसान अपनी जरूरी जरूरतों—इलाज, बच्चों की पढ़ाई, शादी या गृह निर्माण के लिए भी जमीन नहीं बेच पा रहे हैं।

 

किसान संगठनों ने यह भी आरोप लगाया कि नई गाइडलाइन में नेशनल हाइवे, स्टेट हाइवे, प्रधानमंत्री सड़क और गांव के पहुंच मार्ग—सभी को मुख्य मार्ग मान लिया गया है, जो तर्कसंगत नहीं है। संगठनों का कहना है कि भूमि केवल संपत्ति नहीं, बल्कि किसानों के जीवन, रोजगार और भविष्य का आधार है। बिना व्यापक जन-परामर्श और बाजार अध्ययन के लिया गया यह फैसला जनभावनाओं के विपरीत है। इससे न्यायिक विवाद बढ़ेंगे और प्रशासनिक बोझ भी बढ़ेगा। किसान संगठनों ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार बिना संवाद के फैसले थोपती रही, तो यह निर्णय आम जनता और किसानों पर भारी पड़ेगा। उन्होंने सरकार से जनहित को सर्वोपरि रखते हुए तत्काल पुनर्विचार की मांग की है।

 

किसानों की प्रमुख मांगें-

  1. बढ़ाई गई गाइडलाइन दरों को तत्काल प्रभाव से स्थगित किया जाए।
  2. सभी जिलों और क्षेत्रों में वास्तविक जमीनी सर्वे कराया जाए।
  3. किसान संगठनों, जनप्रतिनिधियों और विशेषज्ञों से चर्चा के बाद ही नई दरें तय हो।
  4. पुनर्विचार की प्रक्रिया पूरी होने तक पूर्ववर्ती दरों पर ही व्यवहारिक वृद्धि के साथ काम करने की अनुमति दी जाए।
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